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Written By WD Feature Desk

15th Roza 2024: मगफिरत के अशरे का अहम दिन है 15वां रोजा

15th Roza 2024: मगफिरत के अशरे का अहम दिन है 15वां रोजा - 15th Day Roza 2024
Ramadan day 2024: अल्लाह (ईश्वर) की अज़मत (गरिमा) का़ कुरआने-पाक में लगातार ज़िक्र है जिसमें अल्लाह को मेहरबानी करने वाला और बंदों के गुनाहों को माफ़ करके उन्हें बख़्श देने वाला और मग़फिरत से नवाज़ने वाला बताया गया है। 
 
क़ुरआन के बाईसवें पारे (अध्याय-22) की सूरह फातिर की आयत नंबर पंद्रह (आयात-15) में जिक्र है 'ऐ लोगों! तुम ही खुदा के मोहताज हो और अल्लाह तो बेनियाज और खुद तमाम खूबियों वाला है।' यहां ग़ौरतलब बात यह है कि अल्लाह की खूबियों में से एक ख़ूबी उसके अहद यानी वादे की पाबंदी है। अल्लाह का वादा है कि वो अपने नेक बंदों को बख़्श देगा। 
 
माहे रमजान में खासतौर पर अल्लाह अपना वादा पूरा करता है। अल्लाह चूंकि अपना वादा पूरा करता है इसलिए इस ख़ूबी की रोशनी में यह बात सामने आती है कि बंदा भी अपने अहद पर क़ायम रहे। यहां वादे से मतलब नेक काम या अच्छी मदद से है। वादा भी नेक हो, काम भी नेक हो, नीयत भी नेक हो, मदद भी नेक हो यानी नेकदिली और नेक अमल शर्त है।
 
पंद्रहवां रोजा चूंकि रमज़ान के मगफिरत के अशरे का अहम रोजा है और अल्लाह ने अपने रोज़ेदार से मगफिरत (मोक्ष) नवाजने का वादा किया है इसलिए रोजादार से भी अल्लाह (फरमादारी) चाहता है। रोजादार किसी से जो अहद या वादा करता है तो उसे पूरा करे यानी निभाए भी।
 
रोजा दरअसल वादे की पाबंदी और अल्लाह की रजामंदी भी है। कुरआन की सूरह सफ की आयत नंबर-3 (आयत-तीन) में जिक्र है- 'अल्लाह के नजदीक ये बात बहुत नाराजी की है कि ऐसी बात कहो जो करो नहीं।' प्रस्तुति : अजहर हाशमी

 
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