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Last Updated : शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2014 (20:23 IST)

आसान नहीं होगी खट्टर के लिए हरियाणा की सियासत

आसान नहीं होगी खट्टर के लिए हरियाणा की सियासत - Manohar Lal Khattar, Haryana Chief Minister
सुनील जैन 
 
नई दिल्ली। हरियाणा की राजनीति में लंबे समय से चल रहे वंशवाद के शासन की समाप्ति के बाद  पहली बार विधायक बनते ही मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने वाले मनोहरलाल खट्टर के लिए हरियाणा की सियासत की डगर आसान नही होगी।  
 
खट्टर को दो-दो मोर्चों पर टक्कर लेनी है, एक तो वे ऐसे समय राज्य की कमान संभाल रहे हैं जबकि भ्रष्टाचार की दलदल में फंसे हरियाणा की जनता ने मोदी लहर के बीच पहली बार भारतीय जनता पार्टी को बदलाव की उम्मीद में बहुमत सरकार बनाने का मौका दिया है और दूसरी तरफ लगभग चालीस वर्षों तक संघ के प्रचारक रहे खट्टर को हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद होने की वजह से वर्षोंसे मुख्यमंत्री पद का सपना पाले प्रांत के सभी कद्दावर नेताओं ने ज़ाहिराना तौर पर मंजूर किया है, पर असलियत यह भी है कि उन सबके मन की गांठें मोदी की 'सुप्रीमो' छवि के चलते बाहर नहीं आ पाई है।

इन दोनो मोर्चों पर संतुलन बनाते हुए खट्टर को राज्य की जनता को दिए गए भाजपा के 'सुशासन' के वादे को पूरा करना होगा। खट्टर को मोदी के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह व संघ का समर्थन प्राप्त है। खट्टर आगामी रविवार को पंचकूला के दिलशाद गार्डन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
 
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार खट्टर के लिए प्रशासनिक फ्रंट पर पिछली सरकार द्वारा राज्य के ऊपर छोड़ा गया एक मोटा कर्ज, भाजपा चुनाव घोषणापत्र में बुजुर्ग पेंशन व बेरोजगारी भत्ते की व्यवस्था करना, अफसरशाही को चुस्त, मुस्तैद करना सरकार को  पारदर्शी/ जवाबदेह बनाना बड़ी चुनौती होगा जबकि दूसरी और राज्य में भ्रष्टाचार के आरोपों, भर्ती, भूखंड घोटालों की जांच के वादे को भी उनकी सरकार पर पूरा करने की जिम्मेवारी है। गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान भी भाजपा  ने रॉबर्ट वॉड्रा के गुड़गांव में हुए सौदे की जांच करवाने तथा सुशासन देने का वादा किया था। संघ के प्रचारक और भाजपा से जुड़ने के बाद से वे राज्य का व्यापर दौरा करते रहे हैं। यहां की समस्याओं से  भलीभांति अवगत हैं।
 
खट्टर ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा भी था कि यदि उन्हें राज्य की सेवा करने का मौका मिलता है तो वे प्रगति, विकास का लाभ आम जनता तक पहुंचाएंगे, न की कुछ मुट्ठीभर लोगों को लाभ उठाने देंगे। संघ के प्रचारक के समय से ही खट्टर की छवि एक कर्मठ कार्यकर्ता की रही है। मोदी के नजदीकी होने के साथ-साथ उनकी कार्यशैली भी काफी कुछ उन्ही जैसी है। देर तक काम करना, जनता से सीधे तौर पर जुड़ने का प्रयास करना उनकी कार्यशैली रही है, पर लंबे समय तक जातीय समीकरण में फंसे विशेष तौर पर काफी वक्त तक जाट मुख्यमंत्री शासनकाल देख चुके हरियाणा में पहली बार गैर जाट पंजाबी मुख्यमंत्री बना है, ऐसे में खट्टर को जातीय समीकरणों का भी संतुलन बनाना होगा और सभी समुदायो  का विश्वास जीतना होगा। खट्टर हरियाणा के पहले गैर जाट मुख्यमंत्री भजनलाल के मुख्यमंत्रीकाल के 16 वर्ष बाद पहले गैर जाट मुख्यमंत्री बने हैं।

खट्टर हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के  अनेक कद्दावर दावेदारों के बीच सर्वसम्मति से हरियाणा विधानसभा में 47 सदस्यों वाले भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए थे।  सुशासन की आस में बैठे हरियाणावासियों को वे पहले उम्मीद भी बंधा चुके हैं कि यदि वे मुख्यमंत्री बनते हैं तो वे चाहेंगे से लोग अपनी शिकायत सरकार को सीधे भेजें और इसके लिए वो सोशल मीडिया की मदद लेंगे। हरियाणा के तीन लाल बंसीलाल, देवीलाल तथा भजनलाल के बाद अब मनोहर लाल हरियाणा के तीसरे 'लाल' है जो मुख्यमंत्री बने हैं। बंसीलाल तीन बार, देवीलाल दो बार तथा भजनलाल तीन बार राज्य के मुख्यमं‍त्री रहे हैं। ऐसे में हरियाणा के 'चौथे लाल' इन तमाम वादों, आकाक्षांओं के बीच हरियाणा की सियासत की इस कठिन डगर पर कैसे आगे बढ़ते हैं, इस पर सभी की निगाहें रहेंगी। (वीएनआई)