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Last Modified: मुंबई , बुधवार, 11 फ़रवरी 2015 (14:42 IST)

'आप’ की झाड़ू ने भाजपा का कचरा कर दिया : शिवसेना

'आप’ की झाड़ू ने भाजपा का कचरा कर दिया : शिवसेना - Aap, BJP, garbage, Shiv Sena
मुंबई। दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार पर भाजपा पर निशाना साधते हुए उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने बुधवार को कहा कि आप की झाडू ने भाजपा का कचरा कर दिया। शिवसेना ने दिल्ली चुनाव में खराब प्रदर्शन के करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा।

शिवसेना ने यह भी कहा कि चुनाव परिणाम भाजपा के लिए यह सबक है कि चुनाव केवल वादों और भाषणों के आधार पर नहीं जीते जा सकते हैं।

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय के अनुसार कि झाड़ू वाली आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में जबरदस्त बहुमत प्राप्त करने वाली भाजपा का कचरा कर दिया। भाजपा नेताओं को अपनी जीती सीटों को गिनने के लिए उंगलियों की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। हार की जिम्मेदारी किरण बेदी पर डालना ठीक नहीं है।

महाराष्ट्र सरकार में भाजपा की सहयोगी ने कहा कि चुनाव केवल वादों और भाषणों के आधार पर नहीं जीते जा सकते। इस चुनाव ने पार्टी के भीतर असंतोष को सतह पर लाने का काम किया है। अमित शाह लोगों पर अपना जादू चलाने में विफल रहे और मोदी को हथियार के तौर पर उपयोग करने को परिणाम नहीं निकल सका।

शिवसेना के मुखपत्र के संपादकीय में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी हमारा पुराना सहकारी मित्र है। संपूर्ण देश में उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रभाव डाला, लेकिन देश की राजधानी में कमल नहीं खिल सका।

पार्टी ने कहा कि केवल घोषणा और भाषण के बल पर चुनाव नहीं जीते जाते। बूथ प्रमुखों का प्रबंधन, जातीय समीकरण और समग्र सत्ता को झोंक देने से भी मनचाहे परिणाम नहीं हासिल किए जा सकते। महाराष्ट्र में भी यह घटित नहीं हो सका और दिल्ली में तो सत्ता के समग्र तंत्र को जनता ने ठुकरा दिया। इस निमित्त भारतीय जनता पार्टी में व्यापक असंतोष और बेचैनी प्रकट हुई।

शिवसेना ने कहा कि हर बार पार्टी कार्यकर्ताओं के सिर पर बाहरी उम्मीदवार एवं निर्णय नहीं लादे जा सकते। यह पहला सबक है और दूसरा सबक यह है कि मतदाताओं को कोई अपनी निजी जागीर नहीं मान सकता।

पार्टी ने चुटकी लेते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के पहले अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा को गाजे-बाजे के साथ दिल्ली लाया गया, पर ओबामा भी कमल की पंखुड़ियों में प्राण नहीं फूंक सके। इसका कारण यह है कि जनता की समस्याएं भिन्न हैं।

संपादकीय में कहा गया कि दिल्ली किसी की नहीं है और दिल्ली की सत्ता पर कोई भी व्यक्ति सदा सर्वदा के लिए मालिकाना हक नहीं जता सकता। शिवसेना ने कहा कि नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और अमित शाह का चुनाव प्रबंधन कौशल्य यहां दांव पर लगा हुआ था, परंतु केजरीवाल जैसे फटीचर ने इस समग्र प्रबंधन को उखाड़ फेंका। सारे देश का ध्यान दिल्ली के चुनाव पर लगा हुआ था।

शिवसेना के मुखपत्र में संपादकीय में सवाल किया गया कि दिल्ली के चुनाव परिणामों में क्या देश का नया राजनीतिक इतिहास लिखना प्रारंभ किया है? जनता ने मोदी के नेतृत्व में भाजपा को दूर क्यों किया? बेरोजगारी कम नहीं हुई, महंगाई नीचे नहीं आई, बेघरों को घर नहीं मिला, आश्वासनों की पूर्ति नहीं हुई।

पार्टी ने कहा कि मोदी समेत भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने केजरीवाल और राहुल गांधी का अपने भाषणों में मजाक उड़ाया। नकारात्मक प्रचार का झटका अंतत: उन्हें लगा। वहीं पुरानी चूकों के लिए केजरीवाल ने सार्वजनिक सभा में माफी मांगी और अपने को त्यागी के रूप में पेश किया। इस भूमिका को जनता ने स्वीकार किया।

शिवसेना ने कहा कि मोदी ने लोकसभा में विरोधी दलों का खात्मा कर दिया, परंतु मोदी के रहते दिल्ली में भाजपा मजबूत विरोधी दल के रूप में आगे नहीं आ सकी। आप ने 70 में से 67 सीटें जीतीं और भाजपा के लिए केवल 3 सीटें छोड़ी। कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया।

भाजपा की सहयोगी पार्टी ने कहा कि लहर की तुलना में सुनामी का प्रभाव प्रबल हुआ करता है, यह दिल्ली में दिखाई दिया।

शिवसेना ने सवाल किया कि भाजपा के लोगों को लगता है कि यह पराभव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नहीं है। यदि यह पराभव नरेन्द्र मोदी का नहीं है तो निश्चित तौर पर किसका है? केजरीवाल जीते लेकिन फिर हारा कौन? (भाषा)