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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 20 जनवरी 2024 (19:50 IST)

Ramayan katha in hindi : चित्रमय रामकथा, प्रभु श्रीराम की संपूर्ण कहानी

Ramayan katha in hindi : चित्रमय रामकथा, प्रभु श्रीराम की संपूर्ण कहानी - Chitramayi rama kahani in hindi
Chitramayi rama kahani in hindi: प्रभु श्री राम पर कालांतर में कई रामायण लिखी गई है, जिसमें वाल्मीकि रामायण, रामचरित मानस, कम्बन रामायण, हनुमद रामायण, आनंद रामायण, मूल रामायण, एक श्लोकी रामायण सहित और भी कई रामायण प्रचलित हैं। पेश है प्रभु श्रीराम संपूर्ण कहानी संक्षिप्त रूप में।

1. त्रेतायुग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा दशरथ की 3 रानियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी से 4 पुत्रों का जन्म हुआ, जिसमें श्री राम माता कौशल्या के पुत्र, लक्ष्मण और शत्रुघ्न माता सुमित्रा के और भरत माता कैकेयी के पुत्र थे।

2. चारों पुत्रों की शिक्षा पूर्ण होने पर महर्षि विश्वामित्र राजा दशरथ के महल आकर राम और लक्ष्मण को अपने यज्ञ की असुरों से रक्षा करने के लिए जंगल के आश्रम में ले जाते हैं। विश्वामित्र के आश्रम में श्रीराम ताड़का का वध करके आश्रम की रक्षा करते हैं।
3. ताड़का वध के बाद महर्षि विश्वामित्र श्रीराम और लक्ष्मण के साथ जनकपुरी की ओर रवाना होते हैं। रास्ते में वे ऋषि गौतम के आश्रम से गुजरते हैं, वहां श्रीराम  अपने पैरों से स्पर्श करके पाषाण में परिवर्तित हो चुकी अहिल्या को शाप मुक्त करते हैं।
4. इसके बाद विश्वामित्र श्रीराम एवं लक्ष्मण को जनकपुर में सीता स्वयंवर में ले जाते हैं। वहां भगवान श्रीराम शिवजी का पिनाक धनुष तोड़ देते हैं।
5. इसके बाद दशरथ जी के चारों पुत्रों का विवाह राजा जनक व उनके छोटे भाई कुशध्वज की पुत्रियों से होता है। श्रीराम का विवाह सीता से, लक्ष्मण जी का विवाह उर्मिला से, मांडवी का विवाह भरत से और शत्रुघ्न का विवाह श्रुतकीर्ति से होता है।
 
6. देवासुर संग्राम में दशरथ का रानी कैकेयी ने साथ दिया था। दशरथ 2 वरदान मांगने का वचन देते हैं। श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी के दौरान मंथरा के उकसाने पर रानी कैकेयी श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास और अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाने का वरदान मांगती है। 
 
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7. प्रभु श्री राम अपने पिता दशरथ के वचन को निभाने के लिए अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ संन्यासियों का वेश धारण करके नियमों के तहत 14 वर्ष के लिए जंगल में चले जाते हैं।
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8. प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता को निषादराज केवट नाव से गंगा पार कराते हैं। श्रीराम पारितोषिक देना चाहते हैं तो केवट कहता है कि जिस तरह मैंने तुम्हें गंगा पार कराया, उसी तरह आप भी मुझे और मेरे परिवार को इस भवसागर से पार करा देना।
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9. दंडकवन में रावण की बहन शूर्पणखा सुंदर अप्सरा नयनतारा का रूप धरकर कुटिया के बाहर बैठे श्रीराम से विवाह करने का कहती है। श्रीराम के इनकार करने पर वह लक्ष्मण से जिद करती है। फिर वह माता सीता को मारने दौड़ती है। यह देखकर लक्ष्मणजी उसकी नाक काट देते हैं।
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10. अपनी कटी हुई नाक को लेकर शूर्पणखा अपने भाई और दंडक वन के असुर राजा खर और दूषण के पास पहुंचती हैं। बाद में श्रीराम का खर और दूषण से युद्ध होता है, जिसमें दोनों का श्रीराम वध कर देते हैं।
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11. खर-दूषण के वध का समाचार लेकर शूर्पणखा अपने भाई लंकापति रावण के पास पहुंचकर उन्हें भड़काती है और सीता की सुंदरता की तारीफ करती है। इसी के साथ वह कहती है कि आप वनवासी राम की सुंदर पत्नी का हरण करके ले आइए।
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12. इसके बाद रावण अपने मामा मारीच को हिरण बनाकर अपहरण की योजना बनाता है। सीता उस सुंदर स्वर्ण हिरण को देकर उसे लाने के लिए श्रीराम से जिद करती हैं। रामजी उस हिरण को लाने के लिए वन में चले जाते हैं। जब हिरण का भेद खुल जाता है तो राम उसका वध कर देते हैं।
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13. बहुत देर तक श्रीराम नहीं लौटते हैं तो सीता किसी अनहोनी की आशंका से लक्ष्मण को वन में श्रीराम की सहायता करने के लिए भेजती है। लक्ष्मणजी एक लक्ष्मण रेखा खींचकर वन में श्रीराम को ढूंढने चले जाते हैं। 
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14. लक्ष्मणजी के जाने के बाद रावण संन्यासी का वेश धारण करके सीता से भिक्षा मांगता है और कहता है कि इस रेखा के पार आकर ही भिक्षा दें तभी ग्रहण करूंगा। माता सीता यह गलती कर देती हैं और तब रावण अपने असली रूप में आकर अपहरण करके सीता को विमान में बैठाकर ले जाता है। 
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15. रावण जब विमान से माता सीता का अपहरण करके ले जा रहा होता है तब रास्ते में गिद्धराज जटायु उसे रोकने का प्रयास करते हैं और इसी प्रयास में रावण जटायु का वध कर देता है।
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16. जटायु का अंतिम संस्कार करने के बाद श्रीराम और लक्ष्मण सीता की खोज में निकल पड़ते हैं। खोजते हुए वे शबरी के आश्रम पहुंच जाते हैं। इसके बाद उनका हनुमानजी और सुग्रीवजी से मिलन होता है। सुग्रीव अपनी व्यथा श्रीराम को सुनाता है।
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17. सुग्रीव की व्यथा सुनकर रामजी बाली वध के लिए तैयार हो जाते हैं और सुग्रीव और बाली के युद्ध के दौरान रामजी बाली का वध करके सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बना देते हैं।
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18. सीता की खोज में जामवंत के कहने पर हनुमानजी को अपनी शक्तियों का आभास होता है और वे समुद्र लांघकर अशोक वाटिका पहुंच जाते हैं। वहां उनकी विभीषण से भेंट होती है। इसके बाद वे माता सीता को श्रीराम की अंगूठी देकर श्रीराम के बारे में बताते हैं।
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19. इसके बाद हनुमानजी को मेघनाद बंधक बनाकर रावण के समक्ष खड़ा करता है तो वे रावण को श्रीराम के समक्ष समर्पण करने या युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए कहते हैं। यह सुनकर रावण उनकी पूंछ में आग लगवा देता है। हनुमानजी अपनी जलती हुई पूंछ से लंका को जला देते हैं।
 
rama ki kahani 20. लंका दहन के बाद हनुमानजी विभीषण की मुलाकात श्रीराम से कराते हैं और तब नल और नील की योजना से समुद्र पर सेतु का निर्माण किया जाने लगता है। rama ki kahani
21. अंत में श्री राम बाली पुत्र अंगद को रावण की सभा में भेजकर समर्पण करने और शांति का अंतिम प्रस्ताव का संदेश देते हैं। रावण नहीं मानता है तो अंगद अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके चेतावनी देकर लौट आता है।
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22. इसके बाद राम और रावण का युद्ध होता है। तीसरे दिन के युद्ध में श्रीराम का कुंभकरण से युद्ध होता है और तब कुंभकरण मारा जाता है। कुंभकर्ण और रावण के पुत्रों के मारे जाने के बाद लक्ष्मण-मेघनाद का युद्ध होता है तब मेघनाद राम-लक्ष्मण को नागपाश में बांध देता है। फिर गरुड़जी की सहायता से राम-लक्ष्मण को नागपाश से मुक्त कराया जाता है।
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23. इसके बाद मेघनाद के प्रहार से लक्ष्मण जी मूर्छित हो जाते हैं तब हनुमानजी वैद्यराज सुषेण के कहने पर संजीवनी जड़ी-बूटी का पहाड़ ले आते हैं। संजीवनी बूटी से लक्ष्मणजी को जब होश आ जाता है तब फिर से उनका मेघनाद के साथ युद्ध होता है और अंत में वे मेघनाद का वध कर देते हैं। 
 
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24. इसके बाद राम और रावण का भयंकर युद्ध होता है। विभीषण के बताने पर श्रीराम नाभि में तीर छोड़ते हैं और तब रावण का वध करने के बाद प्रभु श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पुष्पक विमान में बैठकर अयोध्या लौट आते हैं।
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25. अयोध्या में प्रभु श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता का भव्य स्वागत होता है और बाद में उनका राज्याभिषेक होता है। राज्याभिषेक में हनुमान जी, सुग्रीव, जामवंत, अंगद सहित वानर सेना के कई लोग शामिल होते हैं।
 
।।इति राम कथा।।