अब कोर्ट में होगा उत्तराखंड का फैसला, कांग्रेस देगी चुनौती
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए केंद्र पर निशाना साधने हुए कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि वह अदालत में फैसले को चुनौती देगी। साथ ही दर्शाएगी कि नरेंद्र मोदी सरकार पार्टी द्वारा शासित सभी राज्यों में सरकारों को ‘अस्थिर’ करने में लगी हुई है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि राष्ट्रपति शासन उत्तराखंड में सदन में शक्ति परीक्षण से एक दिन पहले लगाया गया। क्योंकि केंद्र जानता था कि मुख्यमंत्री हरीश रावत अपना बहुमत साबित करने में सक्षम होंगे।
उन्होंने यहां कहा, ‘हम अदालतों का दरवाजा खटखटाएंगे। हम राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर करेंगे और इसे वापस लिए जाने की मांग करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हम अदालत में उन्हें कानून बताएंगे।’
उनके अनुसार ‘हम अदालत को दर्शाएंगे कि केंद्र सरकार में बैठे लोग ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ की अपनी नीति की वजह से कांग्रेस शासित प्रत्येक राज्य को अस्थिर करने के लिए जिम्मेदार हैं।’ सिब्बल ने कहा, ‘मैं हैरान हूं कि कोई सरकार जो लोकतंत्र और संविधान में विश्वास करती है वो किसी पार्टी की विरासत को समाप्त करने की कोशिश करेगी।’
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा खरीद-फरोख्त की कला में सिद्धहस्त है। वरिष्ठ अधिवक्ता उच्चतम न्यायालय में अरुणाचल प्रदेश मामले में अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को वहां उठाएंगे और अदालत से कहेंगे कि केंद्र अन्य राज्यों में भी उस मॉडल को दोहराएगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम लिए बिना उन पर हमला करते हुए सिब्बल ने कहा कि लोग उन लोगों को नहीं बख्शेंगे जो कानून के विद्वान हैं और तब भी फैसला किया। जेटली ने ऐसा समझा जाता है कि कल रात राष्ट्रपति को राष्ट्रपति शासन लगाने की कैबिनेट की सिफारिश के पीछे के तर्क के बारे में कल देर रात राष्ट्रपति को जानकारी दी थी।
सिब्बल ने कहा, ‘संवैधानिक तंत्र की विफलता क्या है. क्या राज्य में कोई दंगा हुआ था। कौन कहेगा कि (उत्तराखंड विधानसभा में) वित्त विधेयक पारित हुआ है या नहीं। विधानसभा अध्यक्ष या जेटली’ उन्होंने कहा, ‘तब वे कहेंगे कि एक स्टिंग था। पहले आप फर्जी स्टिंग करते हैं और तब राष्ट्रपति शासन लगाते हैं।’ (एजेंसी)