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Written By WD Feature Desk

चैत्र नवरात्रि 2023 : जवारे क्यों बोते हैं? क्या है रहस्य?

चैत्र नवरात्रि 2023 : जवारे क्यों बोते हैं? क्या है रहस्य? - Chaitra navratri Niyam why barley is sown
चैत्र और शारदीय नवरात्रि में कलश और घटस्थापना के साथ ही एक घट में जवारे अर्थात जौ या गेहूं बोये जाते हैं। माता दुर्गा को यह बहुत पसंद हैं। आओ जानते हैं कि क्या है इसका रहस्य।
 
1. नवरात्रि में कलश के सामने एक मिट्टी के पात्र में मिट्टी में जौ या गेहूं को बोया जाता है और इसका पूजन भी किया जाता है। बाद में नौ दिनों में जब जवारे उग आते हैं तो उसके बाद उनका नदी में विसर्जन किया जाता है।
 
2. जवारे को जयंती और अन्नपूर्णा देवी माना जाता है। माता के साथ जयंती और अन्नपूर्णा देवी की पूजा भी जरूरी होती है।
 
3. मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में सबसे पहली फसल जौ ही थी। इसे पूर्ण फसल भी कहा जाता है। 
 
4. जौ या गेहूं अंन्न है और हिन्दू शास्त्रों में अन्न को ब्रह्म माना गया है। इसीलिए भी नवरात्रि में इसकी पूजा होती है।
 
5. जब भी देवी या देवताओं का हवन किया जाता है तो उसमें जौ का बहुत महत्व होता है।
 
6. जौ बोने से वर्षा, फसल और व्यक्ति के भविष्य का अनुमान भी लगाया जाता है। कहते कि जौ उचित आकार और लंबाई में नहीं उगे तो उस वर्ष कम वर्ष होगी और फसल भी कम होगी। इसे भविष्य पर असर पड़ता है।
 
7. बोये गए जौ के रंग से भी शुभ-अशुभ संकेत मिलते हैं। मान्यता है कि यदि जौ के ऊपर का आधा हिस्‍सा हरा हो और नीचे से आधा हिस्‍सा पीला हो तो इसका आशय यह है कि आने वाले साल में आधा समय अच्‍छा होगा और आधा समय कठिनाइयों से भरा होगा। 
 
8. यदि जौ का रंग हरा हो या फिर सफेद हो गया हो, तो इसका अर्थ होता है कि आने वाला साल काफी अच्‍छा जाएगा। यही नहीं देवी भगवती की कृपा से आपके जीवन में अपार खुशियां और समृद्धि का वास होगा।
 
9. कहते हैं कि नवरात्र में बोई गई जौ जितनी बढ़ती है उतनी ही माता रानी की कृपा बरसती है। इससे व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहने के संकेत मिलते हैं।
 
10. मान्यता है कि यदि जौ के अंकुर 2 से 3 दिन में आ जाते हैं तो यह बेहद शुभ होता है और अदि जौ नवरात्रि समाप्त होने तक जौ न उगे तो यह अच्छा नहीं माना जाता है। हालांकि, कई बार ऐसा भी होता है कि यदि आपने उचित तरीके से जौ नहीं बोया है तो भी जौ नहीं उगता है। ऐसे में ध्यान रखें कि जौ को अच्छे से बोएं।
1. एक मिट्‍टी के सकोरे या कटोरे में जवारे उगाए जाते हैं। मिट्टी के इस पात्र को अच्छे से धो लें। उसके भीतर तल में स्वास्तिक बना लें।
 
2. अब इस पात्र को स्वच्छ और काली मिट्टी एवं उपले के चूर्ण से आधा भर दें, इसके बाद जल का छिड़काव करें।
 
3. इसके बाद भीगे हुए 1 मुट्ठी जौ या गेहूं लेकर उन्हें उस मिट्टी के पास में डालकर फैला दें।
 
4. अब पुन: उस पात्र में जौ या गेहूं के ऊपर मिट्टी डालकर पूरे पात्र को भर दें। अब इस पर जल का छिड़काव करें।
 
5. अब इस पात्र को माता दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष स्थापित करके इसका पूजन करें।

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