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Written By भाषा

नए विधायकों को सुषमा का ‘गुरुमंत्र’

नए विधायकों को सुषमा का ‘गुरुमंत्र’ -
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लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने शनिवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए पहली बार चुने गए विधायकों को संसदीय जीवन की कामयाबी का ‘गुरुमंत्र’ दिया।

राज्य विधानसभा के लिए पहली बार निर्वाचित विधायकों को सदन की परम्पराओं तथा विधायी कार्यों की जानकारी देने के लिए आयोजित दो दिवसीय ‘प्रबोधन कार्यक्रम’ के पहले दिन विशेष आमंत्रित के तौर पर बुलाई गई सुषमा ने सदस्यों को लोकप्रिय विधायक बनने के गुर सिखाए।

उन्होंने विधायकों को लोकप्रियता के चार प्रमुख आयामों से रूबरू कराया। इनमें विधायक की अपने क्षेत्र में उपलब्धता, क्षेत्र के विकास में सक्रिय भूमिका, विधानसभा सदन में प्रभावी भूमिका तथा व्यक्तिगत आचरण की शुचिता शामिल है। भाजपा नेता ने कहा कि इन चारों मानकों पर खरा उतरकर कोई भी विधायक अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हो सकता है।

सुषमा ने कहा कि सुचारु और निश्चित समय प्रबंधन के जरिए विधायक क्षेत्र में अपनी उपलब्धता सुनिश्चित करा सकते हैं। अगर क्षेत्र की अनदेखी करेंगे तो लोकप्रिय नहीं हो सकेंगे।

पहली बार निर्वाचित विधायकों की पाठशाला में दूसरा मंत्र देते हुए सुषमा ने कहा कि विधायकों को अपने क्षेत्र के विकास में सक्रिय भूमिका निभाना चाहिए और कम से कम एक ऐसा काम जरूर करवाना चाहिए, जिससे जनता उन्हें ताजिंदगी याद करें।

उन्होंने व्यक्तिगत आचरण को विधायी जीवन की सफलता का सबसे महत्वपूर्ण आयाम करार देते हुए कहा- विधायकी की हेकड़ी आते ही क्षरण शुरू हो जाता है। मतदाता अहंकार की अनदेखी नहीं करता। राजनेता का सबसे बड़ा अवगुण उसकी हेकड़ी है। इसके लिए उन्होंने एक शेर कहा- जो पहुंच गए हैं मंजिल तक उनको नाज-ए-सफर नहीं, दो-चार कदम जो चले नहीं रफ्तार की बातें करते हैं। कक्ष में मौजूद विधायकों ने मेजें थपथपाकर इस पर दाद दी।

सुषमा ने कहा- देश में गरीबी, भुखमरी, कुपोषण तथा अन्य अनेक समस्याएं हैं, लेकिन महान लोकतंत्र की बदौलत भारत का सिर दुनिया में ऊंचा है। आप सब उस लोकतंत्र के मंदिर के पुजारी बनकर आए हैं। इसी से आपकी जिम्मेदारी का अंदाजा लगाया जा सकता है।

सुषमा ने देश में फैले भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करते हुए कहा- भ्रष्टाचार को लोग किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करना चाहते। देश के 65 प्रतिशत लोग युवा हैं। वे अपने नेता में एक आदर्श को देखते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति एक साधना है। सियासत जिंदा आदमी की इबादत है। राजनीति से ही देश का परिदृश्य बदलेगा और संसद तथा विधानसभाओं के बिना इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। (भाषा)