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Last Updated :नई दिल्ली , शनिवार, 22 नवंबर 2014 (18:52 IST)

'हमारा जिला हमारा जल कार्यक्रम'

'हमारा जिला हमारा जल कार्यक्रम' - Uma Bharti
-सुनील जैन
नई दिल्ली। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने जल संरक्षण के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेामाल करने और इसे जन आंदोलन बनाने पर बल दिया है।
 
वे शनिवार को यहां जल संसाधनों के पूर्ण उपयोग पर आयो‍जित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘जल मंथन’ के समापन सत्र को संबोधित कर रही थी उन्होंने कहा कि इस जन आंदोलन को गांव-गांव तक ले जाने की जरूरत है, जिसके लिए ‘हमारा जिला हमारा जल’ कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष 13 से 17 जनवरी तक भारत जल सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है और इसी दौरान 'हमारा जिला हमारा जल' कार्यक्रम भी शुरू किया जाएगा। सुश्री भारती ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए लोगों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ देश के सभी जिलों में उन स्थानों का पता लगाया जाएगा, जहां जल संरक्षण की जरूरत है और फिर वहां जल संरक्षण की शुरुआत की जाएगी। 
 
उन्होंने कहा कि सरकार देश के हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस काम के लिए यदि कानून में बदलाव की जरूरत भी पड़ी तो वह इसके लिए भी तैयार हैं। 
 
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री भारती ने कहा कि देखा गया है कि मंत्रालय द्वारा दिया गया ज्यादातर पैसा नियमों की जटिलताओं के कारण बिना खर्च किए ही रह जाता है। उन्होंने अपने अधिकारियों से कहा है कि जहां तक हो सके वे इस समस्या का निदान मंत्रालय के स्तर पर ही निकालने की कोशिश करें। फिर भी यदि यह संभव न हो तो वह कैबिनेट में जाएंगे और उसके आगे जरूरी हुआ तो संसद के जरिए कानून में भी संशोधन करने के लिए मंत्रालय तैयार हैं। 
 
सुश्री भारती ने इस मौके पर नागरिक समाज और स्वयंसेवी संगठनों से जनता के बीच नदी जोड़ोअभि‍यान को लेकर जागरूकता पैदा करने का भी आह्वान किया। उन्होंने आजादी के बाद देश की विकास पद्धति‍ में हुई भूलों की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमने विकास का जो ढांचा अपनाया उससे कई प्रकार की विसंगतियां पैदा हो गईं। विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों तक बराबर नहीं पहुंच पाया। एक ओर हमारा सकल घरेलू उत्पाद बढ़ रहा है वहीं दूसरी ओर देश का किसान बाढ़ और सूखे से मर रहा है। 
 
इस अवसर पर केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण राज्यमंत्री प्रोफेसर सांवरलाल जाट ने कहा कि पहले भू-जल का दोहन कम होता था, इसलिए जल की कमी महसूस नहीं होती थी। उन्होंने कहा कि अब बोरिंग के जरिए सिंचाई के लिए पानी निकालने से भू-जल का स्तर नीचे गया है, जो चिंता का विषय है। इससे कृषि उपज तो बढ़ी है लेकिन भूमि के नीचे जल स्तर कम हुआ है। हमें शीघ्र ही इसके विकल्प तलाशने होंगे। 
 
तीन दिवसीय सम्मेसलन का आयोजन जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा किया गया। सम्मेलन में राज्यों के सिंचाई मंत्री, जल संसाधन सचिव अनुज कुमार बिश्नोई और अन्य सम्बद्ध पक्षों ने जल से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। (वीएनआई)