मंगलवार, 26 नवंबर 2024
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51 Shaktipeeth : यशोर- यशोरेश्वरी बांग्लादेश शक्तिपीठ-14

51 Shaktipeeth : यशोर- यशोरेश्वरी बांग्लादेश शक्तिपीठ-14 - Jeshoreshwari Shaktipeeth Kali Temple Satkhira Bangladesh
देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है माता सती के शक्तिपीठों में इस बार यशोर- यशोरेश्वरी बांग्लादेश शक्तिपीठ के बारे में जानकारी।
 
कैसे बने ये शक्तिपीठ : जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 का खास महत्व है।
 
यशोर- यशोरेश्वरी : बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के यशोर ( जैसोर ) स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे (पाणिपद्म) थे। इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड, शिव को चंद्र कहते हैं। हालांकि यह भी कहा जाता है कि यहां पर माता सती के बाईं हाथ की हथेली का निपात हुआ था। यह बांग्लादेश का तीसरा सबसे प्रमुख शक्तिपीठ है। यह मंदिर पहले अनारी नाम से जाना जाता था जिसके लगभग 100 दरवाजे थे। मंदिर के पास में ही पहले एक बड़ा आयताकार एक भव्य मंच हुआ करता था। यह मंच ऊपर से ढका हुआ था। इसे नट मंदिर कहा जाता था। यहां पर खड़े होकर माता के दर्शन किए जा सकते थे। 
 
बाद में इस मंदिर का तेरवी सदी में लक्ष्मण सेन और प्रताप आदित्य ने जीर्णोद्धार करवाया था। परंतु 1971 में इस्लामिक कट्टरवादियों ने इसे गिरा दिया। अब यहां निशानी के तौर पर मुख्‍य मंदिर के खंडहर और खम्बे ही बचे हैं। यह शक्तिपीठ ईश्वरपुर, श्यामनगर उपनगर, सातखिरा जिला में स्थित है। निकटतम हवाई अड्डा बांग्लादेश की राजधानी ढाका में है।