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Last Updated :नई दिल्ली , रविवार, 29 मार्च 2015 (20:41 IST)

रामदास लोकपाल और भूषण पीएसी से बाहर

रामदास लोकपाल और भूषण पीएसी से बाहर - Ramdas
नई दिल्ली। राष्ट्रीय कार्यकारिणी से प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को बाहर किए जाने के बाद आज आम आदमी पार्टी (आप) ने भूषण को अनुशासन समिति से बाहर कर दिया तथा एडमिरल (सेवानिवृत्त) एल रामदास को आंतरिक लोकपाल के पद से हटा दिया।
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की 'आपात' बैठक में आप ने आंतरिक लोकपाल पैनल में बदलाव करते हुए तीन नए सदस्यों को शामिल किया तथा नई अनुशासन समिति का गठन किया।
 
आप ने फैसला किया है कि अब भूषण के स्थान पर दिनेश वाघेला तीन सदस्‍यीय अनुशासन समिति की अध्यक्षता करेंगे। इसमें अरविंद केजरीवाल के वफादार माने जाने वाले आशीष खेतान और राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता शामिल हैं। नए लोकपाल पैनल में पार्टी पूर्व आईपीएस अधिकारी एन दिलीप कुमार, राकेश सिन्हा तथा शिक्षाविद् एसपी वर्मा को लाई है।
 
आप के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने कहा, इन सभी लोगों ने पार्टी के लोकपाल पैनल के लिए अपनी ओर से सहमति दे दी है। पूर्व नौसेना प्रमुख रामदास को लोकपाल के पद से हटाने का फैसला उस वक्त हुआ जब एक दिन पहले उन्हें गुप्ता की ओर से एसएमएस भेजकर आग्रह किया गया था कि वे राष्ट्रीय परिषद की बैठक में शामिल नहीं हों, ताकि 'टकराव' को टाला जा सके।
 
इस कदम से नाराज रामदास ने पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) को पत्र लिखकर आप के नेतृत्व की आलोचना की। केजरीवाल रामदास की ओर से भेजे गए राजनीतिक संदेशों को लेकर परेशान रहे हैं और इस कारण भी उनको राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नहीं आने के लिए कहा गया।
 
रामदास ने कहा था कि वे इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए महाराष्ट्र से दिल्ली आए थे, लेकिन उन्होंने कहा कि पार्टी के आग्रह को 'सम्मान देने' के लिए वे बैठक में शामिल नहीं होंगे। 
 
भूषण और यादव को पीएसी एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर करने के बाद अब उनको पार्टी से निकालने की अटकलें लगाई जा रही हैं। दोनों नेताओं ने कल उनको पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर किए जाने के फैसले को 'मजाक और गैरकानूनी' बताया था। उन्होंने कहा कि वे कानूनी कदम भी उठा सकते हैं।
 
भूषण और यादव ने यह भी संकेत दिया कि जरूरत पड़ने पर वे नई पार्टी का गठन कर सकते हैं। उनका दावा है कि उनको आप के कार्यकताओं के बड़े तबके का समर्थन हासिल है।
 
आप में करीब दो महीनों से चल रही आंतरिक कलह के बाद शनिवार को राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मतदान के जरिए यादव और भूषण को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर किया गया। 311 सदस्‍यीय राष्ट्रीय परिषद में दोनों को बाहर किए जाने संबंधी प्रस्ताव के पक्ष में 247 और विपक्ष में आठ वोट पड़े। इस बैठक में बवाल और मारपीट तक के आरोप एवं प्रत्यारोप लगाए गए।
 
पार्टी ने आज केजरीवाल के उस संबोधन का वीडियो जारी किया जो उन्होंने कल राष्ट्रीय परिषद में दिया था। इस वीडियो को यूट्यूब और आप के आधिकारिक टि्वटर हैंडलर पर पोस्ट किया गया है।
 
केजरीवाल ने भावुक संबोधन में कहा, जब पूरी दिल्ली हमारे साथ खड़ी थी तो हमारे कुछ मित्रों ने धोखा किया। मैं भारी मन से यह बात कह रहा हूं कि जब पूरी दिल्ली हमारे साथ थी तो कुछ मित्रों ने पीठ में छुरा घोंपा। 
 
उन्होंने कहा, दिल्ली में हमारी हार सुनिश्चित करने के लिए साजिशें रची गईं। 'अवाम' का गठन किया गया और इसका सहयोग किया गया। उस वक्त मीडिया में यह आया कि अवाम के सदस्य भाजपा के पूर्व सदस्य हैं और भाजपा उनको वित्तीय मदद दे रही है।
 
केजरीवाल ने कहा, प्रशांतजी ने कई लोगों से कहा कि हम सोचते हैं कि पार्टी हारेगी तभी पार्टी और केजरीवाल सबक सीखेंगे। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो हम प्रेस के सामने जाएंगे और पार्टी को बर्बाद कर देंगे। 
 
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, खबरें प्लांट की गईं। दो बड़े समाचार चैनलों के वरिष्ठ संपादकों ने मुझे बताया कि योगेंद्र यादव मेरे खिलाफ खबरें प्लांट कर रहे थे। बहुत सारे स्वयंसेवी दिल्ली आना चाहते थे। उन्हें रोका गया। चंदा देने वाले कई लोगों को प्रचार करने से रोका गया। 
 
केजरीवाल ने कहा, हद तब हो गई जब पार्टी के हमारे वरिष्ठ नेता (शांति भूषण) ने कहा कि किरण बेदी उनकी पहली पसंद हैं, अजय माकन दूसरी तथा केजरीवाल तीसरी पसंद हैं। मैं जानना चाहता हूं कि आप फिर इस पार्टी में क्यों हैं? 
 
आप के संयोजक ने कहा, मुझे कमजोर करने, पार्टी को कमजोर करने की कोशिशें हुईं। जब मैं बेंगलुरु से आया तो मैंने अपनी टीम के सदस्यों से बात की और उसी रात उनको योगेंद्र भाई के घर बात करने के लिए भेजा। उस दिन से लेकर कल से पहले (गुरुवार) तक हमने समस्या को हल करने का भरसक प्रयास किया। 
 
केजरीवाल ने कहा, उन्होंने (यादव और भूषण) ने पहले कहा कि उनकी पांच मांगें हैं, अगर ये मान ली जाती हैं तो वे पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे। यह थोड़ा चौंकाने वाला था, आमतौर पर लोग कहते हैं कि या तो पार्टी को दुरुस्त करो या तो हम पार्टी छोड़ देंगे। यह सब ढकोसला था। वे दुनिया को यह दिखा रहे थे कि यह सिद्धांतों की लड़ाई है। 
 
उन्होंने कहा, इस पार्टी को लीजिए, लेकिन इसकी हत्या मत कीजिए। मैं यहां इन लोगों से लड़ने के लिए नहीं हूं। मेरी लड़ाई भ्रष्टाचार और सांप्रदायिक ताकतों से है। मैं यहां प्रशांतजी और योगेंद्रजी से लड़ने नहीं आया हूं। मैं हार मानता हूं। 
 
केजरीवाल ने कहा, आप लोग जीत गए। मैं इस लड़ाई को खत्म करने आया हूं। आपको आज फैसला करना है। बीते एक साल में राष्ट्रीय कार्यकारिणी और पीएसी की हर बैठक में लड़ाई और बहस हुई है। आपको फैसला करना है कि आप किसे चुनना चाहते हैं? या तो मुझे चुनिए या फिर उनको। (भाषा)