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Written By वार्ता

तब आडवाणी ने कहा था, मोदी जैसा नेता नहीं देखा...

तब आडवाणी ने कहा था, मोदी जैसा नेता नहीं देखा... -
नई दिल्ली। अगले प्रधानमंत्री के तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को पेश किए जाने के फैसले से कोप भवन में गए भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी खुद मोदी के अगाध प्रशंसक रहे हैं और 2002 के कुख्यात दंगों को लेकर आडवाणी ही थे, जो पार्टी और सरकार के भीतर और बाहर उनकी ढाल बनकर खड़े हो गए थे।
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मोदी की प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में ताजपोशी का खुलकर विरोध कर आडवाणी खुद को एक धर्मनिरपेक्ष विकल्प के रूप में पेश करने के कितने कामयाब होंगे, यह वक्त ही बताएगा लेकिन 5 साल पहले जब उन्होंने अपने दिल की बात अपनी आत्मकथा 'मेरा जीवन मेरा देश' में उड़ेली थी तो पूरा एक अध्याय उन्होंने गुजरात सांप्रदायिक हिंसा को समर्पितत किया था जिसमें उन्होंने साफतौर मोदी को क्लीन चिट देते हुए माना था कि नरेन्द्र मोदी योजनाबद्ध दुष्प्रचार अभियान के शिकार रहे हैं।

इस पुस्तक में गुजरात संबंधी अपने लेख में आडवाणी ने लिखा है कि मैंने पार्टी के भीतर विभिन्न मंचों पर नरेंद्र मोदी के त्यागपत्र के लिए की गई मांग का भी विरोध किया। हमें इस बात खुशी है कि बाद के घटनाक्रम ने उनमें मेरे विश्वास को पूर्णत: सही सिद्ध किया।

मोदी को निष्ठावान, साहसी और समर्थ नेता बताते हुए आडवाणी ने लिखा कि ऐसा नेता लोगों के समर्थन से दुष्प्रचार के निजी अभियान को पराभूत किया जा सकता है।

गुजरात चुनावों में लगातार मोदी को मिलने वाली जीत के आधार पर आडवाणी ने कहा कि मैंने पिछले 60 वर्षों के दौरान भारतीय राजनीति में ऐसा कोई नेता नहीं देखा जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर निरंतर इतने घृणित तथा अनैतिक रूप से बदनाम किया गया हो जितना मोदी को सन् 2002 से किया गया। सोनिया गांधी ने तो सारी मर्यादाएं तोड़कर उन्हें 'मौत का सौदागर' तक कह दिया।

अगले पन्ने पर... मोदी की जीत पर क्या बोले थे आडवाणी...


मुझे प्रसन्नता है कि गुजरात के लोगों ने ऐसी विषैली राजनीति करने वालों को सटीक उत्तर दिया। इतना ही नहीं, मोदी के नेतृत्व में गुजरात की जीत को आडवाणी ने भाजपा की संसदीय चुनावों में विजय हासिल करने का निर्णायक बिंदु भी बताया था।

उनका कहना था कि हमारे देश में विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव होते रहते हैं लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में किसी राज्य विशेष में जनता का फैसला निर्णायक बिंदु बहुत कम बनता है।

उनका कहना था कि मुझे तनिक भी संदेह नहीं है कि गुजरात में हमारी पार्टी की जीत वास्तव में एक निर्णायक बिंदु बनेगी, क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि अगले संसदीय चुनावों में भाजपा का पुनरुत्थान होगा और उसे विजय प्राप्त होगी।

आडवाणी ने मोदी की जीत को एक नए राजनीतिक दर्शन के रूप में भी पेश किया। उन्होंने कहा कि मोदी के पुनर्निर्वाचित होने से कई बातें उजागर होती हैं, जो केवल गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए महत्व रखती हैं।

उन्होंने पारंपरिक धारणा को गलत साबित किया कि सुराज को उत्कृष्ट राजनीति के दर्पण में नहीं देखा जा सकता। उन्होंने इस धारणा को गलत साबित किया कि विकास के मुद्दे पर चुनाव नहीं जीता जा सकता।

गुजरात में 2002 के बाद मोदी सरकार के कार्यकाल में कोई सांप्रदायिक दंगा या आतंकवाद की कोई वारदात नहीं होने पर भी आडवाणी मोदी को पूरे नंबर देते हैं।

उन्होंने कहा कि सबसे अधिक बल उन्हें इस बात से मिलता है कि मोदी ने राजनीतिक और नौकरशाही तंत्र में फैले भ्रष्टाचार पर काबू पाने में सफलता प्राप्त की जिससे उनके आलोचक भी उनकी प्रशंसा किए बिना नहीं रहे।

लेकिन 2008 में मोदी के बारे में प्रशंसाओं के पुल बांधने और राज्य में उनकी विजय को आम चुनाव में जीत का आधार मानने के बावजूद आडवाणी ने मोदी को पहले तो पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान का प्रमुख बनाए जाने का विरोध किया और अब उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किए जाने पर उनका विरोध जारी है। (वार्ता)