• Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. »
  3. लंदन ओलिम्पिक 2012
  4. »
  5. ओलिम्पिक आलेख
  6. Olympic Updates in Hindi
Written By WD

हर खेल में पारंगत थे शूमान

London Olympics 2012, London Olympics News Hindi | Olympic Updates in Hindi | हर खेल में पारंगत थे शूमान
खेलों की दुनिया में हरफनमौला शब्द का उपयोग खिलाड़ी की प्रशंसा में किया जाता है। ऐसे कई खिलाड़ी हुए हैं जो एक ही खेल से जु़ड़ी कई विधाओं में पारंगत होते हैं। लेकिन आपने ऐसे बहुत कम खिलाड़ियों के बारे में सुना होगा जो कई अलग खेलों में निपुण होते हैं।

ऐसी ही एक शख्सियत थे जर्मनी के कार्ल शूमान। शूमान दमखम के खेल कुश्ती और भारोत्तोलन, कलात्मकता के खेल जिमनास्टिक्स तथा एथलेटिक्स के खिलाड़ी थे।

वर्ष 1896 के एथेंस ओलिम्पिक में शूमान ने खेल के मैदान में अपना लोहा मनवाया। उन्होंने इस आयोजन में 4 स्वर्ण पर अपना कब्जा जमाया। वे जर्मनी की उस जिम्नास्टिक टीम का हिस्सा थे,जिसने होरिजोंटल बार और पैरेलल बार वर्ग में सोना जीता।

उन्होंने जिम्नास्टिक्स में तीसरी उपलब्धि व्यक्तिगत स्पर्धा में हासिल की। इस बार हार्स वाल्ट वर्ग में जोरदार प्रदर्शन ने उन्हें स्वर्ण पदक जिताया। शूमान ने जिम्नास्टिक्स की कुछ और स्पर्धाओं में भी शिरकत की थी, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। रिंग स्पर्धा में वे पांचवें स्थान पर रहे।

इसके बाद वे कुश्ती के मैदान में उतरे और यहां भी सोना जीता। अन्य पहलवानों की तुलना में वे कद में थोड़े छोटे और वजन में कम थे। पहले ही दौर में सामना हुआ ग्रेट ब्रिटेन के लाउंस स्टोन से, जो भारोत्तोलन स्पर्धा जीत चुका था, लेकिन उम्मीदों के विपरीत शूमान ने उन्हें बेहद आसानी से हरा दिया।

फाइनल में जर्मनी के शूमान के सामने थे यूनान के ज्योजिअस सितास। करीब 40 मिनट तक मुकाबला चला और रोशनी कम होने लगी। तब इसे दूसरे दिन पूरा करने का निर्णय लिया गया। दूसरे दिन लड़ाई लंबी नहीं खिंची और शूमान ने जल्द ही जीत हासिल करते हुए एक और स्वर्ण जीत लिया।

उन्होंने भारोत्तोलन स्पर्धा में भी हिस्सा लिया था, लेकिन पदक नहीं जीत सके। लांग जम्प में सिर्फ नौ एथलीटों ने हिस्सा लिया, लेकिन शूमान कमाल नहीं दिखा सके। तिहरी कूद में वे पांचवें स्थान पर रहे। शॉट पुट में भी वे उल्लेखनीय सफलता हासिल नहीं कर सके।

कई स्पर्धाओं में उन्हें निराशा हाथ लगी तो कई में उन्होंने सफलता हासिल की। एक ही ओलिम्पिक में चार स्वर्ण पदक जीतना बड़ी उपलब्धि है। साथ ही खेलों के महाकुंभ में इतने खेलों में शिरकत करना भी एक उपलब्धि ही माना जाएगा। खेल की दुनिया के इस असली हरफनमौला ने बर्लिन में 1946 में अंतिम सांस ली।