शनिवार, 27 अप्रैल 2024
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Written By भाषा

यूपीएससी परीक्षा में हिन्दी को लेकर क्यों है घमासान

यूपीएससी परीक्षा में हिन्दी को लेकर क्यों है घमासान -
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नई दिल्ली। संघ लोकसेवा आयोग द्वारा अपनी परीक्षाओं में कथित रूप से हिन्दी भाषा का महत्व कम किए जाने का मुद्दा लोकसभा में उठा लेकिन केंद्र सरकार ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं देते हुए कहा कि सदस्यों की ओर इस विषय पर चर्चा के नोटिस आने पर सरकार अपनी प्रतिक्रिया देगी।

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता मुरलीमनोहर जोशी ने यह सवाल उठाते हुए कहा कि हिन्दीसेवा में आने वाले अधिकारियों की संख्या घटकर दो प्रतिशत रह गई है और ऐसे में राजभाषा के प्रोत्साहन के लिए बनाई गई सभी योजनाएं निर्थक साबित हो रही हैं।

जोशी ने कहा कि संघलोक सेवा आयोग ने परीक्षा की जो पद्धति अपनाई है उससे आने वाले समय में हिंदी तो क्या तमिल, तेलुगू आदि सभी भारतीय भाषाओं का ही सफाया हो जाएगा।

उन्होंने सवाल उठाया कि क्या केवल अंग्रेजी भाषा में सरकार चलेगी। उन्होंने कहा कि यूपीएससी के रवैए को लेकर छात्र आंदोलनरत हैं और यह उनके साथ ही नहीं बल्कि हिन्दीभाषा के साथ भी अन्याय है।

गृह मंत्री राजनाथसिंह ने इस बात से इंकार किया कि हिन्दीभाषा के महत्व को कम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिन्दी का महत्व दिनोंदिन बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं के प्रोत्साहन के लिए हमारी सरकार सब कुछ करने को तैयार है।

गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने इस सवाल के जवाब में कहा कि हिन्दी भाषा को प्रोत्साहित करना केवल केंद्र सरकार की नहीं बल्कि राज्यों की भी बराबर की जिम्मेदारी है।

राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रश्नकाल के बाद भी कई सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया और सरकार से जवाब की मांग की। इस पर संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इस विषय पर सदस्यों की ओर से चर्चा के नोटिस आने पर सरकार अपनी प्रतिक्रिया देगी।

सरकार ने यूपीएससी से आग्रह किया कि जब तक पाठ्यक्रम मुद्दे पर स्पष्ट रूख सामने नहीं आता तब तक वह सिविल सर्विसेज की प्रारंभिक परीक्षा को स्थगित रखे। हिन्दी मीडियम के छात्र इसका विरोध भी कर रहे हैं। 24 अगस्त को 2014 की प्रारंभिक परीक्षा होनी है। सरकार का कहना है कि विवाद सुलझने के बाद परीक्षा का आयोजन हो।

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लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने यह सवाल उठाते हुए कहा कि हिंदी सेवा में आने वाले अधिकारियों की संख्या घटकर दो फीसदी रह गयी है और ऐसे में राजभाषा के प्रोत्साहन के लिए बनायी गयी सभी योजनाएं निर्थक साबित हो रही है।

जोशी ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग ने परीक्षा की जो पद्धति अपनाई है उससे आने वाले समय में हिंदी तो क्या तमिल, तेलुगू आदि सभी भारतीय भाषाओं का ही सफाया हो जाएगा। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या केवल अंग्रेजी भाषा में सरकार चलेगी। उन्होंने कहा कि यूपीएससी के रवैए को लेकर छात्र आंदोलनरत हैं और यह उनके साथ ही नहीं बल्कि हिंदी भाषा के साथ भी अन्याय है।