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Written By भाषा

गृह मंत्रालय को विभाजित किया जाए-चिदंबरम

Distribute home ministry-Chidambaram | गृह मंत्रालय को विभाजित किया जाए-चिदंबरम
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देश के सुरक्षा तंत्र का साहसी, पूर्ण और व्यापक पुनर्गठन करने का प्रस्ताव करते हुए गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि देश में आतंकी हमलों से प्रभावी रूप से निपटने के लिए अगले साल तक राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र का गठन कर लिया जाएगा।

भारत की सुरक्षा के लिए एक नये तंत्र की रूपरेखा पेश करते हुए चिदंबरम ने कहा कि समय की चुनौतियों और अपरिहार्यता को देखते हुए गृह मंत्रालय के वर्तमान कार्यों को विभाजित किया जाना टाला नहीं जा सकता।

अगले साल तक प्रस्तावित एनसीटीसी के गठन पर उन्होंने कहा कि इस विभाग की जिम्मेदारी प्रमुख रूप से आतंकवादी हमलों से देश की रक्षा करने और ऐसे हमले के जिम्मेदार लोगों को जवाब देने की होगी।

गृह मंत्री ने कहा कि वर्तमान में इस तरह की कोई संस्था नहीं है और इसका गठन किया जाना बेहद जरूरी है। मुझे बताया गया कि 11 सितंबर 2001 के बाद संयुक्त राष्ट्र इस काम को 36 घंटों में करने में सक्षम था। लेकिन भारत 36 महीनों का इंतजार नहीं कर सकता। भारत को तत्काल यह निर्णय लेना है कि वह आगे बढ़े। भारत एनसीटीसी के गठन में 2010 के अंत तक सफल होगा।

खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों और कर्मियों तथा अर्ध सैनिक बलों के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा कि गृह मंत्री को अपना पूरा समय और ऊर्जा सुरक्षा मामलों को निपटाने में लगाना चाहिए।

गृह मंत्री ने कहा कि नया सुरक्षा तंत्र का व्यापक ढाँचा पिछले साल के मुंबई हमलों का नतीजा है। उन्होंने कहा कि एक अरब से अधिक लोगों ने अपमानित महसूस किया तथा चंद आतंकवादियों ने देश को सांसत में डाल दिया। उन्होंने कहा कि लिहाजा मैं प्रस्ताव करता हूँ कि राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा तंत्र का साहसी, पूर्ण और व्यापक पुनर्गठन किया जाए। इसमें राजनीतिक, प्रशासनिक, खुफिया और प्रवर्तन तत्व शामिल होंगे।

चिदंबरम ने कहा कि जहाँ तक आतंकी हमले का जवाब देने की बात है, हमने हमले को रोकने और जवाब देने की क्षमता भले ही बढ़ा ली हो लेकिन मेरा मानना है कि अभी हम यह दावा करने की स्थिति में नहीं आ पाए हैं कि हमने आतंकी हमलों के खिलाफ शीघ्र और निर्णायक जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता हासिल कर ली है। उन्होंने कहा कि यही वह आकलन था, जिसने उन्हें इस तर्क पर आगे बढ़ाया कि शीर्ष पर सुरक्षा तंत्र का पूरी तरह से पुनर्गठन किया जाना चाहिए।

एनसीटीसी का काम किसी भी संगठन द्वारा फैलाई गई हिंसा का जवाब देना होगा, चाहे वह पूर्वोत्तर में उग्रवादी संगठन हों या फिर माकपा (माओवादी) या भारत के किसी भी हिस्से में कोई धार्मिक उन्मादी या फिर वह देश के बाहर से चलाया जा रहा कोई भी संगठन। चिदंबरम ने कहा कि एनसीटीसी जाँच, खुफिया जाँच और अभियान चलाने का काम करेगा।

कुछ संगठनों को एनसीटीसी के तहत लाए जाने का खुलासा करते हुए गृह मंत्री ने यह भी कहा कि इसे विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ एजेंसियों को स्वाभाविक तौर पर एनसीटीसी के तहत लाना होगा तथा मेरे दिमाग में जो नाम आ रहे हैं उनमें एनआईए, एनटीआरओ, जेआईसी, एनसीआरबी और एनएसजी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा से प्रत्यक्ष तौर पर न जुड़े मामलों के लिए एक अलग मंत्रालय का गठन किया जाना चाहिए या इनको गृह मंत्रालय के एक अलग विभाग के अंतर्गत कर देना चाहिए, जिसके कामों को बिना गृह मंत्री के सलाह मशविरा के एक अलग मंत्री देखे, विशेषतौर पर उसके पास स्वतंत्र प्रभार हो।

उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य के रिश्तों के बीच कई अन्य मामले हैं, जैसे जनगणना और आपदा प्रबंधन आदि। निस्संदेह यह आवश्यक कार्य हैं और इन पर गहरी नजर रखे जाने की आवश्यकता है। हालाँकि आंतरिक सुरक्षा अगर ज्यादा नहीं तो इनके बराबर के महत्व का विषय है, जिसपर सबसे ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

चिदंबरम ने कहा कि सुरक्षा बलों ने बेहतर खुफिया जानकारी से सन् 2009 में 12 से 13 ऐसे आतंकवादी हमले नहीं होने दिए, जो मुंबई और दिल्ली पर हुए हमलों की तरह घातक हो सकते थे। उन्होंने कहा कि किस्मत हमारे साथ थी और हम हर बार किस्मत वाले रहेंगे।

गृह मंत्री ने कहा कि मंत्रालय के विभाजन की सूरत में जिन बदलावों की जरूरत है वह काफी बुनियादी और सामान्य हैं। अधिक धन मुहैया कराकर प्रशासन को चुस्त कर तथा एक समयगबद्ध योजना पर काम कर यह हो सकता है। उन्होंने कहा कि नि:सन्देह इसके लिए राजनीतिक एवं पुलिस स्तर पर मजबूत नेतृत्व की जरूरत होगी। लेकिन जब हम आगे बढ़ेंगे तो संवैधानिक दायित्वों तथा सत्ता विभाजन से जुड़ें सवाल उठेंगे। (भाषा)