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Last Updated : शनिवार, 24 फ़रवरी 2024 (13:09 IST)

अमीर मंदिरों पर नहीं लगेगा टैक्स, BJP-JDS के विरोध से कर्नाटक विधान परिषद में अटका विधेयक

अमीर मंदिरों पर नहीं लगेगा टैक्स, BJP-JDS के विरोध से कर्नाटक विधान परिषद में अटका विधेयक - Opposition defeats Karnataka Bill to tax rich Hindu temples
उच्च सदन में ध्वनिमत से गिरा विधेयक 
यहां विपक्षी दलों के पास है बहुमत
विधानसभा में शुक्रवार को पास हुआ था बिल
 
Karnataka news in hindi : कर्नाटक में 10 लाख से अधिक वार्षिक आय वाले मंदिरों से कोष एकत्र करने संबंधी विधेयक विधान परिषद में विपक्षी भाजपा-जद(एस) गठबंधन के चलते गिर गया। इसे राज्य की सिद्धारमैया सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
 
कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक 2024 को इस सप्ताह की शुरुआत में विधानसभा से मंजूरी मिल गई थी। शुक्रवार को उच्च सदन में ध्वनिमत से विधेयक गिर गया, जहां विपक्षी दलों के पास बहुमत है।
 
विधेयक में 10 लाख रुपए से एक करोड़ रुपए के बीच वार्षिक आय वाले मंदिरों से 5 प्रतिशत और एक करोड़ रुपए से अधिक आय वाले मंदिरों से 10 प्रतिशत राशि एकत्रित करने का प्रस्ताव है।
 
विधेयक में कहा गया है कि एकत्रित धन को 'राज्य धार्मिक परिषद' द्वारा प्रशासित एक साझा कोष में डाला जाएगा, जिसका उपयोग 5 लाख से कम आय वाले 'सी' श्रेणी के मंदिरों (राज्य नियंत्रित) के अर्चकों (पुजारियों) के कल्याण के लिए किया जाएगा।
 
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष कोटा श्रीनिवास पुजारी ने पुजारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के कदम का स्वागत किया, हालांकि मंदिरों द्वारा अर्जित राजस्व के दुरुपयोग का विरोध किया। उन्होंने सवाल किया कि सरकार उनके कल्याण के लिए बजट के तहत धन क्यों नहीं दे सकती। विपक्ष ने विधेयक में मंदिर समिति के अध्यक्ष को सरकार द्वारा मनोनीत करने के प्रस्ताव का भी विरोध किया।
 
‘मुजराई’ मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने विपक्ष को समझाने की कोशिश करते हुए सदन को आश्वासन दिया कि सरकार मंदिर समिति के अध्यक्ष के मनोनयन में हस्तक्षेप नहीं करेगी और मंदिरों से साझा कोष में दी जाने वाली प्रस्तावित राशि को भी कम करेगी।
 
विपक्ष ने विधेयक पारित करने से पहले इसमें संशोधन किए जाने पर जोर दिया, जिसको देखते हुए रेड्डी ने सोमवार तक का समय मांगा और कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के साथ इस पर चर्चा करने की जरूरत है क्योंकि इसमें वित्तीय निहितार्थ शामिल हैं।
 
हालांकि, सभापति के रूप में मौजूद उप सभापति एम. के. प्रणेश ने सोमवार तक का समय न देते हुए कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है क्योंकि सदन पहले ही विधेयक पर विचार कर चुका है। इसके बाद विधेयक पर मतदान हुआ और यह विपक्षी भाजपा-जद(एस) गठबंधन के संख्या बल की वजह से गिर गया।
Edited by : Nrapendra Gupta