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Written By राजश्री कासलीवाल

कैसे करें श्रवण/वामन द्वादशी व्रत, जानिए हिन्दू और जैन धर्म में क्या है इसका महत्व...

कैसे करें श्रवण/वामन द्वादशी व्रत, जानिए हिन्दू और जैन धर्म में क्या है इसका महत्व... । 2018 Vaman Dwadashi - 2018 Vaman shravan Dwadashi
भगवान श्रीहरि विष्णु अत्यंत दयालु हैं। वे ही नारायण, वासुदेव, शिव, कृष्ण, परमात्मा, ईश्वर, शाश्वत, हिरण्यगर्भ, अच्युत आदि अनेक नामों से पुकारे जाते हैं। उनकी शरण में जाने पर मनुष्य का परम कल्याण हो जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन द्वादशी या वामन जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 21 सितंबर 2018, शुक्रवार को मनाया जा रहा है।

 
प्राचीन धर्मग्रंथों के अनुसार इसी शुभ तिथि को श्रीविष्णु के अन्य रूप भगवान वामन का अवतार हुआ था। इस दिन को श्रवण द्वादशी भी कहते हैं। इस द्वादशी तिथि को श्रवण नक्षत्र पड़ने के कारण इस व्रत का नाम श्रवण द्वादशी पड़ा है। श्रीमद्भागवत के अनुसार इस तिथि पर भगवान वामन का प्राकट्य हुआ था।

 
जैन समुदाय में श्रवण द्वादशी व्रत का माहात्म्य बहुत अधिक माना गया है। इस व्रत पर सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सुहाग तथा संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखकर मंगल-कामना करती हैं। जैन धर्म में इस व्रत को 12 वर्ष तक विधिपूर्वक किया जाता है तथा उसके उपरांत इसका उद्यापन किया जाता है।

 
इस दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा, अभिषेक, स्तुति के साथ-साथ उनका मंत्र- 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लूं श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्राय नम: स्वाहा' अथवा 'ॐ ह्रीं श्री वासुपूज्य-जिनेन्द्राय नम:' का जाप करने का महत्व है, वहीं हिन्दू धार्मिक पुराणों तथा मान्यताओं के अनुसार इस दिन भक्तों को व्रत-उपवास करके भगवान वामन की स्वर्ण प्रतिमा बनवाकर पंचोपचार सहित पूजा करनी चाहिए।
 
 
ऐसे करें वामन द्वादशी व्रत:-
 
* इस दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर वामन द्वादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
 
* इस दिन उपवास रखना चाहिए।
 
* अभिजीत मुहूर्त में भगवान विष्‍णु के वामन अवतार का पूजन करना चाहिए।
 
* सायंकाल के समय में पुन: स्नान करने के बाद भगवान वामन का पूजन करके व्रत कथा सुननी चाहिए।
 
 
* पूजन के समय एक बर्तन में दही, चावल, शकर आदि रखकर उसे किसी योग्य ब्राह्मण को दान देने का विशेष महत्व है।
 
* तत्पश्चात ब्राह्मण को भोजन करवाकर स्वयं फलाहार करना चाहिए।
 
* ऐसा माना जाता है कि जो भक्त श्रद्धा-भक्तिपूर्वक इस दिन भगवान वामन का व्रत व पूजन करते हैं, उनके सभी कष्ट दूर होते हैं और वे भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

 
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