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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 2 जुलाई 2015 (23:48 IST)

पीड़ित लड़की को 1.70 करोड़ मुआवजे का आदेश

पीड़ित लड़की को 1.70 करोड़ मुआवजे का आदेश - Supreme Court
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने डॉक्टरों की लापरवाही के कारण दोनों आंखों की रोशनी खोने वाली तमिलनाडु की एक लड़की को एक करोड़ 70 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। 
न्यायमूर्ति जेएस केहर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को तमिलनाडु सरकार की वह दलील खारिज कर दी कि यह मामला डॉक्टरों की लापरवाही का नहीं है। पीठ ने इसे इलाज में कोताही बरतने का मामला बताया। 
 
पीड़ित परिवार के वकील निखिल नैय्यर ने अदालत के समक्ष दलील थी कि चूंकि बच्ची नियमित रूप से अस्पताल के डॉक्टरों की निगरानी में थी, लिहाजा साफ है कि इस मामले में अस्पताल की ओर से कोताही बरती गई।
 
अब यह लड़की 28 वर्ष की हो गई है। इस दौरान उसके इलाज में 42 लाख रुपए खर्च हुए थे। मुआवजे की रकम में इलाज पर हुआ खर्च भी शामिल है। मुआवजा राज्य सरकार को देना है।
 
लड़की का जन्म 30 अगस्त, 1986 को चेन्नई के एक सरकारी अस्पताल में हुआ था। जन्म के बाद उसे अगले 25 दिनों तक अस्पताल के आईसीयू में रखा गया। इस दौरान कभी भी डॉक्टरों ने रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योर (आरओपी) टेस्ट कराने के लिए नहीं कहा। 
 
समय पूर्व जन्म होने पर आमतौर पर बच्चों का यह टेस्ट होता है। बच्ची को जब तक प्राइवेट डॉक्टर के पास दिखाया जाता तब तक देर हो चुकी थी। तब तक उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। 
 
अस्पताल के कई डॉक्टरों ने कई बार बच्चों का निरीक्षण किया था, लेकिन किसी भी डॉक्टर ने परिवार वालों को यह नहीं बताया कि समय पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों को रेटिना संबंधित परेशानी की आशंका प्रबल होती है। 
 
राज्य सरकार ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश को चुनौती दी थी। वहीं पीड़ित पक्ष ने मुआवजा बढ़ाने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उपभोक्ता आयोग ने वर्ष 2009 में पांच लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने अब तक इसका भुगतान नहीं किया था। (वार्ता)