बिहार में दिमागी बुखार से अब तक 56 बच्चों की मौत, जानिए लक्षण और बचाव
पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में सोमवार तक जानलेवा दिमागी बुखार (चमकी बुखार) से एक हफ्ते में 56 बच्चों की जान ले ली है। बुखार से पीड़ित 100 बच्चे अभी भी जिले के एसकेएमसीएच अस्पताल में भर्ती हैं। हालात इतने खराब हैं कि बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जिसके चलते अस्पताल के दोनों पीआईसीयू यूनिट भरे हुए और अब अस्पताल तीसरी यूनिट खोलने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि सोमवार को ही 20 बच्चों की जान चली गई। डॉक्टरों का कहना है कि इस बुखार से पीड़ित बच्चों की उम्र चार से पंद्रह साल के बीच है।
डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी का प्रकोप उत्तरी बिहार के सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी और वैशाली में है। अस्पताल पहुंचने वाले पीड़ित बच्चे इन्हीं जिलों से हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि बुखार से बच्चों की मौत का मामला गंभीर है। साथ ही स्वास्थ्य सचिव भी नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टरों को अलर्ट कर दिया गया है।
लक्षण:
- एईएस (एक्टूड इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफलाइटिस) को उत्तरी बिहार में चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है।
- इससे पीड़ित बच्चों को तेज बुखार आता है और शरीर में ऐंठन होती है। इसके बाद बच्चे बेहोश हो जाते हैं। मरीज को उलटी आने और चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी रहती है।
- बिना किसी बात के भ्रम उत्पन्न होना। दिमाग संतुलित न रहना। पैरालाइज हो जाना। मांसपेशियों में कमजोरी और बोलने, सुनने में समस्या
और बेहोशी छाना यह इस बुखार के लक्षण हैं। इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
रखें ये सावधानी-
-बच्चों को तेज धूप से बचाएं।
- साफ और स्वच्छ पानी का उपयोग करें।
- संतुलित आहार लें।
- बच्चों को बगीचे में गिरे जूठे फल को न खाने दें
- सूअर विचरण वाले स्थानों पर न जाने दें।
- बच्चों को खाना खाने से पहले साबुन से हाथ धुलाएं
- पीने के पानी में कभी हाथ न डालें।
- नियमित रूप से बच्चों के नाखून काटें।
- गंदगी व जलजमाव वाले जगहों से दूर रखें।
- बाल्टी में रखे गए पीने के पानी को हैंडिल लगे मग से निकालें।