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Written By भाषा
Last Modified: इस्लामाबाद , बुधवार, 30 जून 2010 (16:27 IST)

कश्मीर पर मुशर्रफ का फार्मूला खारिज

कश्मीर पर मुशर्रफ का फार्मूला खारिज -
पाकिस्तान सरकार ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के चार सूत्रीय फार्मूले को खारिज करते हुए कहा कि यह उनकी सोच थी, जिसे संसद या मंत्रिमंडल का समर्थन हासिल नहीं था। पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर ध्यान देने के लिए नए प्रयासों का सुझाव दिया।

विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि दोनों देशों को किसी भी क्षेत्र में हुई प्रगति पर काम करते रहना चाहिए और जहाँ प्रगति नहीं हुई है, वहाँ के लिए तरीके तलाशने चाहिए। कुरैशी 15 जुलाई को यहाँ विदेशमंत्री एसएम कृष्णा से मुलाकात करेंगे।

कुरैशी ने एक साक्षात्कार में कहा कि हम किसी भी चीज को अनदेखा नहीं करना चाहेंगे। हम भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी घटनाक्रम या किसी भी सकारात्मक घटनाक्रम की अनदेखी नहीं करना चाहेंगे। वह भारत के इस रुख पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें कहा गया है कि ‘धैर्य के साथ किए गए प्रयासों के जरिये जटिल बातचीत और संवाद’ के माध्यम से हुई प्रगति को फिर से दोहराने की जरूरत है, चाहे वह समग्र वार्ता में रही हो या फिर पर्दे के पीछे की कूटनीति में रही हो।

कुरैशी ने कहा कि कोई भी मुद्दा हो, चाहे कश्मीर हो, सियाचिन हो, सर क्रीक हो या पानी का मुद्दा हो, जिसमें भी प्रगति की जा सकती है, की जानी चाहिए। जहाँ यह प्रगति नहीं हुई है, हमें इनके तरीकों पर विचार करना चाहिए। जहाँ प्रगति हुई है तो इस पर आगे बढ़ना चाहिए।

जब कुरैशी से पूछा गया कि क्या उनकी सरकार दिसंबर 2006 में मुशर्रफ द्वारा कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए सुझाए गए चार सूत्री फार्मूले का समर्थन करती है, तो उन्होंने कहा कि जनरल मुशर्रफ ने उस समय जो चार सूत्री फार्मूला बनाया था, वह उनकी सोच था। यह पर्दे के पीछे की मौन कूटनीति के माध्यम से किया गया था।

उन्होंने कहा कि हम एक लोकतंत्र में हैं, जहाँ संसद की मंजूरी होनी चाहिए, मंत्रिमंडल में इस पर चर्चा होनी चाहिए। कुरैशी के मुताबिक, इन प्रस्तावों पर न तो कैबिनेट में चर्चा की गई और ना ही संसद से मंजूरी मिली।

कुरैशी ने कहा कि पिछले छह दशक में कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए अनेक प्रस्ताव रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि इसे सुलझाने के लिए 61 से अधिक प्रस्ताव विचारधीन हैं, जिनमें कुछ भारत द्वारा, कुछ पाकिस्तान द्वारा और कुछ तीसरे पक्ष के विशेषज्ञों द्वारा रखे गए।

पाक विदेशमंत्री ने कहा कि यह एक जटिल समस्या है, जिसके कोई आसान समाधान नहीं हैं, लेकिन यदि माहौल बनाया जाता है तो दोनों पक्ष देख सकते हैं कि उनके हित में क्या है। (भाषा)