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Last Updated : बुधवार, 3 सितम्बर 2014 (11:58 IST)

इन मोर्चों पर असफल रही मोदी सरकार...

इन मोर्चों पर असफल रही मोदी सरकार... - इन मोर्चों पर असफल रही मोदी सरकार...
केन्द्र की मोदी सरकार ने अपने 100 दिनों के कार्यकाल में जहां कई बड़े फैसले लेकर दमदार आगाज़ किया वहीं कुछ अहम मुद्दों पर विफलताओं ने सरकार की छवि को धूमिल भी किया। चुनाव के बाद अपने एजेडों पर सरकार ने काम करते हुए शुरुआत तो की लेकिन अपने कुछ फैसलों, मंत्रियों के विवादों और आर्थिक असफलताएं भी मोदी सरकार के अब तक के शासन में सुर्खियों में रहीं। एक नज़र नरेन्द्र मोदी की एनडीए सरकार की कुछ नकारात्मक बातें, जिनसे उनके नंबर कम होते हैं...
* रेल किराए में बढोतरी : मोदी सरकार ने रेलवे की माली हालत को सुधारने के लिए यात्री किराए पर 14.2 प्रतिशत की बढ़त और माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत का इजाफा किया। जनता और विपक्ष के साथ-साथ मोदी के सहयोगी दलों ने भी इस कदम को गलत बताया, जिससे देशव्‍यापी विरोध के बाद इस बढ़त में कुछ रियायत भी बरती गई। 
 
* सब्‍जी, चीनी और डीजल महंगा : रेल के अलावा जब मोदी सरकार ने चीनी और डीजल का दाम बढ़ा दिया तो देश की जनता सबसे ज्‍यादा निराश हुई। विपक्ष ने आरोप लगाया कि महंगाई हर महीने तेजी से बढ़ी है और दिल्‍ली जैसे महानगरों में सब्‍जी और चीनी जैसे उत्‍पादों में भी अच्‍छी खासी बढ़त देखी गई है। वहीं दूसरी तरफ औद्योगिक और ट्रेड ग्रोथ की दर भी धीमी रही।
 
 
* कालेधन पर निराशा : हालांकि मोदी सरकार ने देश के कालेधन को देश में वापस लाने के लिए तुरंत एक एसआईटी गठित कर दी है, लेकिन स्विस बैंक ने इस बारे में जमाकर्ताओं के नाम उजागर करने से मना कर दिया। इससे मोदी सरकार के विदेशों से ब्लैक मनी वापस लाने के प्रयासों पर पानी फिरता दिख रहा है। हालांकि मोदी सरकार इस बात के लिए खुश हो सकती है कि देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले में अब तक की प्रगति पर संतोष जताया है। 
  
* राज्‍यपाल और मुख्‍यमंत्री हूटिंग विवाद : नरेंद्र मोदी सरकार के राज्‍यपालों के इस्‍तीफे को लेकर छिड़े विवाद ने सरकार की छवि के खराब किया। यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात, केरल समेत कई राज्यों के राज्यपालों का इस्तीफा लेकर भाजपा समर्थित राज्यपालों की नियुक्ति ने विवाद पैदा किया। दूसरी ओर मोदी के कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्‍यमंत्री भूपेन्द्रसिंह हुड्‍डा और झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की हूटिंग के कारण भी काफी विवाद हुआ। इससे महाराष्ट्र के मुख्‍यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने तो मोदी के कार्यक्रम में ही हिस्सा नहीं लिया। 

* दिल्‍ली यूनिवर्सिटी विवाद : दिल्ली यूनिवर्सिटी के एकेडमिक और एग्जिक्यूटिव काउंसिल ने चार साल की डिग्री को खत्म करने और तीन साल के डिग्री कोर्स को मंजूरी पर विवाद गरमाया। दिल्‍ली विवि और यूजीसी के बीच छिड़े विवाद में एचआरडी मिनिस्‍ट्री का भी नाम आया जिसे स्मृति ईरानी देख रही हैं। वहीं इससे पहले स्मृति ईरानी को एचआरडी मिनिस्‍टर बनाए जाने पर भी कम विवाद नहीं उठे थे। 
 
 
* स्मृति ईरानी की शिक्षा पर विवाद : मानव संसाधन मंत्रालय की मंत्री स्मृति ईरानी अपनी शैक्षिक योग्यता के कारण मंत्री बनते ही विवाद में पड़ गईं। आरोप लगा कि उन्होंने भिन्न हलफनामों में शिक्षा का अलग-अलग ब्योरा दिया था। विवाद बढ़ा तो उन्होंने अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी की डिग्री होने का दावा कर दिया। बाद में जिसे वे डिग्री बता रही थीं, वह गत वर्ष सांसदों के लिए हुए 6 दिन के क्रैश कोर्स का सर्टिफिकेट निकला।
 
 
* सेक्स एजुकेशन पर डॉ. हर्षवर्धन : खुद डॉक्टर रहे स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के एड्स को लेकर दिए अपने बेतुके बयान से उन्होंने सरकार की किरकिरी कर दी। मंत्रीजी ने अपनी वेबसाइट पर सेक्स एजुकेशन पर बैन लगाने की वकालत कर दी। इतना ही नहीं, एचआईवी-एड्स रोकने के लिए भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार पर बल देने की बेतुकी बात कह डाली, जिससे विवाद खड़ा हो गया। 
 
* सेना प्रमुख नियुक्ति पर विवाद : पूर्वोत्तर मामलों के राज्यमंत्री वीके सिंह पहले मंत्री रहे जिनका विपक्ष ने इस्तीफा मांगा। सेना प्रमुख दलबीरसिंह सुहाग की नियुक्ति के पहले वीके सिंह ने ट्वीट कर इशारे में सुहाग का विरोध किया था। हालांकि, केंद्र ने सेनाध्यक्ष रहते सुहाग पर सिंह की कार्रवाई को हलफनामे में अवैध बताया और फिर रक्षामंत्री अरुण जेटली ने सैन्य बलों के मामलों को राजनीति से दूर रखने की बात कह कर सफाई दी।

* दुष्कर्म का आरोप, डिग्री पर संदेह : केंद्रीय राज्यमंत्री निहाल चंद पर दुष्कर्म के गंभीर आरोप लगे। सभी आरोपियों को पेश होने के अदालत के आदेश के बाद उनके इस्तीफे की मांग होने लगी। भाजपा जहां उनके बचाव में दिखी तो वहीं सरकार ने चुप्पी साध ली। इस वजह से सरकार के महिला सुरक्षा के दावे पर सवाल उठने लगे और विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा। निहाल चंद की शैक्षणिक योग्यता को लेकर भी सवाल उठे।
 
 
* हिन्दी भाषा पर गरमाया विवाद : राजग सरकार द्वारा सरकारी कामों में हिन्दी के उपयोग करने और सोशल मीडिया पर सरकारी एकाउंट में हिन्दी को प्रमुखता दिए जाने की वकालत का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया। मुख्यमंत्री जयललिता एवं भाजपा के सहयोगियों ने भी फैसले का विरोध किया जिसे बाद में मुद्दे को गरमाता देख सरकार ने वापस ले लिया। 
 
 
* यूपीएससी-सीसैट विवाद : यूपीएससी में सी−सैट पैटर्न का विरोध कर रहे हिन्दी माध्यम के छात्रों ने सरकार के फैसले पर विवाद हुआ। सरकार ने अपने एग्जाम में इंग्लिश कॉम्प्रिहेंशन के अंक मेरिट में नहीं जुड़ेंगे और 2011 में परीक्षा देने वाले छात्रों को 2015 में भी परीक्षा देने का मौका देने के फैसले से मामले को निपटाने की कोशिश की, लेकिन छात्र अभी भी सरकार के रवैये से खुश नहीं है।
 
 
* मंत्रियों के बेटों पर आरोप : मोदी सरकार में भी नेता ‘पापा’ अपने बेटों के चलते खासे तनाव में रहे। रेलमंत्री सदानंद गौड़ा के बेटे कार्तिक पर कन्नड़ एक्ट्रेस के मंगलसूत्र पहनाने के बाद संबंध बनाने के आरोप ने विवाद को हवा दी। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथसिंह के पुत्र पंकजसिंह पर कथित रूप से एक अफसर की पीएमओ में नियुक्ति के लिए रिश्वत के आरोप ने मोदी सरकार को और विवादो में ला दिया। 

* उपचुनावों में शिकस्त : बिहार में 10 विधानसभा सीट, मध्यप्रदेश में 3, कर्नाटक में 3 और पंजाब में 2 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को असफलता मिली। कुल 18 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के खाते में 10 सीटें गई जबकि भाजपा को सात सीटें ही मिल पाई। बिहार में भाजपा को राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन के हाथों 4-6 से पराजय का सामना करना पड़ा और कर्नाटक एवं मध्यप्रदेश में अपने दो मजबूत गढ कांग्रेस के हाथों गंवानी पडी़।
 
* नजमा हेपतुल्ला के ब्यान पर बवाल : अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नजमा अपने काम से ज्यादा अपने बयान के लिए विवादों में रहीं। पहले उन्होंने मुस्लिमों के बारे में कहा कि वे अल्पसंख्यक नहीं हैं और बाद में आरएसएस के बयान पर समर्थन करते हुए कहा कि सभी भारतीय हिंदू हैं। बाद में विवाद बढ़ता देख उन्होंने सफाई दी कि उन्होंने 'हिन्दू' नहीं बल्कि 'हिन्दी' शब्द का प्रयोग किया था।
 
* साईं विवाद पर चुप्पी : शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के सांई को भगवान न मानने और मंदिरों में पूजन न किए जाने को लेकर खड़े हुए विवाद पर मोदी सरकार ने चुप्पी साध ली। पहले उमा भारती के सांई के समर्थन देने और बाद में धर्म संसद में हुए सांई विरोधी फरमानों पर शंकराचार्य के विवाद को देखकर कोई टिप्पणी न करते हुए सरकार बैकफुट पर आ गई।
 
* मोदी की लाइव क्लास पर विवाद : शिक्षक दिवस को मनाने के सरकार के तरीके पर भी विवाद हो गया। सरकार के शिक्षक दिवस को गुरु उत्सव के तौर पर मनाने की तैयारी पर कांग्रेस ने विरोध किया। साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय ने पहले 5 सितंबर को प्रधानमंत्री का अभिभाषण की सीधा प्रसारण स्कूली छात्रों को दिखाना अनिवार्य किया था। बाद में विपक्ष की तरफ से विवाद को देखते हुए मंत्री स्मृति ईरानी ने इसे बाध्यकारी नही कहते हुए फैसला वापस ले लिया।