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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: सोमवार, 22 मई 2017 (17:36 IST)

कश्मीर में 10 पुलिसवाले बने आतंकवादी

कश्मीर में 10 पुलिसवाले बने आतंकवादी - Jammu-Kashmir Terrorist Police
श्रीनगर। कश्मीर के बडगाम जिले में पुलिस नाके से सर्विस राइफलें लेकर भागने वाला पुलिस कांस्टेबल कथित तौर पर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया है।
 
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि कांस्टेबल सैयद नवीद मुश्ताक शनिवार को बडगाम में चांदपुरा स्थित एफसीआई गोदाम की गार्ड पोस्ट से चार इंसास राइफलें लेकर भाग गया था। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है कि कोई आतंकी हथियार लेकर भागा हो और बाद में आतंकी ग्रुप में शामिल हो गया हो बल्कि पिछले 6 सालों के आंकड़े बताते हैं कि 10 पुलिस वाले ऐसा कर चुके हैं। 
 
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि जानकारी में यह पता चला है कि मुश्ताक हिज्बुल आतंकी समूह में शामिल हो गया है। हिज्बुल इसकी पुष्टि भी कर चुका है। ऐसा कई बार हुआ है, जब जम्मू कश्मीर के पुलिसकर्मी सर्विस राइफलें लेकर भागे हैं और विभिन्न आतंकी संगठनों में शामिल हो गए हैं।
वैसे एक कांस्टेबल नसीर अहमद पंडित 27 मार्च 2015 को पीडीपी के मंत्री अलताफ बुखारी के आवास से दो एके राइफल के साथ भाग निकला था और अप्रैल 2016 में शोपियां जिले में एक मुठभेड़ में मारा गया था।
 
आंकड़ों के मुताबिक पिछले 6 सालों में घाटी में 10 पुलिसकर्मी आतंकी बने हैं। रविवार को फरार हुए बड़गाम पुलिस के नावीद मुश्ताक के अलावा साल 2016 में रैनावाड़ी पुलिस स्टेशन पर तैनात एक पुलिसकर्मी एके-47 के साथ फरार होकर आतंकी बन गया था। इसके अलावा इसी साल जनवरी माह में भी एक पुलिसकर्मी एके-47 के साथ आतंकी गुट लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिल गया था।
 
साल 2015 की बात करें तो रियाज अहमद और गुलाम मुहम्मद नाम के दो पुलिसकर्मी आतंकी गुट के साथ जुड़ गए थे। हालांकि बाद में एक एनकाउंटर के दौरान दोनों मारे गए थे।
 
साल 2015 में ही पुलवामा जिले के राकिब बशीर ने पुलिस सेवा ज्वाइन करने के एक माह बाद ही हिजबुल मुजाहिद्दीन का दामन थाम लिया था। वहीं साल 2014 में नसीर अहमद पंडित नाम के पुलिसकर्मी ने भी हिजबुल का साथ थामा, लेकिन एक एनकाउंटर के दौरान वो भी मारा जा चुका है। साल 2012 में भी एक पुलिसकर्मी को आतंकी गुटों के साथ संपर्क रखने पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
 
जम्मू कश्मीर पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि पुलिसकर्मियों के आतंकी गुटों में जाने का कारण है कि इससे आतंकियों को हथियार भी मिलते हैं और साथ ही उनकी मूवमेंट को काफी उत्साह मिलता है, जिसकी मदद से वह युवाओं को बरगलाने में कामयाब हो जाते हैं। हालांकि अब पुलिस ने कई आतंकी मॉडयूल को घाटी से खत्म कर दिया है, लेकिन अभी भी कुछ मॉड्यूल सक्रिय है। जिनसे नौजवानों की भर्ती की जा रही है।
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