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Last Modified: शनिवार, 1 नवंबर 2014 (16:19 IST)

जश्ने-बचपन में कूड़ा बीनने वाले खास मेहमान

जश्ने-बचपन में कूड़ा बीनने वाले खास मेहमान - Theatrical Festival
-सुनील जैन
नई दिल्ली (वीएनआई)। राजधानी में रविवार से एक अनूठा नाट्य महोत्सव शुरू हो रहा है जिसमें दिखाए जाने वाले नाटकों को देखने के लिए फुटपाथ पर सोने वाले, सड़क पर कूड़ा बीनने वाले, बाल सुधार गृह में रहने वाले और आर्थिक रूप से कमजोर, समाज के वंचित तबके के बच्चों को खासतौर पर आमंत्रित किया गया है।
 
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एनएसडी की संस्कार रंग टोली (थिएटर इन एजुकेशन कंपनी) के रजत जयंती वर्ष पर इस बार विशेष नाट्य 'जश्ने-बचपन' होगा जो कि कल से शुरू हो कर बाल दिवस 14 नवंबर  तक चलेगा।
 
एनएसडी के निदेशक प्रो. वामन केंद्रे के अनुसार हमारी कोशिश है, नाटकों को उन बच्चों तक पहुंचाना है जो यहां नाटक देखने नहीं आ पाते ताकि ये बच्चे भी जश्ने बचपन मना सके, उस जश्न में शामिल हो सकें। जश्ने- बचपन महोत्सव 2014 में 12 भाषाओं में लगभग 30 नाटकों का मंचन किया जाएगा जिसमें सुश्री स्वातिलेखा सेनगुप्ता, केजी कृष्णमूर्ति और माणिक रॉय सहित अन्य निर्देशकों के नाटकों का मंचन  किया  जाएगा। इसमें 18 राज्यों से आए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) की संस्कार रंग टोली (टीआइई) हिस्सा लेंगी। पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद येस्सो नाईक इसका उदघाटन करेंगे।
 
प्रो. वामन ने बताया कि ऐसे बच्चों के साथ काम करने वाली 30 गैरसरकारी संस्थाओं से संपर्क किया गया है ताकि वे बच्चों को उनके 'अपने जश्न' में शामिल करवा सके,  कुछ संगठन इसमें भागीदारी करने के लिए सहमति भी दे चुके है। संस्थान ऐसे बच्चों को लाने और पहुंचाने की विशेष व्यवस्था करेगा। एनएसडी के जनसंपर्क अधिकारी एके बरुआ ने बताया कि इन नाटकों का प्रदर्शन अभिमंच, बहुमुख तथा एनएसडी मुक्ताकाश थियेटरों में किया जाएगा। इसके लिए कोई टिकट नहीं रखा गया है।
 
प्रो. वामन केंद्रे के अनुसार बाल रंगमंच आज की जरूरत है क्योंकि ये बच्चों के व्यक्तित्व आत्मविश्वास, विजन और परख निखारने और बतौर  कलाकार उनकी संवेदनशीलता को संवारने में अहम भूमिका अदा करता है। रंगमंच के अनुभवों में बाल रंगमंच बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है और अब वक्त आ गया है कि रंगमंच को हम अपने पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाएं।
 
महोत्सव के ही दौरान आगामी 12 से 14 नवंबर को तीन दिवसीय सेमिनार में 'रंगमंच- यह किसकी आवश्यकता है' विषय पर रंगमंच की प्रमुख हस्तियां, रुद्र प्रसाद सेनगुप्ता, फैजल अल्काजी, कंचन सोनटक्के, बंसी कौल सहित कई अन्य लोग विचार रखेंगे। संस्कार रंग टोली ने इस वर्ष जश्न-ए-बचपन संस्करण में बाल व वयस्क अभिनेताओं तथा इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की हिस्सेदारी पर जोर दिया है। प्रो. केंद्रे ने कहा कि दरअसल जश्ने-बचपन हर तबके के बच्चे का शो बनना चाहिए और हम इसी दिशा  में प्रयास कर रहे हैं।