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Written By WD

मोदी सरकार को रास नहीं आया एम्स का ईमानदार अधिकारी...

मोदी सरकार को रास नहीं आया एम्स का ईमानदार अधिकारी... -
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नई दिल्ली। भले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में भ्रष्टाचार से मुक्ति पर जोर देते रहे हो पर एम्स के मुख्य सतकर्ता अधिकारी (सीवीओ) संजीव चतुर्वेदी को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना महंगा पड़ गया।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को हटाए जाने को गुरुवार को सही ठहराते हुए कहा कि वह इस पद के ‘योग्य’ नहीं हैं।

हर्षवर्धन ने कहा कि वे एम्स में जिस पद पर थे, वे उसके लिए कतई योग्य नहीं थे। हमें सूचित किया गया कि केंद्रीय सतर्कता आयोग की मंजूरी के बिना किसी को भी कहीं भी सीवीओ पद नहीं सौंपा जा सकता।

उल्लेखनीय है कि चतुर्वेदी को हटाने के लिए कुछ सांसद लंबे समय से स्वास्थ्य मंत्रालय पर दबाव डाल रहे थे। सांसदों ने उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए मंत्रालय को लिखित शिकायत भी दी थी।

चतुर्वेदी को पद से हटा दिया गया है और उनके अधिकार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सीवीओ और संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी को दे दिए गए हैं। हालांकि इस आदेश में इसके पीछे कोई कारण नहीं बताया गया है।

वहीं दूसरी ओर अपने खिलाफ हुए इस व्यवहार का जिक्र करते हुए संजीव चतुर्वेदी ने पीएम को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि भाजपा नेता के कहने पर ही उन्हें हटाया गया है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने पर ही उन्हें यह सजा दी गई है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चतुर्वेदी से सारे अधिकार छीनने से संबंधित फैसला बीते शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक उच्चस्तरीय समिति ने लिया था और चतुर्वेदी को इस निर्णय के बारे में मंगलवार को अवगत कराया गया था।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि चतुर्वेदी ने संस्थान में धड़ल्ले से हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी थी। एम्स में सीवीओ के रूप में संजीव की नियुक्ति जून, 2012 से जून, 2016 तक के लिए की गई थी।

क्या पीएमओ की अनुमति से हुई है चतुर्वेदी की छुट्टी...


इधर इस मामले में नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला शुरू हो गया है। एनडीए सरकार ने घोषणा की थी कि एम्‍स के सीवीओ को हटाने या ट्रांसफर करने के पहले पीएमओ से आदेश लेना होगा।

इसका साफ मतलब है कि मोदी के नाक के नीचे से ही यह कार्रवाई की गई है, अब सवाल है कि मोदी जहां भ्रष्‍टाचार से लड़ने की बात करते हैं वहीं एक साफ छवि वाले अधिकारी को हटाया जा रहा है।