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Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 20 जून 2015 (21:54 IST)

'जनकल्याण' के लिए 'जनांदोलन' बनता भारतीय योग

'जनकल्याण' के लिए 'जनांदोलन' बनता भारतीय योग - yoga
- शोभना जैन

नई दिल्ली। भोर की पहली किरण फूटी ही है, पूरे आसमान में हल्की सिंदूरी आभा बिखर रही है, राजधानी दिल्ली के एक पार्क में बड़ी तादाद में युवा, बुजुर्ग योग करने के लिए हाथों में चटाइयां लिए एकत्र हो रहे हैं। 
ऐसा ही एक मंजर, भारत से हजारों मील दूर आइसलैंड की राजधानी रेक्याविक के एक होटल और एक योग स्टूडियो में है। विदेशी प्राणायाम कर रहे हैं, विभिन्न योगासन कर रहे हैं। 
 
विश्व में सर्वाधिक ऊंचाई वाला (समुद्र स्तर से 12000 फुट की ऊंचाई पर) सियाचिन का सैन्य क्षेत्र पर हमारे जांबाज बहादुरों द्वारा योग किया जा रहा हो या भारत के जंगी जहाज पर जियालो द्वारा की जा रही यौगिक क्रियाएं हो। 
 
राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल स्टेडियम में विशाल जनसमुदाय का योगाभ्यास हो या हरियाणा के पंचकूला में योगगुरु रामदेव के साथ राज्य के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर विशाल जनसमुदाय के साथ मिलकर योग करते हों अथवा फिर सुदूर पूर्वोत्तर मणिपुर में बच्चों का योगाभ्यास हो अथवा फिर उत्तरप्रदेश में एक धर्मिक स्थल के बाहर एक पार्क में योगाभ्यास करती अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाएं और बच्चियां हों, भारत के अलावा वैश्विक स्तर पर भी भारतीय योग दिनोदिन 'सदभाव व शांति' के संदेश के साथ-साथ एक 'जनांदोलन' का रूप लेता जा रहा है। 
 
पिछले एक दशक मे विशेष तौर पर भारत में तो योग करने वालों के संख्या अभूतपूर्व ढंग से वृद्धि हुई है। ताजा अनुसंधानों से भी साबित हुआ है कि योग से मधुमेह, अस्थमा और हृदय रोग जैसी कितनी ही जटिल बीमारियां भी बिना किसी औषधि और उपचार के नियंत्रित की जा सकती हैं। 
 
भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह विश्व के 192 देशों में से 191 देशों में दिव्यता एवं भव्यता के साथ मनाया जाएगा। आकड़ों के अनुसार ऐसी उम्मीद है कि दुनिया के लगभग दो अरब लोग इस दिन भारत की अमूल्य धरोहर 'योग साधना' करेंगे जिसकी पूरी दुनिया भर मे तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। 
 
चाहे दिल्ली का राजपथ हो या पेरिस की एफिल टॉवर के निकट का मैदान, न्यूयॉर्क का विशाल टाइम्स स्कवेयर हो या बीजिंग-चीन के हॉल में हो रहा योग, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सभी जगह योग ही छाया होगा। 
 
केंद्र सरकार के तत्वावधान में देशभर में मनाए जा रहे इस समारोह का भारत में मुख्य समारोह राजधानी के राजपथ में होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद रहेंगे, योगगुरु बाबा रामदेव और अन्य योग गुरुओं की मौजूदगी में बच्चों, सुरक्षाकर्मियों सहित लगभग 40,000 लोग इस दिन वहां अलग-अलग तरह के योग आसन और क्रियाएं करेंगे, जिस दौरान अनेक केंद्रीय मंत्री व विशिष्ट लोग भी मौजूद रहेंगे। 
 
लंबे समय से योग साधक प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार 'योग में पूरी मानवता को एक सूत्र में जोड़ने की शक्ति है, यह ज्ञान, कर्म और भक्ति का अद्भुत मेल है, योग है जीवन को जीभर के जीने की जड़ी- बूटी' प्रधानमंत्री मोदी की दिनचर्या बरसों बरस से यौगिक क्रियाओं और योग आसन से ही प्रारंभ होती है।
 
बड़े पैमाने पर इस तरह से योग के प्रसार-प्रचार के पीछे सोच है कि इससे न  केवल राष्ट्रवासी स्वस्थ हो बल्कि उनमे मानवीय मूल्यों का संचार भी हो और उन्हें एकता के सूत्र से अधिक मजबूती से जोड़ा जा सके, यानी योग को माना गया है सद्‍भावना और शांति का सूत्र|
 
प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित अनेक प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी अपने अपने राज्यों में 21 जून को योग दिवस समारोह में हिस्सा लेंगे। विदेशों में भी भारतीय दूतावास इस आयोजन के लिए पूरी तैयारियां कर रहे हैं। 
 
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अनुसार भारतीय दूतावासों ने अपने यहां के देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भी इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया है। इस आशय के न्योते राष्ट्राध्यक्षों को भेजे गए हैं। 
 
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 21 जून को संयुक्त राष्ट्र में इस अवसर पर आयोजित विशेष समारोह की अध्यक्षता करेंगी। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और महासभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा मौजूद रहेंगे। 
 
इस समारोह में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन होगा, जिसे ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक योग गुरु श्रीश्री रविशंकर संबोधित करेंगे। विश्व योग दिवस कार्यक्रम से दुनिया भर में उन देशों में अनेक विशिष्ट हस्तियों और कलाकारों को ब्रैंड एम्बेसेडर के रूप जोड़ा गया है। 
 
ऑस्ट्रेलिया में मशहूर क्रिकेट खिलाड़ी ब्रेट ली, जॉर्डन में वहां की राजकुमारी, फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन, शिल्पा शेट्टी, विराट कोहली, सुशील कुमार, कपिल शर्मा और मीका जैसे कितने ही जाने-माने नाम इस कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं। पांच बार की विश्व मुक्केबाजी चैंपियन मैरीकॉम के साथ 100 से अधिक देशों के करीब 15,000 लोग दुबई में योग करेंगे।
 
उल्लेखनीय है कि गत सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में भारतीय योग को 'प्रामाणिकता के साथ स्वीकार्यता ' दिलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के विचार पर औपचारिक प्रस्ताव दिया था, बाद में संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने के भारत के प्रस्ताव पर अपनी मोहर लगा दी थी। इस ऐलान के साथ ही अब से हर साल 21 जून को दुनिया भर में 'अंतरराष्ट्रीय योग दिवस' मनाया जाएगा। 
 
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में इस आशय के प्रस्ताव को लगभग सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया था। भारत के साथ रिकॉर्ड 177 सदस्य देश न केवल इस प्रस्ताव के समर्थक बने बल्कि इसके सहप्रस्तावक भी बने। प्रस्ताव के सहप्रायोजकों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्य देशों सहित ऑरगेनाईजेशन ऑफ इस्लामी संगठन ओआईसी के 47 मुस्लिम देश भी शामिल हैं। भारत में 5000 वर्ष से भी पहले जन्मी योग पद्धति के चाहने वाले न केवल पूरी दुनिया में हैं, बल्कि दुनिया भर में इसको अपनाने वालों के संख्या तेजी से बढ रही है। विदेशो में योग प्रशिक्षण देने के लिए भारत से विशेष तौर पर योग प्रशिक्षक भेजे गए थे।
 
इसके साथ ही योग गुरू रामदेव, स्वामी चिन्मयानंद, श्रीश्री रविशंकर, सद्‍गुरु जग्गी गुरुदेव जैसे अनेक योग गुरुओं ने इस कार्यक्रम से जुड़कर विदेशों में करोड़ों लोगों को योग से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।  भारत में जहां इस आयोजन के उपलक्ष्य में विशेष डाक टिकट और 100 और 10 रुपए के सिक्की जारी किए जा रहे हैं, वहीं हंगरी, ब्राजील और मॉरीशस भी इस उपल्क्ष्य में विशेष डाक टिकट जारी कर रहे है।  अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, दुबई, तुर्की, चीन, नेपाल, मॉरीशस, अफ्रीकी देश से लेकर आइसलैंड जैसे 192 देशों में इस दिन विशेष तौर पर विभिन्न तरह का योग होगा।
 
योग सद्भभावना, सामंजस्य और शांतिपूर्ण जीवन-यापन की कला एवं विज्ञान है।  यह शरीर को प्रकृति के साथ संतुलन बिठाने की ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया भी है जो मानसिक तनाव के कारण उत्पन्न शारीरिक विकार शांत कर आध्यात्मिक विकास की प्रेरणा देता है। योग शब्द संस्कृत की युज धातु से बना है जिसका अर्थ जुड़ना या एकजुट होना या शामिल होना है। 
 
योग के ग्रंथों के अनुसार योग शरीर स्वस्थ तो बनाता ही है, इसे करने से व्यक्ति की चेतना ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाती है। बुनियादी मानवीय मूल्य योग साधना की पहचान हैं।  योग गुरुओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है। योग के विज्ञान की उत्पतित्त  हजारों साल पहले हुई थी।  पहले धर्मों या आस्थाओं के जन्म लेने से काफी पहले हुई थी। 
 
योग विद्या में 'शिव' को 'पहले योगी' या 'आदि योगी 'के रूप में माना जाता है। ग्रंथों के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व हिमालय में कांति सरोवर झील के तटों पर 'आदि योगी' ने अपने प्रबुद्ध ज्ञान को अपने प्रसिद्ध सप्तऋषियों को प्रदान किया था। सप्तऋषियों ने योग के इस ताकतवर विज्ञान को एशिया, मध्यय पूर्व, उत्तरी अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका सहित विश्व के भिन्न-भिन्न भागों में पहुंचाया। योग करते हुए पितरों के साथ सिंधु- सरस्वती घाटी सभ्यता के अनेक जीवाश्म अवशेष एवं मुहरें भारत में योग की मौजूदगी का संकेत देती हैं।
 
लोक परंपराओं, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक एवं उपनिषद की विरासत, बौद्ध एवं जैन परंपराओं, दर्शन, महाभारत एवं रामायण जैसे ग्रंथो, शैवों, वैष्णवों की आस्तिक परंपराओं एवं तांत्रिक परंपराओं में योग की मौजूदगी है। हालांकि पूर्व वैदिक काल में  भी योग किया जाता था, लेकिन संत महर्षि पतंजलि ने अपने योग सूत्रों के माध्यम से उस समय विद्यमान योग की प्रथाओं, इसके आशय एवं इससे संबंधित ज्ञान को व्यवस्थित एवं कूटबद्ध किया। 
 
पतंजलि के बाद अनेक ऋषियों एवं योगाचार्यों ने प्रथाओं एवं साहित्य के माध्यम से योग के परिरक्षण एवं विकास में विशेष योगदान दिया। योग की परंपरागत शैलियां, भिन्न- भिन्न दर्शन, परंपराएं, वंशावली तथा गुरु-शिष्य परंपराओं आदि शैलियों से योग का और विकास और प्रसार हुआ, उदाहरण के लिए ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग, ध्यान योग, पतंजलि योग, कुंडलिनी योग, हठ योग, मंत्र योग, लय योग, राज योग, जैन योग, बुद्ध योग आदि। हर शैली के अपने स्वयं के सिद्धांत एवं पद्धतियां हैं जो योग के परम लक्ष्यत एवं उद्देश्यों  की ओर ले जाती हैं। इसी तरह  यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि  साम्यसीमा, बंध एवं मुद्राएं, षटकर्म, युक्तम आहार, युक्तस कर्म, मंत्र जप आदि योग साधनाएं, जिसे योग साधक अपनाते हैं।
 
योगगुरु रामदेव जिन्होंने गत 20 वर्षों में करीब 2 करोड़ लोगों को शिविरों में योग प्रशिक्षण के साथ न केवल भारत की  करोड़ों की बड़ी आबादी को टीवी व अन्य माध्यमों से योग में प्रशिक्षित किया है, बल्कि विदेशों में भी भारतीय का झंडा बुलंद किया है, उनके अनुसार, आमतौर पर योग को स्‍वास्‍थ्‍य एवं फिटनेस के लिए थैरेपी या व्यायाम की पद्धति के रूप में समझा जाता है। हालांकि शारीरिक एवं मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य योग के स्वाभाविक परिणाम हैं, परंतु योग का लक्ष्य अधिक दूरगामी है। योग करने से व्यक्ति की चेतना ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाती है।  
 
बुनियादी मानवीय मूल्य योग साधना की पहचान हैं। योग ब्रह्माण्ड से स्वयं का सामंजस्य स्थापित करने के बारे में है। देश-विदेश में योग को लोकप्रिय करने वाले और हाल ही मेंयोरोपीय यूनियन और अमेरिका सभा में योग करवाने वाले योगगुरु श्रीश्री रविशंकर भी 'इसे बाह्य से अंतर की यात्रा मानते हैं। योग आसनों के माध्यम से किए जाने वाले शारीरिक व्यायाम भर नहीं है, बल्कि एकाग्रता एवं सामर्थ्य बढ़ाने का अचूक उपाय है जो संभावनाओं को संभव बनाता है। 
 
'योग के केन्द्र, योग धरा यानि  'योग की राजधानी' के रूप में मशहूर ऋषिकेश स्थित परमार्थ आश्रम के संस्थापक व जानेमाने योगगुरु स्वामी चिन्मयानंद के अनुसार, यह अंतर से जुड़ने की कला है, योग की धरती भारत में विभिन्न सामाजिक रीति-रिवाज एवं अनुष्ठान पारिस्थितिकी संतुलन, दूसरों की चिंतन पद्धति के लिए सहिष्णुता तथा सभी प्राणियों के लिए सहानुभूति के लिए प्रेम प्रदर्शित करे, यही योग का संदेश है। अमेरिकी मूल की उनकी शिष्या व बरसों से भारत में इस आश्रम में रहकर आध्यात्म साधना में रत  साध्वी भगवती का भी मत है, योग ब्रह्माण्ड  से स्वयं को जोड़ने की सर्वोच्च स्तर की अनुभूति एवं सामंजस्य प्राप्त करने की राह है। उनका  मानना है कि व्यापक स्वास्‍थ्‍य, सामाजिक एवं व्यक्तिगत दोनों, के लिए इसका प्रबोधन सभी धर्मों, नस्लों एवं राष्ट्रीयताओं के लोगों के लिए इसके अभ्यास को उपयोगी बनाता है। यह शरीर को प्रकृति के साथ संतुलन बिठाने की ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया भी है।
 
भारत में इस आयोजन को लेकर कुछ अल्पसंख्यक वर्गों में उत्पन्न आशंकओं को लेकर योगगुरुओं का एक मत है कि योग किसी खास धर्म, आस्था पद्धति या समुदाय के मुताबिक नहीं चलता है, इसे सदैव अंतरमन की सेहत के लिए कला के रूप में देखा गया है। जो कोई भी तल्लीनता के साथ योग करता है वह इसके लाभ प्राप्त कर सकता है, उसका धर्म, जाति या संस्कृति जो भी हो। इन्हीं तमाम खबरों के बीच स्‍वस्‍थ शरीर के लिए योग के फायदे गिनाते हुए हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान ने देश के मुसलमानों से बढ़-चढ़कर योग का समर्थन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि योग शारीरिक व्यायाम का प्रमुख साधन है, न कि किसी प्रकार की धार्मिक क्रिया का हिस्सा। भागदौड़भरी जिंदगी में स्वस्थ रहने के लिए योग अत्यंत आवश्यक है। 
 
उन्होंने कट्टरपंथियों की ओर से फैलाए गए भ्रम से बचते हुए मुसलमानों से योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंने की भी अपील की है। श्रीमती स्वराज का इस आयोजन के बारे में कहना है, योग दिवस मनाने की भारत की पहल के पीछे उद्देश्य ही यही है कि हिंसाग्रस्त विश्व शांति के ओर लौटे, योग एक सॉफ्ट पॉवर है, भारत का प्रयास है कि दुनियाभर में हिंसा की प्रवृत्ति खत्‍म हो, भारत के लिए योग मानव कल्याण और सिर्फ मानव कल्याण है। 21 जून का अंतरराष्ट्रीय योग दिवस इसी लक्ष्य प्राप्ति के लिए शुरू किया गया है। केन्द्रीय आयुष मंत्री श्री श्रीपाद नाइक का भी मानना है  'योग को धर्म से जोड़ना सही नहीं, यह मानव कल्याण के लिए है। योग शरीर को स्वस्थ, ऊर्जावान रखने के साथ सामंजस्य, सद्भभाव, भाईचारा और शांति का संदेश है।
 
योग से कई गंभीर बीमारियों को बिना पैसे मुफ्त में ही नियंत्रित किया जा सकता है। राजधानी के सर गंगाराम अस्पताल में सौ रोगियों पर योग के प्रभाव का परीक्षण किया गया। कोरोनरी हृदय रोग और मधुमेह के रोगियों को दो वर्गों में बांटकर उनकी जीवन शैली में थोड़ा बदलाव किया। इनमें एक वर्ग को सिर्फ दवाओं के भरोसे ही रखा गया और दूसरे वर्ग को योगपरक जीवनशैली के लिए प्रेरित किया। खानपान, योग और ध्यान समन्वित इस जीवनशैली के उत्साहवर्धक परिणाम आए। जिन साधकों ने योगपरक जीवनशैली अपनाई थी उनके बॉडी मास इंडेक्स (बीएनएल), कोलेस्ट्रोल और रक्तचाप नियंत्रित मिले। इस अध्ययन का संयोजन कर रहे डॉ. डीएससी मनचंदा के अनुसार, मधुमेह, हृदयरोग और अस्थमा जैसे आधुनिक सभ्यता के रोगों पर योग से नियंत्रण की दिशा में उत्साहवर्धक परिणाम आए हैं।
 
आजकल योग की शिक्षा अनेक मशहूर योग संस्थाओं, योग विश्वविद्यालयों, योग कॉलेजों, विश्वाविद्यालयों के योग विभागों, प्राकृतिक चिकित्सा कॉलेजों तथा निजी न्यासों एवं समितियों द्वारा प्रदान की जा रही है। अस्पतालों, औषधालयों, चिकित्सा संस्थाओं  में अनेक योग क्लीनिक, योग थैरेपी और योग प्रशिक्षण केंद्र, योग की निवारक स्‍वास्‍थ्‍य  देखरेख यूनिटें, योग अनुसंधान केंद्र आदि स्थापित किए गए हैं। प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा दिखाए गए योग की राह धीरे-धीरे महान योगाचार्यों- रमन महर्षि, रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद, विवेकानंद आदि के राजयोग के विकास से लेकर स्वामी विवेकानंद, टी कृष्णमचार्य, स्वामी कुवालयनंदा, योगेंद्र, स्वामी राम, श्री अरविंदो, महर्षि महेश योगी, आचार्य रजनीश, पट्टाभिजोइस, बीके एस आयंगर, स्वामी सत्येंद्र सरस्वती से लेकर  आज के योगगुरु रामदेव, श्रीश्री रविशंकर, जानेमाने योगगुरु स्वामी चिन्मयानंद, साध्वी भगवती जैसे संतों के माध्यम से देश-विदेश में भारतीय योग अपनी पहचान तेजी से बढ़ा रहा है और इस के प्रचार-प्रसार में लगे  योगगुरु के उपदेशों, योग साधना की प्रेरणा से आज योग पूरी दुनिया में फैल रहा है। 
 
पार्क में लंबे दरख़्तों के उपर सूरज अब तेज़ी से चमक रहा है, वहां योगाभ्यास का समय खत्म हो रहा है। दसियों वर्ष से योग की कक्षा लगाने वाले बुजुर्ग एवं शिक्षक रहे योग साधक मोहन प्रसाद भट्ट योग कक्षा के समापन पर प्रार्थना करा रहे हैं। वातावरण में  समवेत स्वरों में योग साधकों की मद्धम सी आवाज में प्रार्थना के स्वर सुनाई दे रहे हैं।
 
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्, ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥  
 
(सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े )
 
सूरज की तेज़ होती रोशनी में वापस घरों को लौटते हुए योग साधकों के चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट के साथ सौम्य सी शांति दिखाई  दे रही है। सभी सुखी रहें, रोगमुक्त रहें। (वीआईएन)