शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
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Written By WD

दागियों को मंत्री नहीं बनाना चाहिए-सुप्रीम कोर्ट

दागियों को मंत्री नहीं बनाना चाहिए-सुप्रीम कोर्ट -
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि जिन पर आपराधिक आरोप तय हो चुके है, उन्हें मंत्री नहीं बनाना चाहिए।

हालांकि शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों वाली इस संवैधानिक पीठ ने कहा कि मंत्री बनाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इस पर विचार करेंगे।

अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार और अनैतिक कृत्यों में लिप्त तथा कानून का उल्लंघन करने वालों को मंत्रियों के रूप में अपने कर्तव्य का निर्वहन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि संविधान प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों में गहरा विश्वास रखता है और उनसे उम्मीद करता है कि वे जिम्मेदारी के साथ और संवैधानिक आचरण के अनुरूप व्यवहार करेंगे।

याचिकाकर्ता मनोज नरूला ने एक जनहित याचिका दाखिल कर केंद्रीय मंत्रिमंडल से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों को हटाने की मांग की थी, जिसे 2004 में कोर्ट ने खारिज कर दिया था। लेकिन याचिकाकर्ता की तरफ से पुनर्विचार याचिका दायर करने पर कोर्ट ने मामले को संवैधानिक बेंच को भेज दिया था।

नरेंद्र मोदी की सरकार में एक दर्जन से अधिक मंत्री ऐसे हैं, जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, ग्रामीण विकास मंत्री उपेंद्र कुशवाहा डॉ. हर्षवर्धन, धर्मेंद्र प्रधान, निहाल चंद, जनरल वीके सिंह, जुएल ओरांव, मेनका गांधी, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रकाश जावड़ेकर, रामविलास पासवान, संजीव कुमार बालियान शामिल है।