मुंबई में खत्म हो गए बच्चों के पार्क
अभिनेता मनोज बाजपेयी को शिकायत है कि मुंबई में विकास के नाम पर इमारतें खड़ी होती जा रही हैं, बच्चों के पार्क खत्म हो गए हैं, पेड़ पौधे भी जा रहे हैं।मनोज ने ब्लॉग में लिखा है कि जिस इमारत में वे रहते हैं, उसके सामने बहुत ही कम जगह में पार्क बनाया गया है। इस पार्क में आसपास के लोग कसरत करने या टहलने के लिए उमड़ पड़ते हैं।उन्होंने लिखा है कि पूरे मुंबई शहर में अब खुलापन बचा ही नहीं है। बच्चों के पार्क खत्म हो गए हैं। पेड़-पौधे भी जा रहे हैं। विकास के नाम पर इमारतें खड़ी हो रही हैं। खाली जगहों को गगनचुंबी इमारतों से भरा जा रहा है। एसईजेड बन रहे हैं।मनोज कहते हैं कि हरे-भरे पेड़, खेत-खलिहान सब धीरे-धीरे विकास की भेंट चढ़ जाएँगे। कितना भयावह दृश्य होगा। सरकार को, लोगों को इस बारे में सोचना चाहिए।सत्या, शूल, जुबैदा, पिंजर जैसी फिल्मों में लीक से हटकर भूमिका निभा चुके मनोज बाजपेयी ने सरकार से विभिन्न समस्याओं का निदान करने की अपेक्षा भी की है।उन्होंने लिखा है लोग पहले उदास थे, अब गुस्सा हो रहे हैं। सोफियान हो या लालगढ़। सबका निदान ढूँढना सरकार के हाथ में है।उन्होंने सवाल उठाया है कि ऐसा क्यों होता है जब हिंसा के जरिये लोग अपनी बात पहुँचाना चाहते है तब ही सरकार सुनती है। वोट बैंक की राजनीति चलती रहती है। लोगों की समस्याएँ अंतरमन को छू भी नहीं पातीं। अगर हम समय रहते नहीं संभले तो लोग सिस्टम पर ही सवाल उठाने लगेंगे।