शरद जाएंगे, नीतीश की निगाह 'दिल्ली' पर
बिहार विधानसभा चुनाव में 'टीम मोदी' को पटखनी देकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उत्साह और महत्वाकांक्षाएं सातवें आसमान पर हैं। यही कारण है कि उन्होंने खुद को बिहार तक सीमित नहीं रखने का मन बना लिया है। उनकी निगाह अब 'दिल्ली के सिंहासन' पर आकर टिक गई है।
ताजा घटनाक्रम तो इसी ओर इशारा कर रहा है। पता चला है कि जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता शरद यादव पार्टी की आगामी बैठक में अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं। शरद के स्थान पर पर नीतीश अगले पार्टी अध्यक्ष हो सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि शरद को पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। साथ ही उन्हें राज्यसभा भेजने का विकल्प दिया गया है, जिसे उन्होंने मंजूर भी कर लिया है।
नीतीश को जदयू का मुखिया बनाने की कवायद को 2019 के लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, नीतीश कुमार की निगाह दिल्ली की कुर्सी पर है साथ ही नरेन्द्र मोदी से भी वे अपना पुराना हिसाब चुकता करना चाहते हैं। क्योंकि मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने के फैसले से नाराज होने के कारण ही नीतीश एनडीए से अलग हुए थे।
जदयू के मुखिया बनने बाद नीतीश अपनी महत्वाकांक्षाओं को उड़ान देना शुरू कर देंगे। माना जा रहा है कि नीतीश राष्ट्रीय जनता दल, जदयू, आम आदमी पार्टी और कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर महागठबंधन बनाने की योजना पर काम करेंगे। लालू यादव की पार्टी तो उनके साथ है ही, जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल उनके साथ मंच साझा कर चुके हैं।
यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस और वामदल उन्हें मोदी को हटाने की शर्त पर बाहर से समर्थन दे सकते हैं। नीतीश की नजर ममता बनर्जी की तृणमूल और शरद पवार की राकांपा और नवीन पटनायक की बीजद पर भी है, लेकिन ममता शायद ही उनके पाले में आएं क्योंकि वे खुद प्रधानमंत्री पद पर बैठने का ख्वाब बुन रही हैं।
यह तो वक्त ही बताएगा कि नीतीश कुमार अपनी योजना में कितने सफल होंगे, लेकिन यदि महागठबंधन अपने अंजाम तक पहुंचता है तो इसमें कोई संदेह नहीं कि यह नरेन्द्र मोदी और भाजपा के लिए खतरे की घंटी जरूर है क्योंकि विधानसभा चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन उम्मीदों से काफी कम रहा है।