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Last Modified: मुंबई , बुधवार, 4 मार्च 2015 (18:02 IST)

अशोक चव्हाण को बंबई हाईकोर्ट से झटका

अशोक चव्हाण को बंबई हाईकोर्ट से झटका - Ashok Chavan
मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को झटका देते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को करोड़ों रुपए के आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले के मामले से उनका नाम हटाने से इंकार करने वाला पुराना आदेश वापस लेने की उनकी अपील ठुकरा दी। न्यायमूर्ति एमएल ताहिलियानी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता को कोई राहत देने से इंकार कर दिया।
 
चव्हाण ने पिछले साल दिसंबर में एक याचिका दायर करके न्यायमूर्ति ताहिलियानी द्वारा पारित वह आदेश वापस लेने का अनुरोध किया था जिसमें आदर्श मामले में चव्हाण का नाम हटाने की सीबीआई को अनुमति देने से मना कर दिया गया था।
 
अपना पुराना आदेश वापस लेने से इंकार वाले आदेश का अभिप्राय यह है कि चव्हाण को अब आदर्श सोसायटी को फायदा पहुंचाने के लिए अपने आधिकारिक पद का कथित रूप से दुरूपयोग करने के लिए भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत अभियोजन का सामना करना पड़ेगा।
 
चव्हाण ने इससे पहले कहा था कि आदेश में की गई कुछ टिप्पणियां उन बिन्दुओं पर हैं जिन पर दलीलें नहीं हुई हैं और उन्हें इन बिन्दुओं पर अपना पक्ष करने का अवसर नहीं मिला।
 
सीबीआई ने पहले आरोपी के रूप से चव्हाण का नाम हटाने के लिए निचली अदालत से इस आधार पर गुहार लगाई थी कि राज्यपाल ने उनके खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने से इंकार किया। सीबीआई अदालत द्वारा यह अनुरोध ठुकराने के बाद एजेंसी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
 
हालांकि न्यायमूर्ति तहलियानी ने पिछले साल नवंबर में सीबीआई का आवेदन खारिज कर हुए कहा कि राज्यपाल ने भारतीय दंड संहिता के तहत साजिश के आरोप में अभियोजन को मंजूरी नहीं दी है लेकिन उनके खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत अब भी अभियोजन चल सकता है।
 
न्यायाधीश ने कहा कि आरोपपत्र में केवल साजिश का ही आरोप नहीं लगाया गया बल्कि चव्हाण के पहले राजस्व मंत्री और बाद में मुख्यमंत्री के रूप में व्यक्तिगत क्रियाकलापों का भी जिक्र है।
 
सीबीआई के अनुसार, चव्हाण ने केवल रक्षाकर्मियों की आदर्श सोसायटी में अपने रिश्तेदारों को फ्लैट दिलाने के लिए आम लोगों को शामिल करने का सुझाव दिया था। (भाषा)