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Written By भाषा

अरुणाचल मामले में नहीं हुई बात

चीनी प्रधानमंत्री जियाबाओ से मिले मनमोहनसिंह

Manmohan Singh mets Van ziabao | अरुणाचल मामले में नहीं हुई बात
PIB
हाल के आरोप-प्रत्यारोप के दौर के बीच प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह और उनके चीनी समकक्ष के बीच शनिवार को मुलाकात हुई जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय मुद्दों के मामले में बातचीत के जरिये सही तरीके से निपटने पर सहमति जताई। साथ ही उन्होंने अरुणाचल प्रदेश पर विवाद बातचीत नहीं की।

दोनों नेताओं ने पारस्परिक विश्वास, सौहार्द और बेहतर समझ के निर्माण के महत्व को रेखांकित किया और दोनों ने इस बात पर सहमति जताई कि किसी भी पक्ष को मतभेदों को विकसित होते संबंध की राह में बाधक नहीं बनने देना चाहिए।

आसियान-भारत शिखर सम्मेलन से इतर वेन के साथ एक घंटे तक चली बातचीत में सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक स्तर पर बेहतर समझ होनी चाहिए ताकि द्विपक्षीय संबंध मजबूत हों।

विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) एन. रवि ने बताया कि वेन ने सिंह के साथ इस बात पर सहमति जताई कि द्विपक्षीय संबंधों में जो मुद्दे उपजे उनसे बातचीत के जरिये सही तरीके से निपटा जाना चाहिए और उन्हें मैत्रीपूर्ण संबंधों के विकास में बाधक नहीं बनने देना चाहिए।

दोनों नेताओं ने अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे पर चर्चा नहीं की। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर दोनों देशों ने हाल के दिनों में एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगाए हैं। चीन की सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने कहा कि दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए जिससे सीमा मुद्दे पर मतभेद धीरे-धीरे घटें।

सिंह और वेन ने सीमावर्ती क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि यह सीमा मुद्दों के समाधान और द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने में सहायक होगा। चीनी संवाद समिति ने बताया कि दोनों पक्षों ने ऐसे समाधान की बाधाओं को दूर करने के उद्देश्य से बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई जो दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो।

भारत की तरफ से रवि ने सिर्फ एक वक्तव्य पढ़ा और मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया। रवि के अनुसार चीनी प्रधानमंत्री ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि भारत और चीन सौहार्द और मित्रता के वातावरण में रहें और खुशहाली का आनंद लें।

सिंह को पुराना मित्र बताते हुए वेन ने कहा कि द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर पारस्परिक लाभप्रद सहयोग को प्रगाढ़ बनाने के लिए 2006 के 10 सूत्री समझौते और पिछले साल के दृष्टि पत्र को लागू करना अहम है।

वेन ने कहा कि हम भारत के साथ स्वस्थ संबंध चाहते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में दोनों देशों के संबंध अच्छे होंगे।

वेन ने सिंह की उस टिप्पणी का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के संबंधों के विकास और सहयोग की पर्याप्त गुंजाइश है और उन्होंने कहा कि भारत और चीन के लिए इस तरह का सहयोग बढ़ाने के लिए पर्याप्त क्षेत्र हैं।

अरुणाचल के संबंध में चीन की ओर से भड़काऊ बयान दिए जाने और भारत की ओर से उस पर कड़ी प्रतिक्रिया दिए जाने के बाद दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच यह मुलाकात हुई।

सिंह के दोबारा निर्वाचन पर उन्हें बधाई देते हुए वेन ने कहा कि विगत वर्षों में दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों के विकास और उसे प्रगाढ़ बनाने के लिए अहम समझौते पर पहुँचे। उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों, क्षेत्र और दुनिया के हितों की पूर्ति करता है। वेन के साथ अपनी मुलाकात को रचनात्मक करार देते हुए सिंह ने कहा कि अच्छी चर्चा हुई और दोनों पक्ष सामरिक और कारोबारी सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए।

वेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों की सभी पहलुओं से समीक्षा करते हुए सिंह ने कहा कि वे सभी दिशा में संबंधों को आगे बढ़ते देखना चाहेंगे। उन्होंने आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को ‘हमारी भागीदारी का अहम स्तंभ’ बताया और रक्षा क्षेत्र में आदान-प्रदान का उल्लेख किया।

सिंह ने चीन के साथ जलवायु परिवर्तन, विश्व व्यापार और वैश्विक वित्तीय संकट जैसे मुद्दों पर सहयोग करने के लिए भारत के तैयार होने की बात कही। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देशों के बीच भागीदारी क्षेत्र और पूरी दुनिया के हित में है।