-शोभना जैन
नई दिल्ली। मुंबई आतंकी हमले के सरगनाओं में से एक, दुर्दांत आतंकवादी जकी-उर- रहमान-लखवी को पाकिस्तान की एक अदालत द्वारा जमानत दिए जाने से क्षुब्ध भारत ने गुरुवार को दो टूक शब्दों में पाकिस्तान से लखवी की जमानत को फौरन रद्द किए जाने के लिए कदम उठाए जाने की मांग करते हुए कहा कि ऐसे दुर्दांत अपराधी को जमानत दिए जाने का फैसला उसे कतई नामंजूर है।
विदेश मंत्रालय के प्रव्क्ता सैयद अकबरूद्दीन ने रावलपिंडी की एक अदालत द्वारा सुनाए गए इस फैसले पर पूछे गए सवालों के जबाव में कड़े शब्दों में कहा, लश्कर-ए-तोएबा का कमांडर और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकी करार दिया गया लखवी वो व्यक्ति है, जो मुंबई हमले के सरगनाओं में से एक है, जिस हमले में कितने ही निर्दोष लोगों को मौत की घाट उतार दिया गया था।
प्रवक्ता अकबरूद्दीन ने कहा, आतंकी लखवी की जमानत रद्द करने का फैसला पेशावर के उस घोर खूनी आतंकी हमले के महज दो दिन बाद आया है जिसमें सैकड़ों मासूम बच्चों को बदले के नाम पर सिलसिलेवार और योजनबद्ध ढंग से गोलियों से भून दिया गया था, निश्चित तौर पर ऐसे में आतंकी लखवी को मिली जमानत आतंकियों को नया भरोसा देगी, जो जघन्य अपराध अंजाम देते हैं।
प्रवक्ता ने कहा, आतंकवाद पर दोहरे पैमाना नहीं हो सकता, हाल के दिनों में पाकिस्तान ने स्वयं जो भयावह त्रासदी झेली है, जरूरी है वह यह समझे और मह्सूस करे कि आतंकवादियों के साथ कभी भी कोई समझौता नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि मुंबई हमलों की योजना पाकिस्तान में बनी थी, इसके लिए लोगों को प्रशिक्षण वहां मिला, पैसा भी वहीं से मिला था। ये पाकिस्तान सरकार की जिम्मेदारी है कि वो उचित कार्रवाई करे। मुंबई हमलों का हवाला देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में 99 फ़ीसदी सबूत पाकिस्तान में हैं।
मुंबई की विशेष अदालत ने 2009 में कई लोगों के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किया था जिसमें मुंबई हमलों के मास्टर माइंड लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफ़िज़ मोहम्मद सईद और ज़की-उर-रहमान लखवी भी शामिल थे। प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा का सरगना लखवी 2008 मुम्बई हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ताओं में से एक है जिसमें 166 लोग मारे गए थे।
रावलपिंडी की एक आतंकवाद निरोधक अदालत द्वारा लखवी को आज जमानत दी गई। लखवी पाकिस्तान के उन सात नागरिकों में शामिल है जिन पर मुम्बई आतंकवादी हमले की योजना बनाने और उसे बढ़ावा देने का आरोप है। जेल से उसकी रिहाई तब हो रही है जब पेशावर आतंकी हमले के एक दिन बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आतंकवाद से निपटने के लिए सप्ताहभर के भीतर एक 'राष्ट्रीय कार्ययोजना' घोषित करने की प्रतिबद्धता जताई थी।
प्रेक्षकों ने जमानत दिए जाने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि पेशावर के कायराना आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 'अच्छे तालिबान और बुरे तालिबान' में कोई फर्क नहीं होने की बात करते हुए कहा था, आतंकवादी, चाहे कहीं का हो, वो आतंकवादी ही होता है, निश्चय ही ऐसे कथन के बावजूद पाकिस्तान अब भी आतंकवाद को लेकर दोहरे पैमाने से बाज नहीं आता प्रतीत होता है।
लखवी और छह अन्य ने कल जमानत याचिकाएं दायर कीं जबकि वकील पेशावर के सैनिक स्कूल पर हुए आतंकवादी हमले की निंदा करने के लिए हड़ताल पर थे। लखवी अब तक रावलपिंडी की अदियाला जेल मे बंद था। (वीएनआई)