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Written By वार्ता
Last Modified: नई दिल्ली (वार्ता) , गुरुवार, 26 जुलाई 2007 (19:43 IST)

आर्थिक कारणों से पनपा नक्सलवाद

आर्थिक कारणों से पनपा नक्सलवाद -
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य में नक्सलवाद पनपने के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि केन्द्र ने राज्य में खनिज उत्खनन से होने वाली आमदनी का दस फीसदी हिस्सा भी यदि खान वाले क्षेत्र के विकास पर खर्च किया होता तो यह स्थिति नही बनती।

डॉ. सिंह ने बुधवार शाम को यहाँ कहा कि राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनडीएमसी) हर साल छत्तीसगढ़ से विभिन्न खनिजों के जरिए 4000 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई करता है और करीब 1000 करोड़ रुपए टैक्स देता है, यदि उसने अपने शुद्ध लाभ का दस प्रतिशत भी इलाके में अस्पताल, स्कूल, सडक और पानी की व्यवस्था पर खर्च किया होता तो शायद नक्सलवाद को पनपने का मौका नही मिलता।

डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि मीडिया के आने पर इसलिए प्रतिबंध लगाया गया है ताकि विधायकों के खुलकर बोलने और बेबाक विचार रखने की खबरे सार्वजनिक नही हों क्योंकि ऐसा होने पर विधायकों को उनके क्षेत्रों में नक्सलियों से खतरा हो सकता है। उन्होंने इस बात का खंडन किया कि वह मीडिया की स्वतंत्रता का हनन कर रहे हैं।

वामपंथी विचारक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बिनायक सेन की गिरफ्तारी और उन पर राष्ट्रद्रोह के आरोप लगाए जाने से जुडे़ एक सवाल पर उन्होंने कहा कि डॉ. सेन को पुलिस ने पर्याप्त सबूत होने पर ही गिरफ्तार किया है, हालाँकि मामला अब अदालत में है, जिला अदालत के जमानत से इन्कार करने और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा भी जमानत नही देने से स्वत: स्पष्ट है कि उनके खिलाफ पुख्ता प्रमाण हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सली जंगलों के जरिए सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने राजनीतिक बौद्धिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और सशस्त्र संघर्ष के लिए अलग-अलग 22 संगठन बना रखे हैं, जो अलग-अलग रणनीति अपना कर अपने हित पूरे करना चाहते हैं।

नक्सलवाद से मुकाबले में पडो़सी राज्यों और केन्द्र से अपेक्षित सहयोग नही मिलने पर निराशा व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि इस समस्या से निपटने के गैर परंपरागत तरीकों पर विचार-विमर्श के वास्ते राज्य विधानसभा का गुरुवार को एक विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें सभी विधायक अपनी राय बेबाकी से रखेंगे तथा मीडिया और दर्शकों को इसमें आने की अनुमति नहीं होगी।