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Last Updated : मंगलवार, 16 सितम्बर 2014 (12:58 IST)

अब अलगाववादी भी दिख रहे हैं, पत्थरबाज भी...

अब अलगाववादी भी दिख रहे हैं, पत्थरबाज भी... - Kashmir Flood
-सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। कश्मीर के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही जो चेहरे सामने दिखने लगे हैं उनमें अलगाववादी नेता, पत्थरबाज और राजनीतिज्ञ हैं। रोचक और दुखदायक तथ्य इन चेहरों का यह है कि जब कश्मीरी 10 दिनों तक 5 से 18 फुट के पानी के समुद्र में कराहते रहे थे तो न ही राजनीतिज्ञ उनकी मदद को आए थे और न ही कहीं कोई वह अलगाववादी नेता दिखा था जो अपने आपको कश्मीरियों का रहनुमा और हमदर्द कहत था। पता नहीं कश्मीर के इन नासूरों को यहां की जनता कब पहचानेगी।

इतना जरूर था कि अलगाववादी नेताओं के सामने आने के साथ ही पत्थरबाज और वे ताकतें भी सामने आने लगी हैं जो राहत कार्यों में बाधा उत्पन्न कर आम और त्रस्त कश्मीरियों के मुंह से निवाला छीनना चाहती हैं।
पिछले तीन दिनों से ही अलगाववादी नेता, पत्थरबाज और राजनीतिज्ञ नजर आने लगे हैं। पत्थरबाजों ने करीब चार घटनाओं में पत्थरबाजी को फिर से चालू कर न सिर्फ राहत कार्यों में बाधा पहुंचाई बल्कि एक उस हेलीकॉप्टर को भी अपने पत्थरों से निशाना बना डाला जो श्रीनगर शहर के डाउन टाउन इलाके में से लोगों को बाढ़ के पानी से निकालने के कार्य में जुटा था। पत्थरबाजों की इस कार्रवाई के तुरंत बाद हालांकि पायलट हेलीकॉप्टर को सुरक्षित वापस लौटाने में कामयाब हुआ पर हेलीकॉप्टर को क्षति पहुंचने के कारण फिलहाल उस हेलीकॉप्टर को राहत कार्य से हटा दिया गया है।
 
इस घटना का परिणाम भी सामने है। जिस इलाके में हेलीकॉप्टर पर पत्थरबाजी की घटना हुई, बाढ़ग्रस्त इलाकों से लोगों को निकालने का कार्य स्थगित कर दिया गया है। हालांकि इससे पहले उस इलाके में भी लोगों को नावों द्वारा निकालने का कार्य बंद कर देना पड़ा था, जहां पत्थरबाजों ने आपदा प्रबंधन के राहतकर्मियों पर पत्थर बरसा कर उन्हें जख्मी कर दिया था।
 
इस घटना के बाद राज्य सरकार से राहत टीमों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए मदद मांगी गई तो राज्य सरकार ने जम्मू कश्मीर सशस्त्र पुलिस की दो बटालियनों को हवाई जहाज से श्रीनगर में उतारा है। जम्मू से पुलिस को इसलिए ले जाना पड़ा है क्योंकि श्रीनगर समेत आसपास के इलाकों में तैनात पुलिसकर्मी और उनके अफसर पिछले 11 दिनों से ठीक उसी प्रकार लापता हैं, जैसे बाढ़ का पानी चढ़ने के साथ ही अलगाववादी नेता और राजनीतिज्ञों के साथ-साथ राज्य सरकार के अफसर और मंत्री गायब हो गए थे।
 
इस अलगाववादी ने राहत ले जा रही नौका ही छीन ली... पढ़ें अगले पेज पर....
 
 
अब अलगाववादी नेता भी मैदान में लौट आए हैं। साथ ही उनका भारत विरोधी कार्यक्रम भी लौट आया है। बजाय इसके कि वे भारतीय सेना और वायुसेना के राहत अभियानों में कोई मदद करें उल्टे अलगाववादी नेताओं ने इस हालात में भी कश्मीरियों को भारत के खिलाफ भड़काना आरंभ कर दिया है। इस आशय के बकायदा बैनर भी कई जगहों पर टांग दिए गए हैं, जिसमें लिखा गया है कि उन्हें भारत और भारतीय सेना की मदद की कोई जरूरत नहीं है।
 
यह तो कुछ भी नहीं। ताजा घटना में तो जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के उस नेता यासीन मलिक ने राहतकर्मियों से एक राहत ले जा रही बोट को छीन लिया, जो तब तक नई दिल्ली में ही मजे लेता रहा जब कश्मीर बाढ़ के पानी में डूबा रहा और कश्मीरी राहत के लिए पुकारते रहे और आज उसने राहतकर्मियों से यह कह कर राहत सामग्री से भरी बोट छीन ली कि वह कश्मीरियों का सच्चा प्रतिनिधि है।
 
इसी प्रकार के प्रतिनिधि अब राजनीतिज्ञ और राज्य सरकार के मंत्री भी बनने लगे हैं जो 10 दिनों के बाद परिदृश्य में लौट आए हैं। हालांकि अभी भी कई मंत्री और विधायक लापता हैं, जिनसे खुद उमर सरकार का संपर्क नहीं हो पा रहा है। उनके लिए यह दुआ जरूर की जा रही है कि वे बाढ़ का पानी उतरते ही नजर जरूर आ जाएं।