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Written By अरविन्द शुक्ला

कूटरचना कर करोड़ों के घोटाले का अंदेशा

कूटरचना कर करोड़ों के घोटाले का अंदेशा -
लखनऊ। उत्तर प्रदेश शासन के ऊर्जा विभाग ने ऊर्जा निगमों में नियुक्त पूर्णकालिक निदेशकों के पदों पर नियुक्ति संबंधी सेवा शर्तों में संशोधन पिछली तिथि (बैक डेट) से जारी कर दिया गया। यह कारनामा पूवर्वर्ती बसपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था। यह आदेश अभी भी प्रभावी है।
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जानकारों का कहना है कि पिछली तिथि से वेतनमान को संशोधित नही किया जा सकता किन्तु ऐसा कर शासन के अधिकारियों ने कूटरचना कर जानबूझकर करोड़ों रूपयों का घोटाला किया है।

इस नए विवाद की जानकारी होने पर मामले की शिकायत राज्य के मुखयसचिव से करके तत्कालीन ऊर्जा सचिवों एवं लाभार्थी ऊर्जा निगमों के निदेशकों की चल व अचल परिसम्पत्तियों से भू- राजस्व के रूप में वसूली की मांग की गई है।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश शासन के ऊर्जा अनुभाग -2 के द्वारा दिनांक 4 अप्रैल 2011 को कार्यालय ज्ञाप संख्या 685/24-पी-2-2011 जारी किया गया था, जिसमें ऊर्जा निगमों में नियुक्त पूर्णकालिक निदेशक के पद पर नियुक्ति संबंधी सेवा शर्ते विषयक कार्यालय ज्ञाप संख्या - 90/24-पी-2-2010 दिनांक 20-01-2011 के प्रस्तर-3 पर निम्नवत्‌ संशोधन किया गया- दिनांक 01-01-2006 से संशोधित वेतनमान रू. 67000/-वार्षिक वेतनवृद्धि 3 प्रतिशत की दर से वेतनमान रू. 79000/-स्वीकृति किया जाता है। उक्त कार्यालय ज्ञाप में उल्लिखित सेवाशर्तो को यथावत्‌ बताया गया।

जानकारों का कहना है कि 01-01-2006 की बैक डेट से संशोधित वेतनमान नही लागू किए जा सकते। कार्यालय ज्ञाप जारी होने की तिथि से ही संशोधित वेतनमान लागू किए जा सकते हैं। यही नही, उक्त कार्यालय ज्ञाप 04-अप्रैल को जारी होना बताया गया किन्तु इसके प्राप्त होने की तिथियां मार्च में ही अंकित है, इस कार्यालय ज्ञाप में राज्यपाल की स्वीकृति है इसका भी जिक्र नही है और न ही वित्त विभाग की सहमति के पत्र का कोई उल्लेख है।

यही नही, इन संशोधनों से सचिव भारत सरकार, सचिव/अध्यक्ष केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण नई दिल्ली, मुख् सचिव व मुख्यमंत्री के कार्यालयों को अवगत कराया गया, जिससे मामलें में संशय के बादल और गहरे हो चले हैं।

सनद रहे कि ऊर्जा अनुभाग -2 ने 20 जनवरी 2011 को कार्यालय ज्ञाप संख्या 90/24-पी-2-2010 के माध्यम से उप्र पावर कॉर्पोरेशन लि., उप्रराज्य विद्युत उत्पादन निगम लि., उप्र जल विद्युत निगम लि. तथा उप्र पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लि. में नियुक्ति पूर्णकालिक निदेशक के पद पर नियुक्ति संबंधी सेवा शर्तो की स्वीकृति राज्यपाल की स्वीकृति से जारी हुई थी जिसमें कहा गया था कि नियुक्ति, निगमों में संविदा के आधार पर मानी जाएगीं।

नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से न्यूनतम तीन वर्ष की अवधि या 62वर्ष की आयु या शासन के अग्रिम आदेशों तक जो भी पहले हों तक के लिए होगी परन्तु इसकी समाप्ति किसी भी पक्ष द्वारा तीन माह के वेतन की नोटिस देकर की जा सकती है। राज्य सरकार को यह विकल्प होगा कि नोटिस के बदले तीन माह के वेतन का भुगतान कर सकती है।

इसी कार्यालय ज्ञाप के प्रस्तर 3 में कहा गया है कि - 3-वेतन एवं अन्य भत्ते-पूर्व में ऊर्जा विभाग के नियन्त्रणाधीन उपरोक्त नियमों में पूर्णकालिक निदेशक को वेतनमान रू. 22,400-525-24,500 के अर्न्तगत वेतन एवं भत्ते अनुमन्य थे।

अब छठे वेतनआयोग की संस्तुतियों के अनुसार उक्त पद का वेतनमान रू. 37,400-67,000 तथा 12,000/- ग्रेड के एवं संगत भत्ते देय होंगे।

सेवानिवृत्ति की स्थिति में उक्त पदों परनियुक्त होने वाले व्यक्तियों को प्राप्त होने वाली पेंशन की कुल धनराशि उन्हे प्राप्त होने वाले वेतन में शासनादेश संख्या - सा. -3-1443/दस-930/83दिनांक 15-12-1983 में निहित शर्तो में ही आंकलित की जाएगी। उपरोक्त कार्यालय ज्ञाप के प्रस्तर तीन को संदेहास्पद स्थिति में संशोधन किया गया है जिसे लेकर नया विवाद पैदा हो गया है।