हर साल चित्रगुप्त पूजा (Chitragupt Pooja) दीपावली के बाद आने वाली भाईदूज/ भैया दूज के दिन की जाती हैं। यह दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पड़ता है, जिस दिन भगवान चित्रगुप्त का पूजन लेखनी के रूप में किया जाता है। इसके साथ ही भैया दूज के दिन लेखनी, दवात और पुस्तकों की भी पूजन किया जाता है। भगवान चित्रगुप्त भाईदूज के दिन हमारे जीवन के बहीखाते लिखते हैं तथा पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं, जो हम जीवन भर कर्म करते हैं।
इस दिन यम द्वितीया मनाई जाती है, जोकि दीपावली पूजन के दो दिन बाद पड़ती है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। वर्ष 2022 में यम द्वितीय तिथि बुधवार, 26 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी।
महत्व : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वणिक वर्ग के लिए यह दिवस नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। अत: इस दिन नवीन बही-खातों या बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है।
कहा जाता हैं कि सफलता के लिए बस एक शुभ अक्षर 'श्री' ही काफी है। इसी दिन यमुना जी के पूजन का भी विशेष विधान है। यदि बहन जो चचेरी, ममेरी, फुफेरी कोई भी हो, इस दिन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व माना गया है।
पूजन के मुहूर्त-Pooja Muhurat
इस बार कार्तिक मास की द्वितीया तिथि का प्रारंभ- 26 अक्टूबर 2022 को 02.42 पी एम से शुरू।
द्वितीया तिथि का समापन- 27 अक्टूबर 2022 को 12.45 पी एम पर।
यम द्वितीय का अपराह्न समय का सबसे शुभ मुहूर्त- 01.12 पी एम से 03.27 पी एम तक।
कुल अवधि- 02 घंटे 14 मिनट।
पूजन विधि-Pooja Vidhi
- भाई दूज के दिन अगर घर में भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर न हो तो उनके प्रतीक एक कलश को स्थापित कर पूजन करें।
- दीपक जलाएं तथा सबसे पहले श्री गणेश की पूजा-अर्चना करने के बाद भगवान चित्रगुप्त जी का पंचामृत स्नान, श्रृंगार, हवन, आरती तथा इसके साथ ही कलम-दवात का भी पूजन करें।
- फिर उनका चंदन, हल्दी, रोली, अक्षत, पुष्प व धूप आदि से विधि-विधान से पूजन करें।
- इसके बाद भगवान चित्रगुप्त को ऋतु फल/ पंचामृत या सुपारी का भोग लगाएं।
- आज के दिन भगवान चित्रगुप्त की कृपा पाने के लिए। यमराज के आलेखक चित्रगुप्त की पूजा करते समय यह प्रार्थना बोलें-
भगवान चित्रगुप्त का प्रार्थना मंत्र-Mantra
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
- भगवान चित्रगुप्त के निम्न मंत्र का जाप अवश्य करें।
मंत्र- 'ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः' का 108 मंत्र का जाप करना फलदायी रहता है।
श्री चित्रगुप्त जी की आरती:Chitragupta ji ki Aarti
श्री विरंचि कुलभूषण, यमपुर के धामी।
पुण्य पाप के लेखक, चित्रगुप्त स्वामी॥
सीस मुकुट, कानों में कुण्डल अति सोहे।
श्यामवर्ण शशि सा मुख, सबके मन मोहे॥
भाल तिलक से भूषित, लोचन सुविशाला।
शंख सरीखी गरदन, गले में मणिमाला॥
अर्ध शरीर जनेऊ, लंबी भुजा छाजै।
कमल दवात हाथ में, पादुक परा भ्राजे॥
नृप सौदास अनर्थी, था अति बलवाला।
आपकी कृपा द्वारा, सुरपुर पग धारा॥
भक्ति भाव से यह आरती जो कोई गावे।
मनवांछित फल पाकर सद्गति पावे॥