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Written By भाषा
Last Updated :नई दिल्ली , सोमवार, 1 सितम्बर 2014 (20:50 IST)

हिंडाल्को मामले में सीबीआई से अदालत का सवाल

हिंडाल्को मामले में सीबीआई से अदालत का सवाल -
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नई दिल्ली। दिल्ली की एक विशेष सुनवाई अदालत ने सोमवार को सीबीआई से यह स्पष्ट करने को कहा कि उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के नेतृत्व वाली कंपनी हिंडाल्को को कोयला प्रखंड के आवंटन में क्या ‘कानून के तहत नियमों का अनुपालन’ किया गया था।

सीबीआई ने इस आवंटन के मामले में बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच बंद करने का फैसला किया है। जांच बंद करने के लिए सीबीआई की ओर से दाखिल रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए विशेष अदालत ने जांच एजेंसी से पूछा कि हिंडाल्को को कोयला प्रखंड का आवंटन करने में कोई ‘भूल-चूक’ तो नहीं हुई थी।

विशेष न्यायाधीश भारत पराशर ने कहा कि आपको (सीबीआई) 3 चीजें साफ करनी हैं। प्रथम यह कि कायदे कानून का पालन किया गया या नहीं, दूसरी यह कि क्या इसमें कोई ‘भूल-चूक’ हुई? अगर ऐसा हुआ है तो क्या इसमें कोई आपराधिक मामला बनता है।

सुनवाई के दौरान सीबीआई के जांच अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान हिंडाल्को के आवंटन में किसी आपराधिक कृत्य नहीं दिखा।

जांच अधिकारी ने कहा कि कोयला आवंटन के मामलों के आवेदनों की जांच-पड़ताल करने वाली स्क्रीनिंग कमेटी ने शुरू में हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश नहीं की थी, लेकिन बाद में बिड़ला के आग्रह पर उसने अपने फैसले की समीक्षा करते हुए कहा था कि हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक दे दिया जाए।

इस पर न्यायाधीश का सवाल था कि क्या उनका आग्रह मानने के लिए यह तरीका अपनाना स्वीकार्य था। अदालत ने कहा कि हम यहां यह देखने के लिए नहीं हैं कि कोयला प्रखंडों का आवंटन ठीक से किया गया या नहीं। हमें देखना है कि इसमें कायदे- कानून का पालन हुआ या नहीं।

जब न्यायाधीश ने जांच अधिकारी से यह सवाल शुरू किए तो उसने कहा कि विशेष सरकारी वकील आरएस चीमा इस मुद्दे पर अदालत के सवालों का जवाब देंगे।

न्यायाधीश ने कहा कि कुछ और स्पष्टीकरण की जरूरत है। जांच अधिकारी ने कहा है कि विशेष सरकारी वकील के उपस्थित नहीं होने के कारण वे कोई बयान देने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने इसके लिए कुछ समय मांगा है और न्यायालय की ओर से समय दे दिया गया है। न्यायाधीश ने अगली सुनवाई के लिए 12 सितंबर की तारीख तय की है।

सीबीआई ने बिड़ला और पारेख तथा अन्य के खिलाफ कोयला प्रखंड आवंटन मामले में पिछले साल अक्टूबर में एफआईआर दर्ज की थी। जांच एजेंसी ने बाद में जांच बंद करने का फैसला किया और 28 अगस्त को न्यायालय में एक रिपोर्ट लगाकर इस मामले को बंद करने की अनुमति मांगी है।

सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि पारेख ने हिंडाल्को को कोयला प्रखंडों के आवंटन नहीं करने के फैसले को बिना किसी वैध आधार को बदल दिया और ऐसा करते हुए ‘अनुचित पक्ष’ लिया।

हिंडाल्को को 2005 में तालबीरा-2 और 3 कोयला प्रखंडों का आवंटन किया गया था। (भाषा)