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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 31 जनवरी 2025 (12:11 IST)

क्यों नहीं डूबते महाकुंभ में बने पीपे के पुल, जानिए किस तकनीक से बने हैं पांटून के पुल

क्यों नहीं डूबते महाकुंभ में बने पीपे के पुल, जानिए किस तकनीक से बने हैं पांटून के पुल - Maha Kumbh 2025 Pontoon Bridges
Maha Kumbh 2025 Pontoon Bridges: प्रयागराज महाकुंभ में संगम के ऊपर बने पांटून पुल श्रद्धालुओं के लिए बेहद सुविधाजनक साबित हुए हैं। प्रयागराज महाकुंभ 2025 में 30 पांटून पुल बनाए गए हैं जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में पीपे के पुल भी कहा जाता है । ये पुल मेला क्षेत्र को आपस में जोड़ते हैं और श्रद्धालुओं के आवागमन को सुगम बनाते हैं। लाखों की तादाद में श्रद्धालु रोज इन पुलों से होकर गुजर रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये पुल इतने भारी वजन के बाद भी डूबते क्यों नहीं हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे का विज्ञान और इतिहास।

क्या होते हैं पांटून पुल?
पांटून पुल तैरते हुए पुल होते हैं जो पानी पर बने होते हैं। ये पुल खोखले और सीलबंद डिब्बों (जिन्हें पांटून कहा जाता है) पर टिके होते हैं। ये डिब्बे इतने बड़े होते हैं कि वे पुल के वजन और उस पर चलने वाले लोगों के वजन को संभाल सकें।

पांटून पुलों का विज्ञान
  • आर्किमिडीज का सिद्धांत: पांटून पुल आर्कमिडीज के सिद्धांत पर काम करते हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, जब कोई वस्तु किसी तरल पदार्थ में डुबोई जाती है, तो उस पर एक ऊपर की ओर बल लगता है, जिसे उत्प्लावन बल कहते हैं। यह बल वस्तु द्वारा हटाए गए तरल पदार्थ के वजन के बराबर होता है। पांटून पुलों के मामले में, पांटून द्वारा हटाए गए पानी का वजन पुल और उस पर मौजूद भार के वजन से अधिक होता है, जिसके कारण पुल तैरता रहता है। 
  • डिज़ाइन: पांटून पुलों का डिज़ाइन इस प्रकार किया जाता है कि वे स्थिर रहें और उन पर चलने वाले लोगों को कोई परेशानी न हो।
 
2500  साल पुराना है पांटून पुलों का इतिहास
: पांटून पुलों का इतिहास लगभग 2500 साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि पहली बार पांटून पुल एक फारसी इंजीनियर ने बनाया था।
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महाकुंभ में उपयोग: पांटून पुल महाकुंभ में भी बहुत उपयोगी होते हैं। ये पुल संगम के एक किनारे से दूसरे किनारे तक जाने के लिए श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करते हैं।
पांटून पुल इंजीनियरिंग का एक अद्भुत उदाहरण हैं। ये पुल न केवल देखने में सुंदर होते हैं, बल्कि ये बहुत ही उपयोगी भी होते हैं। महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में ये पुल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।