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Last Modified: मंगलवार, 3 नवंबर 2015 (09:22 IST)

विरोध में इतिहासकार शेखर पाठक ने पद्मश्री पुरस्कार लौटाया

विरोध में इतिहासकार शेखर पाठक ने पद्मश्री पुरस्कार लौटाया - Shekhar Pathak, Padma returned
नैनीताल। देश में बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में अपने सम्‍मान और पुरस्‍कार लौटाने वालों की सूची में एक और नाम जुड़ गया है। इस बार उत्तराखंड के प्रसिद्ध लेखक और इतिहासकार शेखर पाठक ने सोमवार को अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया।
हिमालयी इतिहास और पर्यावरण के विशेषज्ञ माने जाने वाले इतिहासकार डॉ. शेखर पाठक ने नैनीताल में चल रहे चौथे नैनीताल फिल्म महोत्सव में अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटाने की घोषणा की।
 
पाठक ने कहा कि उन्होंने यह फैसला देश में बढ़ रहे 'असहिष्णुता' के माहौल और हिमालयी क्षेत्र की उपेक्षा के विरोध में लिया है। डॉ. शेखर पाठक ने कहा कि इन दिनों देश का माहौल बेचैन करने वाला है। उन्‍होंने खुद को हिमालय पुत्र बताते हुए पुरस्कार लौटाकर पहाड़ के संसाधनों की लूट का विरोध दर्ज कराने का उनका यह अपना तरीका बताया है।
 
पाठक ने कहा कि भारत एक सहिष्णु देश है, लेकिन पिछले कुछ समय में कर्नाटक में साहित्यकार कलबुर्गी हत्याकांड, महाराष्ट्र में दाभोलकर हत्याकांड के अलावा किताब विमोचन के दौरान महाराष्ट्र में सामाजिक कार्यकर्ता सुधींद्र कुलकर्णी पर स्याही पोतने, गुलाम अली का शो रद करने आदि जैसी तमाम घटनाएं हुई हैं, जिससे मैं काफी आहत हुआ हूं। 
 
उल्लेखनीय है कि इतिहासकार, लेखक और शिक्षाविद शेखर पाठक को वर्ष 2007 में पद्मश्री दिया गया था। डॉ. शेखर पाठक हिमालय क्षेत्र के विशेष जानकार माने जाते हैं। वह हिमालय के संरक्षण और पहाड़ों की रक्षा के लिए भी कई आंदोलन कर चुके हैं।