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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली (भाषा) , मंगलवार, 1 सितम्बर 2009 (22:11 IST)

सेठना ने साधा डॉ. कलाम पर निशाना

Scientist Homi Sethna | सेठना ने साधा डॉ. कलाम पर निशाना
वर्ष 1974 में किए गए भारत के पहले परमाणु परीक्षण को निर्देशित करने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक होमी सेठना ने मंगलवार को पोखरण-दो विवाद में कूदते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व वैज्ञानिक के संथानम के दावे को गलत ठहराने के लिए अधिकृत नहीं हैं।

संथानम ने कहा था कि पोखरण दो परीक्षण पूरी तरह सफल नहीं था और उससे पूरी तरह वांछित परिणाम नहीं मिले थे। इसके साथ ही परमाणु ऊर्जा आयोग के एक अन्य पूर्व अध्यक्ष पीके आयंगर ने भी कहा है कि 1998 के परीक्षण सरकार के कहने पर काफी जल्दबाजी में किए गए थे। अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार ने जब सत्ता संभाली ही थी तभी ये परीक्षण किए गए थे।

वर्ष 1974 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष रहे सेठना की टिप्पणी पोखरण विवाद को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और मिसाइल मैन डॉ. कलाम द्वारा दिए गए बयान से मेल नहीं खाती।

वर्ष 1998 में डीआरडीओ में संथानम के वरिष्ठ रहे कलाम ने कहा है कि थर्मोन्यूक्लियर उपकरण (हाइड्रोजन बम) के परीक्षण के वांछित परिणाम मिले थे।

सेठना ने एक टीवी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें (कलाम को) निष्कर्षण और विस्फोटक को स्तरीय बनाने के बारे में क्या पता है? उन्हें कुछ नहीं पता है। राष्ट्रपति हो जाने के नाते वे वैधानिक चोला पहने हुए लगते हैं। उन्होंने अपना रुतबा बढ़ाने के लिए परमाणु ऊर्जा का सहारा लिया होगा।

सेठना ने कहा कि मैं राजनीतिक नेताओं खासतौर से नौसिखिए राजनेताओं की और अधिक दखलंदाजी नहीं चाहता। मेरा दृढ़ विश्वास है कि उन्हें इससे दूर रहना चाहिए। अस्सी साल से ऊपर के सेठना परमाणु प्रतिष्ठान में अपने समय में काफी मुँहफट और स्पष्टवादी माने जाते थे।

कलाम ने गत 27 अगस्त को संथानम के उसे दावे को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि पोखरण परीक्षण के वांछित परिणाम नहीं मिले थे। सेठना ने नेताओं को सलाह दी कि वे विज्ञान से जुड़े मामलों में दखलंदाजी नहीं करें ।

वर्ष 1974 के परमाणु परीक्षण में अहम भूमिका निभाने वाले तीन वैज्ञानिकों में से एक आयंगर ने भी संथानम के दावे का समर्थन किया है और इसकी सफलता के दावे पर सवाल उठाया है ।

आयंगर ने कहा कि मार्च 1998 में पोखरण-दो परीक्षण से पूर्व देश के खुफिया तंत्र को पता चला होगा कि पाकिस्तान परमाणु परीक्षण करने वाला है और वह इस मामले में बहुत गंभीर है।

उन्होंने कहा कि इसलिए उन्होंने (भारत में सत्ता में आई नई सरकार ने) वैज्ञानिकों से जल्दी से जल्दी करने को कहा था ताकि राजनीतिक रूप से वर्चस्व बना सके क्योंकि भाजपा उसी समय सत्ता में आई थी। आयंगर ने कहा कि अगर पाकिस्तान ने भारत से पहले परमाणु परीक्षण कर लिया होता तो भारत की आम जनता क्या सोचती?