मोदी को बुलाने के लिए कैंपेन चला रहे है अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र
जहां एक ओर जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी को न्योता देने पर विरोध हो रहा है वहीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति इरानी को मार्च में होने वाले सालाना दीक्षांत समारोह में बुलाने की मांग जोर पकड़ रही है।
एएमयू के छात्रों ने यहां वॉयस मैसेज कैंपेन शुरू किया है। इसके तहत, मोदी और ईरानी को दीक्षांत समारोह में बुलाने के पक्ष में छात्र-छात्राओं और स्टाफ के बयान रिकॉर्ड किए जा रहे हैं। एएमयू के भूतपूर्व छात्रों ने भी मोदी को कैंपस में बुलाने और उनका स्वागत करने के समर्थन में कैंपेन चलाया है। कैंपेन के तहत जुटाए जा रहे छात्रों, टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ के मैसेज एएमयू प्रशासन को सौंपे जाएंगे और इन्हें मानव संसाधन मंत्रालय को भी भेजा जाएगा।
मास्टर इन टूरिज्म एडमिनिस्ट्रेशन के स्टूडेंट परवेज सिद्दीकी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ”हमारी राय बिलकुल साफ है। हम छात्रों और स्टाफ से दरख्वास्त कर रहे हैं कि भले ही वे बीजेपी के विरोधी हों, लेकिन हमें सरकार के खिलाफ नहीं होना चाहिए। मोदी हमारे प्रधानमंत्री और स्मृति ईरानी मानव संसाधन मंत्री हैं। उनके मंत्रालय के अंतर्गत ही हमारा विश्वविद्यालय आता है। अगर वे (मोदी और ईरानी) हमारे यहां आते हैं तो कैंपस की कई पुरानी समस्याएं दूर हो सकती हैं। हमने अभी तक करीब 100 वॉयस मैसेज इकट्ठे कर लिए हैं। इनकी तादाद लगातार बढ़ रही है।”
एक दूसरे स्टूडेंट ग्रुप ने कहा, ”हमारे किशनगंज सेंटर को एचआरडी मिनिस्ट्री की ओर से कोई पैसा नहीं मिला है। जरा सोचिए, अगर ईरानी हमारे कैंपस में आती हैं तो हम उनके सामने अपनी समस्याएं रख सकते हैं और वे इसे दूर कर सकती हैं।” बता दें कि अरबी भाषा के रिसर्च स्कॉलर अब्दुल खालिक कामिल, एमकॉम के स्टूडेंट शाहिद अहमद और कई दूसरे छात्रों ने भी मोदी को बुलाए जाने का स्वागत किया है और इसके समर्थन में अपना वॉयस मैसेज भी रिकॉर्ड कराया है।
यूनिवर्सिटी के भूतपूर्व स्टूडेंट और फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज एंड एनालिसिस के प्रमुख डॉ जसीम मोहम्मद ने भी कैंपेन शुरू कर दिया है। वे कहते हैं कि हम अपनी मांग को मजबूती से रखने के लिए दूसरे भूतपूर्व छात्रों से भी संपर्क कर रहे हैं। हम पारंपरिक तरीके से मोदी का स्वागत करेंगे। इससे वे मुस्लिम कल्चर को बेहतर और करीब से समझ सकेंगे।