• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. »
  3. धर्म-दर्शन
  4. »
  5. जैन धर्म
  6. कैसे समझें जैन धर्म को...
Written By WD

कैसे समझें जैन धर्म को...

कैसे हुई 'जैन' शब्द की उत्पत्ति...

Jain Tirthankar | कैसे समझें जैन धर्म को...
FILE

जैन धर्म के अनुसार सभी तीर्थंकरों ने साधारण मनुष्य के रूप में जन्म लिया और अपनी इंद्रिय और आत्मा पर विजय प्राप्त कर वे तीर्थंकर बने। जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए हैं। तीर्थंकर अर्हंतों में से ही होते हैं।

संसार के प्राचीनतम धर्मों में से एक जैन धर्म है। इस धर्म का उल्लेख 'योगवशिष्ठ', 'श्रीमद्‍भागवत', 'विष्णु पुराण', 'शाकटायन व्याकरण', पद्म पुराण', 'मत्स्य पुराण' आदि प्राचीन ग्रंथों में भी जिन, जैन और श्रमण आदि नामों से मिलता है।

जैनाचार्यों को जिन, जिनदेव या जिनेन्द्र आदि शब्दों से संबोधित किया जाता है। 'जिन' शब्द से ही 'जैन' शब्द की उत्पत्ति हुई है।

'जिन' किसी व्यक्ति-विशेष का नाम नहीं है, वरन जो लोग आत्म-विकारों पर विजय प्राप्त कर लेते हैं, जो अपनी इंद्रियों को वशीभूत कर लेते हैं, ऐसे आत्मजयी व्यक्ति 'जिन' कहलाते हैं। इन्हीं को पूज्य अर्थ में अर्हत, अरिहंत अथवा अरहन्त भी कहा जाता है।

FILE
क्या हैं तीर्थंकर का अर्थ :-
जो देवों और मनुष्य द्वारा पूज्य होते हैं, जो स्वयं तरते हैं तथा औरों को तरने का मार्ग बताते हैं, उन्हें तीर्थंकर कहते हैं। तीर्थंकर जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त होते हैं।

जैन धर्म के इन्हीं तीर्थंकरों ने क्रमिक रूप से जैन धर्म की आधारशिला रखी। वैसे तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ को ऐतिहा‍‍‍सिक लोग जैन धर्म का संस्थापक मानते हैं और चौबीसवें अंत‍िम तीर्थंकर महावीर को जैन धर्म का संशोधक माना जाता है।