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Written By अरविन्द शुक्ला

यूपी में करोड़ों रुपए का बिलिंग घोटाला

यूपी में करोड़ों रुपए का बिलिंग घोटाला - UP Billing scam
लखनऊ। काफी लम्बे समय से उत्तरप्रदेश में हो रहे बिलिंग घोटाले पर कुछ दिनों पहले एसटीएफ की टीम द्वारा जिस तरह बड़ा खुलासा किया गया, उससे यह बात स्पष्ट हो गई है कि पूरे प्रदेश में बिलिंग घोटाले का संगठित गिरोह है, जो कुछ कार्मिकों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर बिलिंग घोटालों को अंजाम दे रहा है। 
 
नियामक आयोग द्वारा प्रत्येक वर्ष बिजली दरों में बढ़ोती की जाती है, उसके अनुक्रम में आयोग द्वारा प्रत्येक वर्ष यह तय किया जाता है कि टैरिफ बढ़ोतरी के अनुसार साल भर में कितना राजस्व लाना है, परन्तु किसी भी वर्ष बिजली कम्पनियां अपना पूरा राजस्व नहीं ला पातीं। उसका बहुत बड़ा कारण यह भी है कि इस तरह की बिलिंग घोटालों का होना। 
वर्तमान में नजर डालें तो गैर सरकारी उपभोक्ताओं से वर्ष 2014-15 में जो कुल राजस्व प्रदेश की बिजली कम्पनियों को प्राप्त हुआ है, वह लगभग 25797 करोड़ है और वहीं जो कार्मिक लक्ष्य था, वह लगभग 28806 करोड़ था। यानी कि लगभग 3000 करोड़ लक्ष्य से पीछे कम्पनियां रहीं। सही मायने में बिलिंग घोटालों की वजह से प्रत्येक माह बड़ा राजस्व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। यदि बिलिंग घोटालों पर पूरे प्रदेश में रोक लगा ली जाए तो लगभग 100 करोड़ रुपए प्रतिमाह राजस्व बढ़ जाएगा। 
 
वर्तमान में बिजली बकायों पर नजर डालें तो वर्तमान में पॉवर कॉरपोरेशन का प्रदेश के समस्त श्रेणी के उपभोक्ताओं पर अगस्त 2014 तक लगभग 23135 करोड़ रुपए का बकाया है।
 
यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रत्येक वर्ष एक मुश्त समाधान योजना के तहत पिछले बकाए से भी राजस्व में करोड़ों रुपए जुड़ रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि करोड़ों की रकम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। जिसका खामियाजा दरों में बढ़ोतरी के रूप में जनता भुगत रही है। एचसीएल कंपनी पर कार्यवाही के लिए क्यों नहीं आ रहा है ऊर्जा विभाग आगे? 
 
उत्तरप्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कम्पनियों में जिस भी वितरण खंड में इस तरह के बिलिंग घोटाले पासवर्ड के आधार पर हुए हैं, उस खंड के अधिशासी अभियंता द्वारा अपने सिस्टम में संशोधित बिल के मिलान में क्यों नहीं देखा गया? जबकि हर सिस्टम में यह रिपोर्ट उपलब्ध रहती है कि कब किसने किस आईडी से किस उपभोक्ता का बिल संशोधित किया।
 
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बिना मिलीभगत के इस तरह के बिलिंग घोटाले नहीं हो सकते और सबसे बड़ा सवाल यह है कि शक्ति भवन मुखयालय जहां पर बिलिंग कम्पनी एचसीएल का मास्टर सर्वर स्थापित है और उसकी मानीटरिंग के लिए आरएपीडीआरपी की यूनिट एक निदेशक स्तर के अधिकारी की देख-रेख में काम कर रही है। उनके द्वारा अनुश्रवण में चूक किस आधार पर हुई। यह सबसे बड़ा जांच का प्रश्न है। एचसीएल के अधिकारियों को समय-समय पर जिन भी उच्चाधिकारियों द्वारा संरक्षण दिया गया, उन सभी की जांच होना अतिआवश्यक है। 
 
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि यह बिलिंग घोटाला अरबों का हो सकता है जो अपने आप में ऊर्जा क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार होगा और निश्चित रूप से जिसका खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ताओं को भुगतना है। ऐसे में प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जिनके पास ऊर्जा मंत्रालय का कार्यभार है, उन्हें अविलम्ब आगे आकर हस्तक्षेप करते हुए उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने का निर्देश देना चाहिए, क्योंकि यह प्रदेश के ईमानदार उपभोक्ताओं के लिए बड़ा तमाचा है।