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आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि कब है, 9 दिनों में 7 दिन रहेंगे विशेष संयोग

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि कब है, 9 दिनों में 7 दिन रहेंगे विशेष संयोग - ashada navratri 2019 gupt navratri
पुराणों में लिखा है गुप्त नवरात्रि की पूजन मां सहर्ष स्वीकार करती है लेकिन हम लोग शारदेय और चैत्र नवरात्रि को अधिक महत्व दे‍ते हैं। जानकारों का कहना है कि तंत्र सिद्धि और गुप्त मनोकामनाओं के लिए गुप्त नवरात्रि ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 3 जुलाई से प्रारंभ होकर 10 जुलाई तक रहेगी। 
 
विशेष योग 
नवरात्र के नौ दिनों में पांच बार रवि योग और दो बार सर्वार्थ सिद्धि का विशिष्ट संयोग रहेगा। सप्तमी तिथि का क्षय होने के कारण अष्टमी और नवमी एक ही दिन रहेगी। चैत्र मास और आश्विन मास में आने वाली नवरात्र से ज्यादा महत्व गुप्त नवरात्र का माना जाता है। गुप्त नवरात्र में मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमाता, भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाएगी। 
 
साल की 4 नवरात्रि कौन सी है 
साल में चार बार नवरात्र आते हैं। दो सामान्य होती हैं और दो गुप्त नवरात्र होते हैं। गुप्त नवरात्र में तंत्र, मंत्र और यंत्र की साधना से 10 गुना अधिक शुभ फल प्राप्त होता है। आषाढ़ मास की नवरात्रि में शिव और शक्ति की उपासना की जाती है। गुप्त नवरात्र विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां पाने का समय है। मां भगवती की आराधना दुर्गा सप्तशती से की जाती है। यदि साधक के पास समयाभाव है तो वह भगवान शिव द्वारा रचित सप्त श्लोकी दुर्गा का पाठ कर सकता है। 
 
गुप्त नवरात्र में शुभ और मान्य होती है मानसिक पूजा 
गुप्त नवरात्रि में मानसिक पूजा की जाती है। माता की आराधना मनोकामनाओं को पूरा करती है। गुप्त नवरात्र में माता की पूजा देर रात ही की जाती है। नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए भक्त को प्रतिपदा के दिन घट स्थापना करना चाहिए। भक्त को सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा करना चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं का पूजन करने के बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए।