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Written By भाषा
Last Updated :नई दिल्ली , रविवार, 27 जुलाई 2014 (00:31 IST)

सोने के आयात से रोक नहीं हटेगी

सोने के आयात से रोक नहीं हटेगी -
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नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मंगलवार को कहा कि चालू खाते का घाटा बढ़ने से रोकने और उसे नियंत्रण में रखने के लिए सरकार पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा सोने के आयात पर लगाई गई रोक को जारी रखना चाहती है।

जेटली ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा 'हर कदम जारी है.. प्रयास किए जा रहे हैं कि इनमें से हर उपाय जारी रहे।' वर्ष 2012-13 में चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.7 फीसदी (88.2 अरब अमेरिकी डॉलर) था जिसे नियंत्रित करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने कई कदम उठाए थे।

पूरक प्रश्नों के जवाब में जेटली ने इन कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों ही सरकारों और भारतीय रिजर्व बैंक ने सोने तथा अन्य गैर आवश्यक वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए। साथ ही विदेशी मुद्रा की आपूर्ति बढ़ाने के उपाय भी किए गए।

जेटली ने डॉ टी सुब्बारामी रेड्डी के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि चालू खाते के घाटे के मोर्चे पर संकट की शुरुआत मई 2013 में हुई जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी आस्तियों की खरीद कम करने के इरादे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उस समय वित्त मंत्रालय ने चालू खाते का घाटा नियंत्रित करने के लिए सोने के आयात को लेकर कड़े कदम उठाने सहित कई उपाय किए।

उन्होंने बताया कि सोने पर आयात शुल्क तीन गुना बढ़ा दिया गया। साथ ही सोने के आयात को सोने के निर्यात से जोड़ा गया।

वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार और आरबीआई के इन कदमों से भारत का चालू खाते का घाटा घट कर वर्ष 2013.14 में सकल घरलू उत्पाद का 1.7 फीसदी (32.4 अरब डॉलर) हो गया और 4 जुलाई 2014 की स्थिति के अनुसार 316.4 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार सृजित करने में भी मदद मिली।

जेटली ने कहा कि ऐसा लगता है कि सोने के आयात पर रोक कारगर रही। उन्होंने कहा कि सरकार चालू खाते के घाटे को नियंत्रित स्तर पर रखने के लिए प्रयास कर रही है।

वित्त मंत्री ने तपन कुमार सेन के पूरक प्रश्न के उत्तर में यह भी कहा कि जहां तक आर्थिक नीति की भूमिका का सवाल है तो आरबीआई किसी विशेष दर या विनिमय दर का लक्ष्य नहीं रखता। आरबीआई विनियम दर की स्थिरता के लिए और मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिरता में व्यवधान को रोकने के लिए ही बाजार में हस्तक्षेप करता है।

उन्होंने कहा कि सरकार और आरबीआई न तो चालू खाते के घाटे के विशेष स्तर का अनुमान लगाते हैं और न ही इसका कोई लक्ष्य तय करते हैं। उनकी भूमिका भुगतान संतुलन के घटनाक्रम पर गहराई से नजर रखने और चालू खाते के घाटे को नियंत्रित स्तर पर रखने के मुख्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक उपाय करने तक रहती है।

इससे पहले प्रश्नकाल शुरू होने पर एक न्यायाधीश की नियुक्ति को लेकर अन्नाद्रमुक के सदस्यों के हंगामे के कारण उच्चसदन की बैठक शुरू होने के कुछ ही देर बाद 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।

अन्नाद्रमुक सदस्य एक न्यायाधीश की नियुक्ति के मुद्दे की जांच की मांग कर रहे थे जबकि द्रमुक सदस्य उनका विरोध कर रहे थे। सभापति हामिद अंसारी ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने के लिए कहा। लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने बैठक दस मिनट के लिए स्थगित कर दी। बहरहाल, 10 मिनट बाद बैठक पुन: शुरू होने पर सदन में प्रश्नकाल सामान्य रूप से चला। (भाषा)