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Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 6 अगस्त 2016 (12:31 IST)

दूध में मिलावट पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, मिले कड़ी सजा...

दूध में मिलावट पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, मिले कड़ी सजा... - Supreme Court favours life imprisonment for milk adulteration
नई दिल्ली। दूध और डेयरी उत्पादों में मिलावट पर गंभीर चिंता जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस समस्या से मुकाबले के लिए खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून में संशोधन और इसे दंडनीय अपराध बनाने सहित अन्य सख्त कदमों की जरूरत है।
 
पहले के आदेशों का हवाला देते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'यदि भारत सरकार आईपीसी में राज्यों की ओर से किए गए संशोधनों में शामिल प्रावधानों के बराबर दंडनीय प्रावधानों में उचित संशोधनों पर विचार करती है तो यह ठीक रहेगा।'
 
अदालत ने कहा कि यह भी वांछनीय है कि भारत सरकार खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून, 2006 पर फिर से विचार करे ताकि मिलावट के लिए दी जाने वाली सजा पर गौर किया जाए और ऐसे मामलों में यह एक प्रतिरोधक के तौर पर काम करे जिनमें मिलावटी सामानों का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर होता है।
 
न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति यू यू ललित की सदस्यता वाली पीठ ने पश्चिम बंगाल, ओड़िशा जैसे कुछ राज्यों की ओर से आईपीसी में किए गए संशोधनों का हवाला दिया जिसके तहत खाद्य पदार्थों में मिलावट के अपराध में जुर्माने के साथ या जुर्माने के बगैर जेल की अवधि बढ़ाकर उम्रकैद तक कर दी गई।
 
दूध में मिलावट पर लगाम लगाने के लिए कई दिशानिर्देश जारी करते हुए न्यायालय ने कहा कि नवजातों को पारंपरिक तौर पर दूध का सेवन कराया जाता है और इसलिए सख्त कदम उठाना जरूरी है।
 
उन्होंने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकारें ज्यादा प्रभावी तरीके से खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून को लागू करने के लिए उचित कदम उठाएंगी। पीठ ने राज्य सरकारों से कहा कि वे डेयरी मालिकों, डेयरी संचालकों और खुदरा विक्रेताओं को यह सूचित करने के लिए कदम उठाएं कि कीटनाशक, कॉस्टिक सोडा और अन्य रसायन यदि दूध में पाए गए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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