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ऊंट, घोड़ों की दौड के बीच पुष्कर मेला शुरू

ऊंट, घोड़ों की दौड के बीच पुष्कर मेला शुरू - Pushkar Fair in Rajasthan
-अनुपमा जैन
नई दिल्ली। धूल उड़ाते सजे-संवरे ऊंट, घोड़ों की धूल से बेपरवाह रंग-बिरंगी राजस्थानी पगड़ियों में सजे देशी, विदेशियों के उत्साह और उल्लास के बीच शुक्रवार को यहां अनूठा पुष्कर पशु मेला शुरू हो गया। मेला देश-विदेश के सैलानियों की दिलचस्पी तथा उत्सुकता का केन्द रहा है। पशु मेले के रूप में अपनी अनूठी पहचान कायम कर लेने वाले इस मेले का खास आकर्षण अद्‍भुत साज-सज्जा वाले ऊंटों के  साथ-साथ मजबूत कद-काठी वाले घोड़े हैं, जिनकी खरीद-फरोख्त यहां की जाती है साथ ही उनकी विशेषताएं प्रदर्शित करने के लिए खास प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। 
 
वैसे तो मेला मुख्य रूप से ऊंटों व अन्य पशुओं की खरीद-फरोख्त के लिए शुरू हुआ था, लेकिन आज इसका स्वरूप एक अनूठे आयोजन का रूप ले चुका है, जहा इसके अनूठेपन की वजह से बड़ी तादाद में विदेशी खिंचे चले आते हैं। राजस्थान सरकार के एक प्रवक्ता के अनुसार अपनी इस अनूठी पहचान की वजह से देश के साथ साथ विदेशियों में यह मेला बहुत लोकप्रिय है। विदेशी खासतौर पर मेले में पगड़ी बांधने, घोड़ा दौड़ जैसी प्रतियोगिताओं में खासे उत्साह से हिस्सा लेते हैं और पशु दौड़ का उत्सुकता से इंतजार करते हैं। 
 
महोत्सव के रूप में पहचान रखने वाला पुष्कर मेला कई वजहों से खास है। यह हिन्दू वर्ष के अनुसार कार्तिक-माघ माह में मनाया जाता है। पुष्कर मेला आगामी 6 नवंबर (कार्तिक पूर्णिमा) तक मनाया जाएगा।
 
मोटे अनुमान के अनुसार पुष्कर मेले में कम से कम 50,000 से अधिक ऊंटों को लाया जा रहा है। मुख्यतया ये ऊंट खरीद-फरोख्त के लिए लाए जाते हैं परन्तु उससे अलग भी ऊंटों के लिए ऊंट दौड़ प्रतियोगिता आदि आयोजन होते हैं, जिसमें विजेता ऊंट को पुरस्कार मिलता है।
 
इसमें ऊंटों को सजाया जाता है। उनके शरीर के बालों को नक्काशीदार ढंग से काटकर उन्हें सुन्दर दिखाने की कोशिश की जाती है। इसमें हर वर्ष दर्जनों ऊंटों द्वारा भाग लिया जाता है। सर्वश्रेष्ठ दिखने वाले ऊंटों को पुरस्कार दिया जाता है।
 
इस मेले का एक और अनूठा आकर्षण घोड़ी नृत्य और ऊंट नृत्य हैं। रंग-बिरंगे परिधानों में सजे-संवरे घोड़े, ऊंट यहां पर आए देशी-विदेशी सैलानियों को नृत्य दिखा कर आल्हादित करते हैं। भारत के पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहन की दृष्टि से कबड्‍डी प्रतियोगिता तथा ग्रामीण खेलकूद गतिविधियां भी मेले का एक विशिष्ट आकर्षण होता है।
 
लोकप्रिय स्थानीय खेल कबड्डी की प्रतियोगिता में स्थानीय व विदेशी सैलानियों के बीच मैच होता है, जीतने वाली टीम को पुरस्कार मिलता है। ऐसी ही एक नायाब प्रतियोगिता पगड़ी प्रतियोगिता मुख्य रूप से विदेशी सैलानियों के लिए होती है। पगड़ी प्रतियोगिता में विदेशी सैलानियों को कम से कम समय में अपने सर पर राजस्थान की आन, बान और शान की निशानी पगड़ी बांधनी होती है। विदेशी पुरुषों के साथ-साथ विदेशी महिलाओं में भी खेलकूद गतिविधियां, पशु प्रदर्शनियां कला-शिल्प बाजार, महाआरती और दीपदान खासे आकर्षण व कौतूहल का विषय होती हैं।
 
विदेशी इस मौके पर पारंपरिक राजस्थानी खाने के साथ यहां सर्प नृत्य, कालबेलिया तथा अन्य लोक नृत्यों का भी आनंद लेते हैं। वैसे पिछले कुछ वर्षों से विदेशियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र बनते जा रहे पुष्कर में पित्जा, कॉन्टिनेंटल खाने के साथ विदेशी खाने के बोर्ड वाली की दुकानें आम बात हैं और स्थानीय समुदायों के साथ-साथ विदेशियों का भी मनोरंजन करती हैं। देश-विदेश से हजारों पर्यटक इस मेले में राजस्थान की खूबसूरती और लोककला का आनंद लेने आते हैं।
 
पुष्कर आने वाले पर्यटकों के लिए एक मुख्य आकर्षण चौदहवीं सदी में बना भगवान ब्रह्मा का मंदिर है। पौराणिक मान्यता के अनुसार थार के रेगिस्तान के ऊपर से उड़ते समय ब्रह्माजी के हाथ से कमल के तीन फूल गिर गए थे, जिससे तीन झील बनी थीं। ब्रह्मा जी ने इसी स्थान पर यज्ञ किया था। यज्ञ भूमि पर ही ब्रह्मा मंदिर बनाया गया था। भारत में ब्रह्मा जी का यह एकमात्र मंदिर है। (वीएनआई)