शनिवार, 27 अप्रैल 2024
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Written By WD

नंदादेवी अब कैलाश की ओर अग्रसर

देहरादून से ललित भट्‌ट

नंदादेवी अब कैलाश की ओर अग्रसर -
उत्तराखंड में जारी नंदा राजजात यात्रा अब धीरे-धीरे यात्रा कैलाश की ओर अग्रसर है। समुद्र सतह से लगभग 1480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित फल्दिया गांव से गुरुवार सुबह नंदादेवी राजजात यात्रा मुंदोली के लिए प्रस्थान कर गई। मुन्दोली समुद्र तल से 1750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। फल्दिया गांव जहां कल रात राजजात यात्रा रुकी थी से मुन्दोली की दूरी दस किलोमीटर है। आज नंदादेवी की राजजात यात्रा में कुमाऊं से शामिल हुई छंतोलियां भी है। इसलिए यात्रियों की संख्या में भी इजाफा हो गया है।
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फल्दिया गांव से आगे कांडई गांव होते हुए तिलवाड़ा के नंदादेवी मंदिर में जब यात्रा पहुंची तो वहां आयोजित भव्य मेला आकर्षण का केन्द्र रहा। तिलवाणा में देवी के दर्शनों को जनसैलाब उमड़ पड़ा। इसके पश्चात ल्वाणी, बगरीगाड़ के मंदिरों में भी देवी की पूजा की तैयारियां चल रही थी।

रात को जब देवी राजजात मुन्दोली गांव पहुंचेगी तो भूमिपाल व जैयाल देवताअें के चौक में नंदादेवी का भी आमद होगी। इस मौके पर ग्रामीण महिलाएं पुरुषों के साथ मिलकर अत्यन्त आकर्षक लोक नृत्य एवं लोकगीत प्रस्तुत करने की तैयारी कर चुके हैं। भूमिपाल एवं जैयाल देवता के मंदिर में नंदादेवी की कटार भी रखी है इसे भी आज पूजा जाएगा। सुराही व देवदार के वृक्षों से आच्छादित मुंदोली गांव व वैसे भी अध्यात्मिक शक्ति का द्योतक रहा है।

मुंदोली से उपर की तरफ लोहाजंग जाते हुए रास्तें में कई चबूतरे हैं जहां सुरई के पेड़ रोपे गए हैं। परम्परा है कि पुत्र प्राप्ति की कामना को लेकर श्रद्धालु यहां सुरई के पौधे लगाते हैं। इससे उनका मनोरथ पूर्ण होता है।

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मुंदोली गांव के बाद नंदाराजजात का अंतिम ग्रामीण पड़ाव बाज गांव होगा उसके बाद निर्जन पड़ाव की ओर यात्रा कैलाश की तरफ बढ़ती जाएगी। आज ग्यारहवें दिन का पड़ाव मुंदोली में गुजरने के बाद यात्रा अंतिम बसासत को कल प्रस्थान करेगी। बीते कल की यात्रा में एक अद्‌भुत क्षण तब उपस्थित हुआ जबकि नंदाराजजात यात्रा में नंदा के पुजारियों के गांव गैरोला के एक परिवार के मुखिया दस पीढ़ियों के बाद नंदा देवी राजाजात का हिस्सा बने।

चमोली जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी पद पर तैनात डॉ. अजीत गैरोला दस पीढ़ियों के बाद अपने मूल गांव गैरोली में नंदा राजजात में शामिल होते हुए पहुंचे थे। यह देख राजजात आयोजक भी भावुक हुए बिना न रह सके।

नंदामय माहौल में नंदादेवीराजजात बुधवार रात तक 90 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी थी। आज 109 किलोमीटर की दूरी पूरी हो जाएगी। 280 किलोमीटर की यह यात्रा दिनों दिन अपने गंतव्य की ओर अग्रसर है। भगवान बद्रीनाथ के प्रतिनिधि के रूप में भी एक छंतोली मां नंदा की राजजात में शामिल हो चुकी है। इसको शामिल करने से पूर्व छंतोली में बद्रीनाथ से दस्तूर और पूजा सामग्री भी ली गई। अब तक नंदाराजजात यात्रा के इस महाकुम्भ का दर्शन पांच लाख से अधिक श्रद्धालु कर चुके हैं।

उत्तराखण्ड के दोनों मंडलों गढ़वाल और कुमाऊं की छंतोलियों एवं नंदादेवी डोलियों के साथ मिलने के बाद नंदकेशरी से आज नंदादेवी राजाजात फल्दिया गांव को निकल गई। अब सरकार ने भी नंदादेवी राजजात में शामिल यात्रियों के लिए व्यवस्थाओं पर पूरी ताकत झोंक दी है। निर्जन पड़ावों में सरकार को ही राजजात यात्रा का बंदोबस्त करना है।
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नंदकेशरी जहां पिछली राजजात से ही पड़ाव बनाया गया था में पहले पड़ाव नंदाराजजात के दौरान नहीं होता था। नंदकेशरी में कुमाऊं के तमाम क्षेत्रों की छंतोलियां जब नंदाराजजात में शामिल हुई तो नजारा अद्‌भुद था। दो भिन्न संस्कृतियां आपस में गले मिल नंदा की जयकारों से एक दूसरे का स्वागत कर रही थी।
नंदकेशरी से यात्रा फल्दिया गांव के लिए प्रस्थान करती है तो रास्ते में भेंकलझाड़ी पूर्ण सेरा एक छोटा बुग्याल में पूजा की जाती है। बताया जाता है कि जब दैत्य भगवती का पीछा कर रहे थे तो भगवती पूर्ण सेरा में भेकल झाड़ी में छिप गई सेरे की फसल में दैत्य ने रास्ता ढूंढा। भगवती ने क्रोधित होकर श्राप दिया कि भविष्य में इन खेतों में गेहूं नहीं होगा जिस झाड़ी में भगवती छिपी थी वह हमेशा हरी रहती है उसके पतझड़ नहीं होता है।
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यहां पर एक मंदिर भी है। यहां पर राजजात की विशेष पूजा का विधान है। रास्ते में पड़ने वाले देवाल गांव में तो इस मौके पर आज के दिन बड़ा भारी मेला भी लगता है। इच्छोली, हाट कल्याणी, में पूजा पाकर देवी नंदा लाटू के मंदिर भी पहुंचती है। जो एक बड़े पत्थर के ऊपर लिंगाकार रूप में स्थापि है। कैलनदी के दाई ओर समुद्र तल से 1480 मीटर की ऊंचाई पर स्थित फल्दियागांव में यात्रा का रात्रि विश्राम हुआ जिसमें कि रात्रि जागरण किया गया।