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Written By WD Feature Desk

Sixth Roza 2024: ईमानदारी और फ़रमाबर्दारी की सीख देता है छठवां रोजा

Sixth Roza 2024: ईमानदारी और फ़रमाबर्दारी की सीख देता है छठवां रोजा - 6th day of Ramadan Roza
Muslim Holy Month: पवित्र कुरआन के पच्चीसवें पारे (अध्याय-25) की सूरह शूरा की तिरालीसवीं आयत में ज़िक्र है : 'व लमन सबरा व़गफरा इन्ना ज़ालिका लमिन अज़मिल उमूर'- 'जो सब्र करने वाले हैं और रहम करने वाले हैं वो बुलंद मर्तबे और अज़मत (गरिमा) वाले हैं।'

यहां यह बात काबिलेगौर है कि 'सब्र' (सबरा) और 'रहम' (गफ़रा) मर्तबे और अज़मत (गौरव-गरिमा) बढ़ाने वाले हैं और पैरोकार भी। रहम रास्ता है अजमत का। सब्र, सीढ़ी है बुलंदी की।

तो इसका सीधा-सा जवाब है कि मुकम्मल ईमानदारी और अल्लाह की फ़रमाबर्दारी के साथ रखा गया रोजा और रोजदार इसकी पहचान है। नेकनीयत और पाकीज़गी के साथ रखे गए रोजे का नूर अलग ही चमकता है। जज्बा-ए-रहम (दया का भाव) रोजेदार की पाकीजा दौलत है और जज्बा-ए-सब्र रोजेदार की रूहानी ताकत है।
 
कुरआने-पाक में अल्लाह को सब्र करने वाले का साथ देने वाला बताया गया है (इन्नाल्लाहा म़अस्साबेरीन' यानी 'अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।') रोजा इम्तहान भी है और इंतजाम भी। सब्र और संयम रोजेदार की कसौटी है इसलिए रोजा इम्तहान है।
 
सब्र की कसौटी पर रोजेदार कामयाब यानी खरा साबित हुआ तो इसका मतलब यह कि उसने आख़िरत (परलोक) का इंतज़ाम कर लिया। इसलिए रोजा इंतज़ाम है। कुल मिलाकर यह कि रोजा ऱहम का हरकारा और सब्र का फौवारा है।प्रस्तुति : अज़हर हाशमी