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Written By WD

पंडित भीमसेन जोशी का निधन

पंडित भीमसेन जोशी का निधन -
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'मिले सुर मेरा तुम्हारा' की आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई...जानेमाने शास्त्रीय गायक पंडित भीमसेन जोशी का सोमवार की सुबह निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे। सुबह 8.05 बजे उन्होंने आखिरी साँस ली। जोशी का आज शाम यहाँ राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।

पंडितजी का जन्म 4 फरवरी 1922 को हुआ था। उन्हें 2008 में देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से भी नवाजा गया था। जब उस दिन भारत रत्न से सम्मान पाने के बाद दिल्ली में काफी बारिश हो रही थी। उन्हें छतरी में बाहर लाया गया लेकिन हजारों संगीत प्रेमी पंडितजी को देखना चाहते थे, लिहाजा उन्होंने छतरी हटवा दी और अपने प्रशंसकों की चाहत को पूरा किया।

भीमसेन जोशी पिछले 31 दिसम्बर से बीमार चल रहे थे। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में पंडितजी का नाम बेहद सम्मान के साथ लिया जाता रहा है। पंडित जोशी ने तानसेन के जीवन पर आधारित एक बांग्ला फिल्म में एक ‘ध्रुपद’ गायक के तौर पर अपनी आवाज दी और उसके बाद मराठी फिल्म ‘गुलाचा गणपति’ के लिए भी अपनी गायन प्रतिभा प्रदर्शित की।

उन्होंने हिंदी फिल्मों ‘बसंत बहार’ और ‘भैरवी’ में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। पंडित जोशी की ‘संत वाणी’ और मराठी ‘भक्ति संगीत’ के प्रभाव के चलते उनकी आवाज महाराष्ट्र और कर्नाटक के घर-घर में पहुँची।

उन्हें 1972 में पद्मश्री, 1975 में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1985 में पद्म भूषण और 1992 में मध्य प्रदेश सरकार के ‘तानसेन सम्मान’ से सम्मानित किया गया। पंडित जोशी का 1999 में ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन और 2005 में सर्वाइकल स्पाइन का ऑपरेशन हुआ।

पंडित जोशी ने 2007 में ‘सवाई गंधर्व’ वार्षिक संगीत समारोह में अपनी सार्वजनिक प्रस्तुति से लोगों को अभिभूत कर दिया। यह समारोह अपने गुरू की याद में उन्होंने ही शुरू किया था। लोगों के अंतिम दर्शन हेतु पंडित जोशी के पार्थिव शरीर को उनके निवास स्थान ले जाया गया। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार आज शाम को किया जाएगा।

उनके निधन समेत कई राजनैतिक हस्तियों और गायन से जुड़ी शख्यितों ने शोक व्यक्त किया है। पंडित जोशी को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि पंडित जोशी के निधन के साथ देश ने शास्त्रीय संगीत का महानतम कलाकार खो दिया है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शोक जताते हुए इसे राष्ट्रीय क्षति बताया। सिंह ने एक शोक संदेश में कहा कि भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी के निधन पर मुझे दु:ख है। यह एक राष्ट्रीय क्षति है।

प्रधानमंत्री ने जोशी को महानतम संगीतज्ञों में से एक बताते हुए कहा कि दुनिया भर के लाखों करोड़ों संगीत प्रेमियों ने संगीत की इस विलक्षण प्रतिभा के गायन का लुत्फ उठाया और लुत्फ उठाना जारी रखेंगे। शंकर महादेवन ने कहा कि पंडितजी की अपनी एक अलग स्टाइल थी, जिसे लाखों लोग फॉलो करते थे। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

मिले सुर मेरा तुम्हारा : भारतीय शास्त्रीय संगीत की इस महान शख्सियत को बिगुल की धुनों के बीच राजकीय सलामी दी गई। उनके अंतिम संस्कार के दौरान उनके गाए मशहूर गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ की धुन भी बजती रही।

उनकी शवयात्रा पुणे स्थित उनके आवास से बैंकुठ शवदाहगृह तक गई। शोकाकुल पुरुष और महिलाएँ, वृद्ध और युवा इस यात्रा के दौरान पूरे समय साथ चलते रहे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और प्रधानमंत्री के दूत के रूप में उपस्थित विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने दिवंगत शास्त्रीय गायक को श्रद्धांजलि दी।

इससे पहले पंडित जोशी के आवास ‘कलशश्री’ में सभी क्षेत्र की शख्सियतों और उनके प्रशंसकों ने प्रख्यात गायक को श्रद्धांजलि दी। उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रमुख केएस सुदर्शन शामिल रहे।

बढ़िया कार चालक भी थे पंडितजी : भीमसेन जोशी जितनी कुशलता से सुरों को साधते थे उतनी ही कुशलता से कार के स्टियरिंग को थामते थे। जोशी के साथ करीब 800 प्रस्तुतियों में तबले पर संगत कर चुके भरत जाधव ने कहा कि वे कार से पुणे और हुबली के बीच की दूरी को महज छह घंटों में तय कर करते थे।

हिन्दुस्तानी संगीत के कोहिनूर : भारतीय संगीत जगत ने श्रद्धांजलि देते हुए पंडितजी को हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक ‘कोहिनूर’ करार दिया और उन्हें आधुनिक दौर का तानसेन बताया।

पंडित जसराज ने कहा कि सुबह सुबह पंडितजी के निधन की खबर सुन कर वह स्तब्ध रह गए। उन्होंने कहा कि यह सूर्योदय के समय सूर्यास्त था। जानेमाने संतूर वादक पंडित सतीश व्यास ने जोशी को हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का ‘कोहिनूर’ करार दिया। भजन और गजल गायक अनूप जलोटा ने उन्हें आधुनिक संगीत का तानसेन कहा। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है जैसे भारतीय संगीत अनाथ हो गया हो।

शास्त्रीय गायक (कर्नाटक संगीत) एम. बालामुरलीकृष्णन ने कहा कि यह सिर्फ हिन्दुस्तानी संगीत के लिए ही नहीं बल्कि भारतीय संगीत के लिए भारी नुकसान है। शास्त्रीय संगीत के इस शिखर पुरूष के निधन पर सुरेश वाडेकर और आरती अंकलीकर टिकेकर ने कहा कि रिक्त हुए स्थान को भरना मुश्किल होगा।

शास्त्रीय गायिका बेगम परवीन सुल्ताना ने जोशी को कहा कि वे मेरे लिए बड़े भाई की तरह थे। गायक शौनक अभिषेकी ने कहा कि जोशी हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के ‘भीष्म पितामह’ थे। फिल्मकार श्याम बेनेगल ने कहा कि वे अपनी पीढ़ी के बेहतरीन शास्त्रीय कलाकार थे।