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Written By अरविंद शुक्ला
Last Updated :लखनऊ , गुरुवार, 30 अक्टूबर 2014 (17:55 IST)

आवेदन किए बिना पावर कॉर्पोरेशन के बन बैठे निदेशक वित्त!

आवेदन किए बिना पावर कॉर्पोरेशन के बन बैठे निदेशक वित्त! -
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में निदेशक वित्त के पद पर मै. प्राइस वाटर हाउस से आवेदन मांगे गए थे। इस पद के लिए जिसने आवेदन ही नहीं किया उस शख्‍स को पावर कॉर्पोरेशन का निदेशक वित्त बना दिया गया। 

 
ऐसा कारनामा उप्र पावर कॉर्पोरेशन में हुआ। वर्ष 2001 की बात  है। जून 2001 में देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में उप्र पावर कॉर्पोरेशन एवं उनकी सहायक कम्पनियों में तथा उत्तरांचल पावर कॉर्पोरेशन एवं उत्तरांचत जल विद्युत निगम में निदेशक वित्त के पद के लिए मै. प्राइस वाटर हाउस बंगलौर के माध्यम से आवेदन मांगे गए थे। 
 
उप्र राजकीय निर्माण निगम लि. मुख्‍यालय  लखनऊ में तत्कालीन वित्तीय परामर्शदाता के पद पर तैनात एसके अग्रवाल ने प्राइस वाटर  हाउस कॉर्पोरेशन बंगलौर के माध्यम से 24 जून 2001 को उत्तरांचल पावर कॉर्पोरेशन लि. एवं उत्तरांचल जल विद्युत निगम लि. में निदेशक वित्त के पद के लिए आवेदन किया था। उक्त पद के चयन के लिए भी उन्हें समय से राजकीय निर्माण निगम द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं मिला था।   
 
सूत्रों का कहना है कि उप्र पावर कॉर्पोरेशन के रिकॉर्डों में कहीं भी एसके अग्रवाल के निदेशक वित्त के पद के लिए आवेदन किए जाने का रिकॉर्ड नहीं है और न आवेदन की तिथि तब अग्रवाल को राजकीय निर्माण निगम से  अनापत्ति प्रमाण पत्र मिला था, किन्तु अग्रवाल ने अंधेरे में अधिकारियों को रखकर उप्र पावर कॉर्पोरेशन  में निदेशक वित्त के पद हेतु अपना आवेदन अग्रसारित करा कर यह पद हथिया लिया था। अग्रवाल इस पद पर 3 अप्रैल 2002 से 3 वर्षों तक इस पद पर आसीन रहे।
 
उल्लेखनीय है कि एसके अग्रवाल दोबारा जब उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लि. में वित्तीय परामर्शदाता के पद पर तैनात थे, 9 जनवरी 2009 को तत्कालीन ऊर्जा विभाग ने एसके अग्रवाल को वित्तीय परामर्शदाता, उप्र राजकीय निर्माण निगम लि. को प्रतिनियुक्ति के आधार पर उप्र पावर कॉर्पोरेशन में तैनात किए जाने के आदेश दिए थे और यह भी कहा गया था कि अग्रवाल इस पद पर नियमित चयन की कार्यवाही सम्पन्न होने पर चयन की दशा में आगे कार्य करते रहेंगें अन्यथा अपने पैतृक विभाग उप्र राजकीय निर्माण निगम में वापस चले जाएंगें। 
 
तब से अर्थात 9 जनवरी 2009 से आज तक एसके अग्रवाल उप्र पावर कॉर्पोरेशन में निदेशक वित्त के पद पर विराजमान हैं। मजेदार बात यह है कि एसके अग्रवाल के निदेशक वित्त के पद पर प्रतिनियुक्ति पर तो आए किन्तु उनकी इस पद पर नियमित चयन की कोई कार्यवाही पावर कॉर्पोरेशन ने नहीं की।
 
अग्रवाल के पावर कॉर्पोरेशन में निदेशक वित्त के पद पर कोई चयन/नियुक्ति/तैनाती हेतु प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। इसी प्रकार, निदेशक वित्त के पद पर नियुक्ति/ प्रतिनियुक्ति हेतु किसी समाचार पत्र में भी कोई विज्ञापन नहीं प्रकाशित कराया गया, न ही इस पद हेतु कोई परीक्षा या साक्षात्कार की प्रक्रिया अपनाई गई। अचानक 9 जनवरी 2009 को अग्रवाल की प्रतिनियुक्ति आदेश जारी होते हैं और इसी दिन वे पावर कॉर्पोरेशन में तैनात हो जाते हैं।
 
जानकारों ने बताया कि शासकीय आदेशों के अनुसार प्रतिनियुक्ति की अधिकतम अवधि पांच वर्ष है जबकि एसके अग्रवाल की प्रतिनियुक्ति अवधि पाच वर्ष 8 जनवरी 2014 को पूर्ण हो गई है किन्तु सरकार की कृपा के चलते अग्रवाल को उनके पैतृक विभाग उप्र राजकीय निर्माण निगम वापस नहीं भेजा गया है।
 
जानकारों ने बताया कि एसके अग्रवाल को उप्र पावर कॉर्पोरेशन में आज तक निदेशक वित्त के पद पर नियुक्त / तैनात रखा गया है जबकि दिनांक 31 जुलाई 2014 को अग्रवाल को सेवानिवृत्त हो जाना था किन्तु आज तक वे इस पद पर जमे हैं। 
 
मालूम हो कि एसके अग्रवाल ने चार्टड एकाउंटेट बनने के बाद पहली बार 1978 में उप्र समाज कल्याण निर्माण निगम लि. में अपनी सेवा सेक्रेटरी सह वित्तीय अधिकारी के रूप में प्रारंभ की थी, मात्र 6 वर्षों में वे इसी निगम में जनरल मैनेजर (वित्त एवं प्रशासन) एवं कम्पनी सेक्रेटरी बन गए। वे इस पद पर 1982 से 3.12.1993 तक रहे। वर्ष 1993 से  वर्ष 2000 एवं 2001 तक वे उप्रराजकीय निर्माण निगम में सचिव सह वित्तीय सलाहकार के रूप में तैनात रहे। वे 8.9.2000 से 19.2.2001 तक उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि. में निदेशक वित्त के पद पर तैनात रहे। 
 
अग्रवाल का मूल विभाग क्या?
यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि एसके अग्रवाल का मूल विभाग कौनसा है, उप्र समाज कल्याण निगम लि. या उप्र राजकीय निर्माण निगम। उप्र राजकीय निर्माण निगम के जीएम मुख्‍यालय  ने बताया कि हमारे यहां से 31 जुलाई 2014 को एसके अग्रवाल को सेवानिवृत्त कर दिया गया है किन्तु उन्होंने आश्चर्य जताया कि पता नहीं अग्रवाल को यहां से क्यों सेवानिवृत्त किया गया क्योंकि यह उनका मूल विभाग ही नहीं था।
 
जब उप्र समाज कल्याण निगम के प्रबन्ध निदेशक से एसके अग्रवाल के बारे में जानकारी ली तो उन्होंने इस नाम के किसी भी कर्मचारी के निगम से सम्बधित होने से इंकार कर दिया। सब कुछ मिलाकर सुरेश कुमार अग्रवाल का पूरा सेवाकाल विवादों से घिरा है। वे आज भी उप्र पावर कॉर्पोरेशन में अपने पद पर आसीन हैं यह चर्चा का विषय है।