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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 25 फ़रवरी 2015 (19:29 IST)

'व्यापमं' में सिर्फ 5 फीसदी घोटाले उजागर हुए

'व्यापमं' में सिर्फ 5 फीसदी घोटाले उजागर हुए - vyapm scam
नई दिल्ली। करोड़ों रुपए के ‘मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड’ या व्यापमं घोटाले का भंडाफोड़ करने वाले (व्हिसलब्लोअर) का कहना है कि इसमें अभी तक सिर्फ 5 फीसदी अनियमितताएं ही उजागर हुई हैं और अभी काफी जांच बाकी है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के शुक्रवार के फैसले के बाद डिजिटल फॉरेंसिक विशेषज्ञ प्रशांत पांडे को सुरक्षा प्रदान की गई है। 
 
पांडे ने कहा था कि मध्यप्रदेश सरकार और पुलिस में उन ताकतवर लोगों से उन्हें अपनी जान का खतरा है जिनके खिलाफ उन्होंने उनकी संलिप्तता को लेकर सबूत पाने का दावा किया था।
 
पांडे ने बताया कि पूरे घोटाले में केवल 5 प्रतिशत ही उजागर हुआ है। यह घोटाला बहुत बड़ा है। इंदौर निवासी पांडे इस समय अपने परिवार के साथ राष्ट्रीय राजधानी में रह रहे हैं, क्योंकि उन्हें राज्य की सत्ता के रसूखदार लोगों से जान का खतरा है।
 
पांडे ने बताया कि मुझे अब भी डर है कि मेरे साथ कुछ हो सकता है। मैं शुक्रगुजार हूं कि न्यायपालिका ने मेरी स्थिति को समझा और मुझे सुरक्षा मुहैया कराई।
 
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने विशेष जांच दल (एसआईटी) की नियुक्ति की है, जो घोटाले में राज्य की विशेष कार्यबल (एसटीएफ) द्वारा की गई जांच की निगरानी कर रहा है। घोटाले में राज्य के कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और राजनीतिज्ञ जांच के दायरे में हैं।
 
विशेष कार्यबल ने वन सुरक्षाकर्मियों की भर्ती में अनियमितता के संबंध में मंगलवार को ही मध्यप्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव की कथित संलिप्तता के संबंध में उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी) सहित विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
 
पांडे ने कहा कि मामले में कई प्रभावशाली लोग शामिल हैं। मैं उन सभी का खुलासा करने वाला हूं। इस संबंध में मेरे पास और अधिक जानकारियां हैं जिसे मैं उच्चतम न्यायालय या दिल्ली उच्च न्यायालय के साथ साझा करूंगा।
 
उन्होंने कहा कि भारतीय राजस्व सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एसटीएफ के अतिरिक्त महानिदेशक सुधीर कुमार साही से मेरे बारे में जिक्र किया था। मामले में उन्होंने मेरी मदद मांगी और मैं राजी हो गया।
 
जांच के दौरान हमें राज्य के प्रभावशाली और ताकतवर लोगों के खिलाफ जानकारी मिली। जमानत पर रिहा पांडे ने कहा कि परेशानी तब शुरू हुई जब कांग्रेस के एक नेता ने मुख्यमंत्री की भूमिका का दावा करते हुए मीडिया में कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (सीडीआरएस) की विस्तृत जानकारी मुहैया कराई। इसके बाद से मुझे फर्जी मामलों में फंसाया जाने लगा और धमकियां दी जाने लगीं।
 
भोपाल पुलिस ने पिछले साल अगस्त में उन्हें कई व्यक्तियों की कथित सीडीआरएस रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस संबंध में बाद में उन्हें जमानत मिल गई। पांडे ने दावा किया कि घोटाले में कुछ खास लोगों का नाम नहीं आए इसके लिए एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और राज्य पुलिस के अन्य अधिकारियों ने उन्हें फंसाया।
 
कांग्रेस की तरफ झुकाव की अटकलबाजी को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि मेरा कांग्रेस से कुछ लेना देना नहीं है। लंबे समय से मैं कानून और प्रवर्तन एजेंसियों के साथ काम कर रहा हूं। यह सभी के हित में होगा कि व्यापमं घोटाले की सारी अनियमितताएं सामने आएं।
 
पुलिस और राज्य की मशीनरी से धमकियां मिलने के कारण ही मैंने दिल्ली उच्च न्यायालय में संपर्क किया था। एक अन्य व्हिसलब्लोअर मित्र डॉ. आनंद राय की मदद से पांडे ने यह याचिका दायर की थी।
 
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस, मध्यप्रदेश सरकार, राज्य पुलिस और विशेष कार्यबल को नोटिस जारी किए। इन सभी से 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है। (भाषा)